यूएई समर्थित सेना का दक्षिण यमन पर पूर्ण अधिकार, सऊदी अरब को करारा झटका 

दक्षिण यमन में सत्ता परिवर्तन से क्षेत्रीय भूचाल

यूएई समर्थित सेना का दक्षिण यमन पर पूर्ण अधिकार, सऊदी अरब को करारा झटका 

यूएई समर्थित सेना ने दक्षिण यमन के सभी आठ गवर्नरेट्स पर कब्जा कर लिया है, जिससे नए देश के गठन की संभावनाएं तेज हो गई हैं। सऊदी अरब ने अपने सैनिक वापस बुला लिए हैं, जबकि क्षेत्र में तनाव और भू-राजनीतिक हलचल बढ़ गई है।

सना। संयुक्त अरब अमीरात समर्थित सेना ने दक्षिण यमन पर पूरी तरह से कब्जा कर लिया है, जिसके बाद अब एक नए देश का ऐलान हो सकता है। ये एक बहुत बड़ा जियो-पॉलिटिकल भूकंप की तरह है, क्योंकि अब दक्षिण यमन आजादी का ऐलान कर सकता है और 1960 के बाद पहली बार यमन दो देशों में बंट जाएगा। पिछले हफ्ते सदर्न ट्रांजिशनल काउंसिल के करीब 10,000 सैनिक तेल के भंडार वाले क्षेत्र हद्रामौत गवर्नरेट में और बाद में ओमान की सीमा से लगे कम आबादी वाले माराह गवर्नरेट में घुस गए, जो पहले उनके कंट्रोल में नहीं था।

सऊदी अरब के पैरों तले खिसकी जमीन

सऊदी अरब के लिए ये घटना पैरों तले जमीन खिसकने जैसा है, जो पहले यमन में मुख्य बाहरी एक्टर था। सऊदी अरब ने अब दक्षिणी राजधानी अदन में प्रेसिडेंशियल पैलेस और एयरपोर्ट से भी अपने सैनिकों को वापस बुला लिया है। एक न्यूज चैनल की रिपोर्ट के मुताबिक, सऊदी अरब का दक्षिणी यमन से अपनी सेना को बुलाने का मतलब ये हुआ कि सऊदी अरब ने, मान्यता प्राप्त यमन सरकार के अंदर जिन सेनाओं का समर्थन किया था।

एक अलग राज्य घोषित करना हो सकता है जोखिम भरा 

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हालांकि, कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि तत्काल दक्षिण यमन को एक अलग राज्य घोषित करना एक जोखिम भरा पॉलिटिकल कदम होगा, क्योंकि दूसरे देशों ने भी यह रास्ता चुना है, जिसमें वेस्टर्न सहारा भी शामिल है, लेकिन बाद में वो कामयाब नहीं हो पाए। जैसे मोरक्को से अलग होने के बाद वेस्टर्न सहारा ने सोचा था कि उसके पास डिप्लोमैटिक सपोर्ट है, लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं हो पाया। इसीलिए शायद इस कदम को उठाने पर विचार कर सकता है कि वह मध्यावधि में उत्तरी यमन से आजादी के लिए किसी तरह का रेफरेंडम कराए। फिर भी अंत में उसका भविष्य संयुक्त अरब अमीरात के फैसले पर ही निर्भर करेगा।

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आपको बता दें कि साल 2015 में यमन की राजधानी सना पर हूती विद्रोहियों के कब्जे के बाद दक्षिणी यमन में एक अस्थायी गठबंधन बना था, जिसमें सऊदी समर्थित इस्लाह पार्टी शामिल था। लेकिन यह गठबंधन शुरू से ही असहज था और अब यूएई समर्थित पार्टी की जीत हुई है। फिलहाल अब राष्ट्रपति रशाद अल-अलीमी, सऊदी अरब जाकर पश्चिमी राजनयिकों से समर्थन मांग रहे हैं और एसटीसी दक्षिण यमन को खाली करने की अपील कर रहे हैं, जिसे मानने से एसटीसी ने इनकार कर दिया है। 

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दक्षिण यमन के सभी आठ गवर्नरेट्स पर कब्जा 

ऐसा पहली बार हुआ है जब एसटीसी ने दक्षिण यमन के उन सभी आठ गवर्नरेट्स पर कब्जा जमा लिया है, जो 1960 के दशक में स्वतंत्र दक्षिण यमन का हिस्सा थे। इस घटना के बाद पूरी संभावना है कि बहुत जल्द दक्षिणी यमन आजादी का ऐलान कर सकता है, जो सऊदी अरब के लिए बहुत बड़ा झटका होगा, जबकि यूएई के लिए बहुत बड़ी डिप्लोमेटिक जीत होगी। वहीं, ओमान सीमा पर भी तनाव काफी बढ़ गया है। हालांकि ओमान ने कुछ समय के लिए अपनी सीमा बंद कर दी थी।

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