आंख पर काली पट्टी बांध तलवार से काट देती है केला
उत्साह से लबरेज है दुर्गावाहिनी अखाड़ा
लड़कियां अनन्तचतुर्दशी पर निकाले जाने वाले अखाड़े को लेकर काफी उत्साहित हैं।
कोटा। महिला अखाड़े कि बात करें और दुर्गावाहिनी अखाड़ा कि बात ना हो ऐसा हो नहीं सकता। स्टेशन क्षेत्र के सोगरिया इलाके में स्थित दुर्गावाहिनी अखाड़ा शहर कि आबोहवा से दूर अनन्तचतुर्दर्शी कि तैयारियों में पूरे जोर शोर से लगा हुआ है। यहां 30 से ज्यादा लडकियां और महिलाएं अपनी कलाबाजियों के प्रदर्शन को गुजरते हुए हर सैकण्ड के साथ बेहतर बनने में जुटी हुई हैं। बात हो आंखों पर पट्टी बांध कर तलवार से साथी के पेट पर रखे केले को एकदम सफाई से काटने की या कीलें लगे हुए लकड़ी के फट्टे पर लेटकर सीने पर पत्थर को हथोड़े से फोड़ना यहां कि लड़कियां हर उस करतब को पूरी ताकत और बिना किसी डर के कर रहीं हैं जिसे देखने भर से ही लोगों के रोंगटे खड़े हो जाएं। अखाडेÞ के संचालक तारा सिंह व महिला उस्ताद पूष्पा सोनी ने बताया कि लड़कियां अनन्तचतुर्दशी पर निकाले जाने वाले अखाड़े को लेकर काफी उत्साहित हैं।
लड़कियां भी वो सब कर सकती हैं जो लड़के कर सकते हैं
वहीं लडकियों के अखाड़ा खेलने के सवाल पर उन्होंने कहा कि वो लड़कियों के माता पिता को इस बात के लिए समझाते हैं कि लड़कियां भी वो सब कर सकती हैं जो लड़के कर सकते हैं। हमारी लड़किया बंदूकस गदा, तलवार सब चला रही हैं। इसके लिए मानसिक संतुलन, शारीरिक संतुलन और धैर्य जरूरी है। अगर आज लड़कियो खुद सशक्त और हर क्षेत्र में सक्षम बनेगी तो वो हर परिस्थिति का सामना कर पाएंगी। वहीं बालिका किरण से बात करने पर उन्होंने बताया कि शुरूआत में तो परिवार को डर लगता था और मुझे भी हिचकिचाहट होती थी लेकिन अब इतने हैरतगैंज करतबों को देख कर हमारे साथ साथ घर वालों को भी खुशी होती है। अन्य बालिका ज्योति का कहना है कि ये उन्हें जीवन में आगे बढ़ने और देश के लिए कुछ अच्छा करने का हौसला देता है। हम साल भर अनन्तचतुर्दर्शी और नवरात्रों का इन्तजार करते हैं। कब हम इन अस्त्रों के साथ करतब दिखा सकें।
छोटी सी गलती पड़ सकती है भारी
अखाड़े की उस्ताद पुष्पा सोनी बताती हैं कि लड़कियां हर दिन अभ्यास करने में पसीना बहा रही हैं । हर छोटी से छोटी गलती को समझकर उसे ठीक कर रहीं हैं और नए तरह के करतबों को भी सीखने का प्रयास कर रहीं हैं। करतब दिखाते समय छोटी सी गलती भारी पड़ सकती है। इस बार अखाड़ों की प्रतियोगिता को जीतने में सफल हों। छोटी बच्ची से लेकर महिलाओं तक सभी अपनी कुशलता को परख रहीं हैं। आगे उस्ताद पूष्पा सोनी ने बताया कि इस अखाड़े कि शुरूआत उनके द्वारा ही 2001 में लड़कियों को सशक्त और शारीरिकता के हर क्षेत्र में सक्षम बनाने के उद्देश्य से की गई थी ताकि लडकियां किसी भी मुसीबत से अपने आप बाहर निकल आएं और महिलाओं के प्रति अपराध करने वालों को सबक सिखा सकें। वहीं संचालक तारा सिंह ने बताया कि अखाड़े का संचालन आदर्श सेवा संस्थान के द्वारा किया जाता है। जिसका सारा खर्चा समाजसेवीयों द्वारा दिए गए दान पर निर्भर है।

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