पाकिस्तान के 4 अशांत इलाके : सेना के दमन और आर्थिक बदहाली के खिलाफ अवाम की उठी आवाजें, आजादी की मांग
सेना की नीतियों के खिलाफ लोग खुलकर सड़कों पर उतर आए हैं
इन क्षेत्रों में जनता आर्थिक बदहाली, संसाधनों की लूट और मानवाधिकार हनन से परेशान है।
इस्लामाबाद। पाकिस्तान इन दिनों आर्थिक संकट, महंगाई और राजनीतिक अस्थिरता से बुरी तरह जूझ रहा है। आईएमएफ के कर्ज पर चल रही सरकार जनता का भरोसा खोती जा रही है। अब देश के चार प्रमुख इलाके-पाक अधिकृत कश्मीर, बलूचिस्तान, गिलगित-बाल्टिस्तान और सिंध-सरकार और सेना की नीतियों के खिलाफ लोग खुलकर सड़कों पर उतर आए हैं। इन क्षेत्रों में जनता आर्थिक बदहाली, संसाधनों की लूट और मानवाधिकार हनन से परेशान है।
पीओके में जनविद्रोह
पाक अधिकृत कश्मीर में महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के खिलाफ अवामी एक्शन कमेटी के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर आंदोलन हो रहे हैं। सितंबर में शुरू हुए इन प्रदर्शनों में अब तक 12 लोगों की मौत और 200 से अधिक घायल हो चुके हैं। आंदोलनकारियों की प्रमुख मांगें हैं-बिजली दरों में कटौती, गेहूं पर सब्सिडी, स्थानीय राजस्व पर नियंत्रण और 12 रिजर्व सीटों की समाप्ति। सेना ने गोलीबारी, कर्फ्यू और इंटरनेट बंदी से आंदोलन दबाने की कोशिश की, लेकिन सोशल मीडिया के जरिए सच्चाई सामने आई और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान की किरकिरी हुई। समझौते के बावजूद स्थानीय लोग सरकार की नीयत पर भरोसा नहीं जता रहे हैं।
बलूचिस्तान में आजादी की मांग
संसाधनों से समृद्ध लेकिन विकास से वंचित बलूचिस्तान में दशकों से अलगाववादी आंदोलन जारी है। बलोच नेशनल मूवमेंट की रिपोर्ट के अनुसार, 2025 के पहले छह महीनों में 785 लोगों को जबरन गायब किया गया और 121 की हत्या हुई। खुफिया एजेंसियों और सुरक्षा बलों पर मानवाधिकार उल्लंघन के गंभीर आरोप हैं। स्थानीय जनता का कहना है कि गैस, कोयला और खनिज संपदा का शोषण किया गया, लेकिन उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार नहीं मिला। महिला कार्यकर्ता करीमा बलोच का पुराना बयान-हमारे बच्चों को उठाया जाता है, हमारे संसाधन छीने जाते हैं, और हमें ही आतंकवादी कहा जाता है-आज भी आंदोलन की आवाज बना हुआ है।

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