मालदीव से संबंध मजबूत हो, सतर्कता जरूरी

मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद भारत आए

मालदीव से संबंध मजबूत हो, सतर्कता जरूरी

सुरक्षा बलों को 24 वाहन और एक नौ सैनिक पोत देने, इकसठ द्वीपों में स्थानीय पुलिस के बुनियादी ढांचे को विकसित करने जिनमें माले के कुछ स्थानीय द्वीपों को जोड़ने के लिए 6 Þ74 किलोमीटर लंबे पुल और सेतु लिंक निर्माण की परियोजना, ग्रेटर माले में चार हजार आवास इकाइयों के निर्माण के अलावा भारत दो हजार और आवासों के निर्माण के लिए उसकी वित्तीय सहायता देगा

भारत-मालदीव संबंधों को और मजबूती देने के उद्देश् से पिछले सप्ताह मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद भारत आए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हुई द्विपक्षीय बातचीत के बाद दोनों देशों के बीच साइबर सुरक्षा, आपदा प्रबंधन सहित कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए छह महत्वपूर्ण समझौते हुए। इस क्रम में भारत ने मालदीव में ढांचे से जुड़ी कई परियोजनाओं को समय पर पूरा करने के लिए दस करोड़ की वित्तीय सहायता मंजूर की है। सुरक्षा बलों को 24 वाहन और एक नौ सैनिक पोत देने, इकसठ द्वीपों में स्थानीय पुलिस के बुनियादी ढांचे को विकसित करने जिनमें माले के कुछ स्थानीय द्वीपों को जोड़ने के लिए 6 Þ74 किलोमीटर लंबे पुल और सेतु लिंक निर्माण की परियोजना, ग्रेटर माले में चार हजार आवास इकाइयों के निर्माण के अलावा भारत दो हजार और आवासों के निर्माण के लिए उसकी वित्तीय सहायता देगा। हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता से बन रहे चिंताजनक हालात को देखते हुए दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों की मजबूती अब अहम हो गई है। भारत की यह खासियत रही है कि वह आर्थिक चुनौतियों के बावजूद अपनी ‘पड़ोस पहले’ वाली विदेश नीति पर कायम है। इसके तहत वह क्षेत्र में बतौर बड़े भाई की भूमिका का बखूबी निर्वहन भी कर रहा है। गहरे आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका की उसने हर संभव मदद की और आगे भी कर रहा है।

जहां तक सवाल है मालदीव की मदद करने का, तो भारत आजादी के बाद से निरंतर और कुशलता के साथ अपने पड़ोसी धर्म का निर्वहन करता आया है, लेकिन उसे यह भी समझना होगा कि सोलिह की यह यात्रा ऐसे समय पर हो रही है, जब वहां की अंदरूनी सियासत में काफी खींचतान चल रही है। अगले साल वहां चुनाव भी होने वाले हैं। यह भी तय है कि इन चुनावों में मुख्य मुद्दा भारत और चीन के साथ संबंधों को लेकर बनने वाला है। ऐसे में भारत को मदद देने के साथ पूरी तरह से सतर्क रहना भी जरूरी है।

इसमें कोई दोराय नहीं है कि सोलिह सरकार की ‘इंडिया फर्स्ट नीति’ द्विपक्षीय संबंधों में एक वास्तविक गेम चेंजर रही है। लेकिन यह भी उतना ही सत्य है कि वहां ऐसे भी तत्व सक्रिय हैं, जो चीन के समर्थक हैं। इसके अलावा इस्लामी कट्टरवाद की आड़ लेकर विपक्षी दल अपने मंसूबों को पूरा करने में लगे हैं। जून माह में वहां भारतीय दूतावास की ओर से माले में आयोजित अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर कुछ इस्लामी कट्टरवादियों ने व्यवधान पैदा किया। वे अपने इरादों को कामयाब बनाने में किसी भी हद तक जा सकते हैं। सोलिह सरकार और भारत के बीच हुए रक्षा संबंधों के खिलाफ  पूर्व राष्टÑपति अब्दुल्ला यामीन ने ‘इंडिया आउट अभियान’ छेड़ दिया था। जिस पर सोलिह सरकार ने भारत विरोधी प्रदर्शनों पर रोक लगा दी है। उन्होंने इस अभियान को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बताया है। सरकार का कहना था कि संविधान के तहत हर किसी को विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मिली हुई है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि एक महत्वपूर्ण पड़ोसी के खिलाफ जहर उगला जाए और उसके खिलाफ षड़यंत्र किया जाए। यह लोकतांत्रिक मूल्यों के विपरीत है। लेकिन मालदीवियन पार्टी के भीतर चल रहे अंतर्द्वंद्व में इन दिनों सोलिह और नदीम आमने-सामने हैं। इस क्रम में एक ओर उठाया गया कदम, पूर्व राष्ट्रपति और भारत समर्थक नेता मोहम्मद नशीद ने ‘इंडिया आउट अभियान’ के उन बैनर्स को भी हटाने की मांग रखी थी जो कि पूर्व राष्ट्रपति यामीन के घर के बाहर लगे थे, जिन्हें बाद में मालदीव पुलिस ने हटा दिया था। इस भारत विरोधी ‘इंडिया आउट अभियान’ को पिछले साल के अंत में, जेल से छूटने के बाद पूर्व राष्ट्रपति यामीन ने छेड़ रखा था। वे अपने शासन में चीन समर्थक और ‘चाइना फर्स्ट की नीति’ के पोषक रहे हैं। वे इस अभियान के जरिए अपने समर्थन में माहौल बनाने की भरपूर कोशिशों में अब भी जुटे हुए हैं।

पिछले सप्ताह दोनों नेताओं के बीच हुए वार्ता के दौर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिंद महासागर क्षेत्र में अंतरराष्टÑीय अपराध, आतंकवाद और मादक पदार्थों की तस्करी के गंभीर खतरे की ओर ध्यान खींचा है। तो मालदीव के राष्ट्रपति सोलिह ने मालदीव को सदैव भारत का सच्चा दोस्त बताते हुए क्षेत्र में शांति और विकास में सहयोग में उसकी अहम भूमिका भूमिका बताई। वहीं उन्होंने कोविड संकट दौरान भारत की ओर से बरते गए उदार रवैये के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। यह भी बता दें कि कुछ माह पूर्व ही भारत के नए चीफ ऑफ नेवल स्टाफ  आर. हरी कुमार ने कार्यभार संभालते ही अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए मालदीव को ही चुना था। यात्रा दौरान वे राष्ट्रपति, विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री और चीफ ऑफ डिफेंस फोर्स से मिले थे।

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(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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