
अशोक गहलोत तक पहुंची प्रोटोकॉल नजरअंदाज करने की शिकायतें
कार्रवाई नहीं होने पर मामला अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तक पहुंचाया
प्रदेश के सरकारी नुमाइंदों ने जनप्रतिनिधियों को मिलने वाले प्रोटोकॉल को नजरअंदाज कर दिया।
जयपुर। प्रदेश के सरकारी नुमाइंदों ने जनप्रतिनिधियों को मिलने वाले प्रोटोकॉल को नजरअंदाज कर दिया। पिछले तीन साल में 45 विधायकों और सांसदों ने इसकी शिकायत प्रशासनिक सुधार विभाग को भेजी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होने पर मामला अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तक पहुंचाया गया है, जिन जनप्रतिनिधियों को सरकारी कार्यक्रमों के आमंत्रण से दूर रखा, उनमें अधिकांश भाजपा के विधायक अथवा सांसद हैं। शिकायत है कि कइयों को तीन साल में एक बार आमंत्रित नहीं किया।
सवा दो साल पहले जारी किया था परिपत्र
सरकारी समारोहों में जनप्रतिनिधियों को आमंत्रित नहीं करने की शिकायतें प्राप्त होने पर पूर्व मुख्य सचिव डीबी गुप्ता ने एक परिपत्र जारी कर बताया कि बार-बार निर्देशों के बाद भी जनप्रतिनिधियों की ओर से मिलने वाली शिकायतों से स्पष्ट होता है कि अधिकारियों की ओर से राज्य सरकार के आदेशों की पालना में लापरवाही बरती जा रही है, जो कि गंभीर विषय है। चेतावनी भी दी गई कि आदेशों की पालना नहीं करने पर राजस्थान सिविल सेवाएं आचरण नियम 1971 के प्रावधानों का उल्लंघन मानते हुए अनुशासनात्मक कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
विधानसभा में भी उठा मामला
विधानसभा के गत सत्र के दौरान भी ध्यानाकर्षण के जरिए यह मामला उठाया गया, जिसके बाद मुख्य सचिव उषा शर्मा ने परिपत्र जारी कर निर्देश दिए कि सरकारी समारोहों में जनप्रतिनिधियों को आवश्यक आमंत्रित किया जाए। किसी भी शिला पट्टिका पर अधिकारी का नाम नहीं हो। इस मामले में अधिकारियों की अनियमितता सामने आती है, तो उन पर कार्रवाई होगी। जनप्रतिनिधियों के पत्रों पर तत्काल जवाब भिजवाने के भी निर्देश दिए।
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