वंचित लोगों तक पहुंचने के लिए व्यावहारिक नीति की आवश्यकता: मोदी

'छोटे कारीगर स्थानीय शिल्प के उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं'

वंचित लोगों तक पहुंचने के लिए व्यावहारिक नीति की आवश्यकता: मोदी

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस श्रमिक वर्ग ने सदियों से पारंपरिक तरीकों का उपयोग करने के अपने शिल्प को संरक्षित किया है और वे अपने असाधारण कौशल व अनूठी रचनाओं के साथ अपनी पहचान बना रहे हैं।

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि सरकार देश के दूर-दराज के इलाकों में लोगों तक पहुंचने की कोशिश कर रही है और उनमें से कई लोगों को पहली बार सरकारी योजनाओं का लाभ मिल रहा है। अधिकांश कारीगर दलित, आदिवासी, पिछड़े समुदायों से हैं या महिलाएं हैं और उन तक पहुंचने तथा उन्हें लाभ प्रदान करने के लिए एक व्यावहारिक रणनीति की आवश्यकता होगी।

मोदी ने शनिवार को प्रधानमंत्री विश्वकर्मा कौशल सम्मान पर बजट पश्चात वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा कि वंचित लोगों तक पहुंचने के लिए एक समयबद्ध मिशन मोड में काम करना होगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना का उद्देश्य कारीगरों और छोटे व्यवसायों से जुड़े लोगों की मदद करना है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि छोटे कारीगर स्थानीय शिल्प के उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पीएम विश्वकर्मा योजना उन्हें सशक्त बनाने पर केंद्रित है। योजना का उद्देश्य पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों की समृद्ध परंपराओं को संरक्षित करते हुए उनका विकास करना है। भारत की विकास यात्रा के लिए गांव के हर वर्ग को उसके विकास के लिए सशक्त बनाना आवश्यक है। देश के विश्वकर्माओं की जरूरतों के अनुसार अपने कौशल बुनियादी ढांचे को फिर से तैयार करने की आवश्यकता है।

कारीगरों और शिल्पकारों को मूल्य श्रृंखला का हिस्सा बनने पर मजबूत किया जा सकता है। यह वेबिनार केंद्रीय बजट 2023-24 में घोषित पहलों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए  आयोजित 12 बजट पश्चात वेबिनार की श्रृंखला का अंतिम है।

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उन्होंने कहा कि बढ़ई, लुहार, मूर्तिकार, राजमिस्त्री और कई अन्य कारीगरों के कई वर्गों की उपेक्षा की गई, जबकि यह समाज के अभिन्न अंग है तथा समाज के मजबूती में योगदान देते हैं। उन्होंने खेद व्यक्त किया कि इस कुशल कार्यबल को लंबे समय तक उपेक्षित किया गया था और गुलामी के लंबे वर्षों के दौरान उनके काम को गैर-महत्वपूर्ण माना गया था। भारत की स्वतंत्रता के बाद भी उनकी बेहतरी के लिए  सरकार की ओर से कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया और परिणामस्वरूप, कौशल एवं शिल्प कौशल के कई पारंपरिक तरीकों को परिवारों ने छोड़ दिया ताकि वे कहीं और जीवन यापन कर सकें। 

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प्रधानमंत्री ने कहा कि इस श्रमिक वर्ग ने सदियों से पारंपरिक तरीकों का उपयोग करने के अपने शिल्प को संरक्षित किया है और वे अपने असाधारण कौशल व अनूठी रचनाओं के साथ अपनी पहचान बना रहे हैं। कुशल कारीगर आत्मनिर्भर भारत की सच्ची भावना के प्रतीक हैं और हमारी सरकार ऐसे लोगों को नए भारत का विश्वकर्मा मानती है। उन्होंने बताया कि पीएम विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना विशेष रूप से उनके लिए शुरू की गई है, जहां गांवों और कस्बों के उन कुशल कारीगरों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है, जो अपने हाथों से काम करके अपना जीवनयापन करते हैं।

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