नेपाल के पूर्व पीएम केपी शर्मा ओली ने बनाई खुद की आर्मी, चुनाव से पहले सिक्योरिटी यूनिट बनाने का ऐलान

समानांतर सेना बनाने की कोशिश 

नेपाल के पूर्व पीएम केपी शर्मा ओली ने बनाई खुद की आर्मी, चुनाव से पहले सिक्योरिटी यूनिट बनाने का ऐलान

नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने सरकारी सुरक्षा व्यवस्था की नाकामी का हवाला देते हुए अपनी पार्टी सीपीएन-यूएमएल के तहत नई सुरक्षा यूनिट बनाने की घोषणा की, जिससे समानांतर सेना खड़ी करने की आशंका बढ़ी है। हालिया झड़पों और चुनावी तनाव के बीच नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल ने 2026 के आम चुनावों में आर्मी तैनात करने की सिफारिश की है।

काठमांडू। नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने देश के लोगों, मीडिया और प्रोफेशनल्स को सुरक्षा देने के लिए अपनी पार्टी के तहत एक नई सुरक्षा यूनिट बनाने की घोषणा की है। पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में सुरक्षा सुनिश्चित करने में सरकार की नाकामी को देखते हुए नेशनल वॉलंटियर सर्विस बनाई गई थी। कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-यूनिफाइड मार्क्सिस्ट लेनिनिस्ट का यह कदम सितंबर में युवाओं के विरोध प्रदर्शन के बाद ओली के इस्तीफे के लगभग दो महीने बाद आया है। यह कदम दक्षिणी नेपाल में सीपीएम-यूएमएल कैडर और युवा प्रदर्शनकारियों के बीच दो दिनों तक चली झड़पों के बाद भी आया है। इसीलिए सवाल ये उठ रहे हैं कि क्या केपी शर्मा ओली अपनी सेना बनाने की कोशिश तो नहीं कर रहे हैं?

चुनाव के दौरान आर्मी तैनात का सुझाव :

देश में सिक्योरिटी की स्थिति का रिव्यू करते हुए, नेपाल की नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल ने शुक्रवार को सरकार को 5 मार्च 2026 को होने वाले आम चुनाव के दौरान सिक्योरिटी पक्का करने के लिए आर्मी तैनात करने का सुझाव दिया है। डिफेंस सेक्रेटरी सुमन राज आर्यल के एक बयान के मुताबिक, चुनाव को फ्री, फेयर और बिना डरे कराने के मकसद से ये सुझाव दिए गए थे।

समानांतर सेना बनाने की कोशिश :

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इसके अलावा गृह मंत्रालय ने चुनावों के लिए एक इंटीग्रेटेड सिक्योरिटी प्लान को पहले ही मंजूरी दे दी है और इसे लागू करने के लिए सभी 77 जिला एडमिनिस्ट्रेशन ऑफिस में भेज दिया है। लेकिन ओली की अपनी सुरक्षा यूनिट बनाने को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। सवाल ये है कि क्या ओली, देश की सरकार के अलावा अपनी समानांतर सेना बनाने की कोशिश तो नहीं कर रहे हैं, क्योंकि माओवादी नेता अगर ऐसा करते हैं तो फिर ये देश की सत्ता को चुनौती होगी। यानि एक तरफ सरकार सेना को सक्रिय करना चाहती है, जबकि दूसरी तरफ विपक्ष अपने खुद के सुरक्षा ढांचे के साथ मैदान में उतर रहा है, जो देश में गृहयुद्ध का रास्ता खोल सकता है।

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