कई महीनों से एमबीएस के हॉस्टल में रह रहा है बारहसिंगा, कॉरिडोर में घूमता है बेधड़क
कई बार उच्चाधिकारियों को भी सूचना दी लेकिन इसे रेस्क्यू करने की दिशा में कोई प्रयास नहीं किए गए।
कोटा। जेकेलॉन अस्पताल के पीछे स्थित एमबीएस के रेजीडेंट डॉक्टरों के पीजी हॉस्टल में शनिवार दोपहर को बारहसिंगा नजर आने से हड़कम्प मच गया। सूचना पर पहुंची वन्यजीव विभाग की टीम ने उसे रेस्क्यू करने का प्रयास किया लेकिन वह चमका देकर हॉस्टल में खाली पड़े कमरों में कहीं छिप गया। इस बीच अंधेरा होने के कारण उसे रेस्क्यू नहीं किया जा सका।
चकमा देकर भाग गया बारहसिंगा
वन्यजीव विभाग से मिली जानकारी के अनुसार शाम 4 बजे करीब सूचना मिली थी। इस पर चिकित्सक डॉ. विलासराव गुलहाने के नेतृत्व में चार सदस्यी टीम मौके पर पहुंची। गर्ल्स हॉस्टल के पीछे जंगल में बारहसिंगा दिखाई दिया। जिसे ट्रैंकुलाइज करने का प्रयास किया लेकिन वह जंगल में जाकर छिप गया। आधे घंटे के बाद नजर आया लेकिन डॉट मारने से पहले ही वह दीवार फांदकर ब्यॉज हॉस्टल में चला गया। जहां खाली पड़े कमरों में जाकर छिप गया। इस बीच अंधेरा होने के कारण टीम रेस्क्यू अभियान रोक कर वापस लौट आई।
लम्बे समय से हॉस्टल में रह रहा था
एमबीएस के पीजी हॉस्टल में रेजीडेंट्स के तीन हॉस्टल हैं। रेजीडेंट्स ने बताया कि बारह सिंगा पिछले 4-5 माह से हॉस्टल में रह रहा है। पीजी-3 में मैस के पीछे जंगल है, जहां उसका मूवमेंट बना रहता है। हॉस्टल में बचाकुछा खाना खाता है और कॉरिडोर में बेधड़क घूमता है। कई बार उच्चाधिकारियों को भी सूचना दी लेकिन इसे रेस्क्यू करने की दिशा में कोई प्रयास नहीं किए गए। हालांकि, बारह सिंगा ने अब तक किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया।
हॉस्टल में ही छोटे से बड़ा हो गया
नाम न छापने की शर्त पर रेजीडेंट डॉक्टर्स ने बताया कि करीब पांच माह पहले पीजी- 3 हॉस्टल में स्थित मैस के पीछे जंगल में नजर आया था। तब वह काफी छोटा था। उसके बाद से अब तक वह यही रहता है। उसका मूवमेंट गर्ल्स हॉस्टल व वैक्सीनेशन भंडार के पीछे स्थित जंगल में रहता है। यहां हॉस्टल परिसर व कोरिडोर में घूमता रहता है, रेजीडेंट उसे खाना भी खिलाते हैं और वह उनके साथ घुलमिल गया है। उसने अभी तक किसी को कोई हानी पहुंचाई। हॉस्टल के आसपास का जंगल उसके लिए महफूज है।
ट्रैंकुलाइज के लिए दिया था डॉट
बारहसिंगा का वजन करीब 3 क्विंटल है। हॉस्टल के पीछे जंगल में था। ट्रैंकुलाइज करने के लिए उसे 5 एमएल का डॉज भी दिया था, फिर उसके बेहोश होने का इंतजार किया लेकिन वह थोड़ी देर में दीवार फांदकर जंगल में जाकर कहीं छिप गया। वहीं, अंधेरा होने के कारण रेस्क्यू अभियान रोकना पड़ा। रेजीडेंटर्स ने बताया कि वह लंबे समय से यहां रह रहा है और सभी के साथ फैमलियर है। उससे किसी को नुकसान नहीं है। हालांकि, दोबारा शिकायत मिलने पर उच्चाधिकारियों के मार्गदर्शन पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
- डॉ. विलास राव गुल्हाने, वरिष्ठ वन्यजीव चिकित्सक, अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क
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