रूस में भारतीय पर्यटकों के साथ अपराधियों जैसा बर्ताव : फोन छीने, कमरे में किया बंद, पीएम मोदी से मदद की गुहार
इंस्टाग्राम पर बताया दुख
रूस में भारतीय पर्यटकों के साथ बुरा बर्ताव किए जाने का मामला सामने आया है। रूसी अधिकारियों ने भारत से गए पर्यटकों को मॉस्को हिरासत में ले लिया
मॉस्को। रूस में भारतीय पर्यटकों के साथ बुरा बर्ताव किए जाने का मामला सामने आया है। रूसी अधिकारियों ने भारत से गए पर्यटकों को मॉस्को हिरासत में ले लिया। हिरासत में लिए जाने के बाद इन लोगों के साथ उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया गया। इन लोगों को अच्छे से खाना नहीं दिया गया और एक छोटे कमरे में बंद रखा गया।
मॉस्को में रूसी अफसरों की हिरासत के बारे में अमित तंवर नाम के शख्स ने जानकारी दी है। उन्होंने भारत सरकार से दखल की अपील की है। अमित तंवर ने बताया है कि वे 11 और भारतीयों के साथ घूमने के लिए मॉस्को पहुंचे थे। उनके पास सभी जरूरी कागजात थे लेकिन सिर्फ तीन लोगों को ही जाने दिया गया। बाकी नौ लोगों को एयरपोर्ट पर रोक लिया गया। इसके बाद उनके साथ जो हुआ, वो किसी बुरे सपने से कम नहीं था। तंवर ने कहा कि इस घटना से उनका भारत-रूस की दोस्ती की बात से विश्वास उठ गया है।
इंस्टाग्राम पर बताया दुख
इंस्टाग्राम पर पोस्ट में तंवर ने आपबीती सुनाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय दूतावास से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया। तंवर के अनुसार, यह बुरा सपना 8 जुलाई को शुरू हुआ जब 12 पर्यटकों का समूह वैध दस्तावेजों के साथ मॉस्को पहुंचा। इनमें से तीन को मॉस्को आव्रजन विभाग ने अनुमति दी, जबकि उनको और आठ अन्य को रोक लिया। अमित तंवर ने बताया कि एक रूसी अधिकारी ने उनका पासपोर्ट ले लिया और दूसरे भारतीय यात्रियों के साथ एक छोटे कमरे में ले जाकर बैठा दिया गया। इमिग्रेशन अधिकारियों ने उनके मोबाइल फोन की देर तक जांच की। तंवर ने बताया कि रूसी अफसरों ने उनके सभी दस्तावेजों, यात्रा कार्यक्रमों और यहां तक कि मौजूद नकदी की भी जांच की।
हमें बेइज्जत किया जा रहा
अमित ने लिखा कि अधिकारियों ने आपस में सिर्फ रूसी भाषा में बात की और फिर बताया कि हमें निर्वासित किया जा रहा है। इस सबकी रूसी अधिकारियों की ओर से कोई स्पष्ट सूचना या जानकारी नहीं दी गई। हमारे साथ अपराधियों जैसा व्यवहार किया गया। हमारे साथ जो व्यवहार हुआ, वह पूरी तरह अमानवीय है। हमने मॉस्को में अपमानित महसूस किया। तंवर ने कहा कि हम हम यहां के अधिकारियों से इतने डरे हुए हैं कि हम शिकायत दर्ज कराने या सार्वजनिक रूप से बोलने से भी हिचकिचा रहे हैं। ऐसा करने पर हमें और लंबे समय तक हिरासत में रखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता है कि कोई दोस्त देश ऐसा बर्ताव कर सकता है।

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