चीन सबसे बड़ा खतरा, भारत के चारों तरफ फैला रहा सैन्य जाल : अमेरिका
अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट में पाक को लेकर भी बड़े दावे
अमेरिका की खुफिया रिपोर्ट में एक बार फिर चीन की विस्तारवादी नीति और भारत के लिए उसकी सामरिक चुनौती पर चिंता जताई गई है
वॉशिंगटन। अमेरिका की खुफिया रिपोर्ट में एक बार फिर चीन की विस्तारवादी नीति और भारत के लिए उसकी सामरिक चुनौती पर चिंता जताई गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रक्षा नीति वैश्विक नेतृत्व को मजबूत करने, चीन का सामना करने और भारत की सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने पर केंद्रित रहेगी। भारत, चीन को अपना मुख्य प्रतिद्वंद्वी मानता है जबकि पाकिस्तान को एक सीमित सुरक्षा समस्या के रूप में देखता है जिसे नियंत्रण में रखा जा सकता है।
पीएलए के सैन्य अड्डों की योजना
रिपोर्ट के अनुसार, चीन अपने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के सैन्य ठिकाने बर्मा (म्यांमार), पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे देशों में स्थापित करने की योजना पर विचार कर रहा है। यदि ऐसा होता है तो यह भारत के लिए गंभीर सामरिक खतरा बन सकता है क्योंकि ये देश भारत की सीधी समुद्री और थल सीमाओं के निकट हैं। यह स्ट्रिंग आॅफ पर्ल्स रणनीति का ही हिस्सा माना जा रहा है, जिसके तहत चीन हिंद महासागर में अपने प्रभाव को बढ़ाना चाहता है। अमेरिकी रिपोर्ट के अनुसार, यह प्रयास चीन की वैश्विक सैन्य मौजूदगी बढ़ाने की मंशा को दशार्ता है और इससे भारत की सुरक्षा स्थिति पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, मई 2024 के मध्य में भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच सीमा पार गोलीबारी और हमलों के बावजूद भारत की रणनीतिक सोच में चीन को प्राथमिक खतरे के रूप में देखा जा रहा है। भारत, चीन के प्रभाव को संतुलित करने और वैश्विक नेतृत्व भूमिका को मजबूत करने के लिए हिंद महासागर क्षेत्र में द्विपक्षीय रक्षा साझेदारियों को प्राथमिकता दे रहा है, जिसके अंतर्गत सैन्य अभ्यास, प्रशिक्षण, हथियार बिक्री और सूचनाओं का आदान-प्रदान शामिल है। भारत ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में त्रिपक्षीय सहभागिता भी बढ़ाई है और क्वाड, ब्रिक्स, शंघाई सहयोग संगठन और अरएअठ जैसे बहुपक्षीय मंचों में सक्रिय भूमिका निभा रहा है।
चीन से तनाव कम, लेकिन सीमा विवाद बरकरार
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अक्टूबर 2024 के अंत में भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के दो विवादित इलाकों से सेनाएं पीछे हटाने पर सहमति बनाई। हालांकि यह कदम सीमावर्ती तनाव को कुछ हद तक कम करता है, लेकिन सीमा विवाद अब भी अनसुलझा है। गौरतलब है कि 2020 में इसी इलाके में दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प में जानें गई थीं।
पाकिस्तानी सेना के फोकस में रहेगा सीमा पार संघर्ष
रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले साल में पाकिस्तान की सेना की शीर्ष प्राथमिकताओं में क्षेत्रीय पड़ोसियों के साथ सीमा पार झड़पें शामिल रहेंगी। भारत के साथ सीमावर्ती तनाव, आतंकवाद से जुड़ी गतिविधियां और कश्मीर को लेकर आक्रामक बयानबाजी इसी पॉलिसी का हिस्सा हैं। यह बात खासतौर पर उल्लेखनीय है कि भारत पहले ही कई मौकों पर पाकिस्तानी प्रायोजित आतंकवाद और नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम उल्लंघनों को लेकर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर चिंता जता चुका है।
रूस के साथ संबंध कायम, लेकिन निर्भरता घटी
भारत 2025 तक रूस के साथ अपने संबंध बनाए रखेगा, क्योंकि वो इन्हें अपने आर्थिक और रक्षा हितों के लिए जरूरी मानता है। रिपोर्ट के मुताबिक, भले ही मोदी सरकार ने रूस से सैन्य उपकरणों की नई खरीदारी में कटौती की हो, लेकिन रूस निर्मित टैंकों और लड़ाकू विमानों के बड़े भंडार के रख-रखाव के लिए अब भी भारत को रूसी स्पेयर पार्ट्स पर निर्भर रहना पड़ता है। यह सहयोग चीन-रूस के नजदीकी संबंधों के संतुलन के रूप में भी देखा जा रहा है।
भारत को अपने अस्तित्व के लिए खतरा मानता है पाक
रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान तेजी से अपने परमाणु हथियारों के जखीरे को आधुनिक बना रहा है और भारत को अपने अस्तित्व के लिए खतरा मानता है। यह रणनीति पाकिस्तान की सैन्य सोच और सीमा पर उसकी आक्रामकता को दर्शाती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान मुख्य रूप से चीन की आर्थिक और सैन्य उदारता पर निर्भर है। चीन से मिले संसाधनों और तकनीकी सहायता के बल पर पाकिस्तान ना सिर्फ अपने सैन्य ढांचे को मजबूत कर रहा है, बल्कि परमाणु क्षमताओं को भी विस्तार दे रहा है। एक्सपर्ट के मुताबिक, चीन-पाकिस्तान गठजोड़, भारत के लिए सामरिक रूप से दोहरा खतरा पैदा कर रहा है। एक तरफ एलएसी पर चीन का दबाव और दूसरी तरफ पाकिस्तान की परमाणु और सीमा पार पॉलिसी टेंशन बढ़ा रही है।
मेड इन इंडिया पर जोर, सैन्य आधुनिकीकरण जारी
इस वर्ष भी मेड इन इंडिया पहल को बढ़ावा देगा, ताकि घरेलू रक्षा उद्योग को सशक्त किया जा सके और सप्लाई चेन की चिंताओं को कम किया जा सकेद्ध भारत ने 2024 में अपनी सैन्य क्षमताओं के आधुनिकीकरण को जारी रखा। भारत ने परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम अग्नि-1 प्राइम मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल और अग्नि-5 मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल रीएंट्री व्हीकल का परीक्षण किया। भारत ने अपनी दूसरी परमाणु ऊर्जा से संचालित पनडुब्बी को भी नौसेना में शामिल किया।

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