कोटा के 5 कॉलेजोें में नहीं लगती 13 विषयों की क्लास
कॉलेजों की क्वांटिटी बढ़ाने के चक्कर में घटा दी क्वालिटी
सरकार ने कॉलेजों की संख्या तो बढ़ा दी लेकिन उनमें शिक्षकों के रिक्त पद नहीं भरे।
कोटा। कोटा जिले के पांच राजकीय महाविद्यालयों में एक दर्जन से अधिक विषयों की कक्षाएं नहीं लगती है। जबकि, इन सब्जेक्ट में विद्यार्थियों की संख्या अधिक है। कॉलेज आयुक्तालय ने इस बार सरकारी कॉलेजों में विद्या संबल पर शिक्षक नहीं लगाए। जबकि, राजसेस सोसायटी द्वारा संचालित नए कॉलेजों में लगा दिए हैं। ऐसे में ग्रामीण इलाकों में चल रहे गवर्नमेंट कॉलेज शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं। इनमें राजकीय महाविद्यालय इटावा, सांगोद, कनवास, रामगंजमंडी शामिल हैं। वहीं, संभाग का सबसे बड़ा वाणिज्य महाविद्यालय कोटा में लंबे समय से बिजनेस एडमिनेस्ट्रेशन विषय का शिक्षक ही नहीं है। कक्षाएं नहीं लगने से विद्यार्थियों का न तो कोर्स पूरा हो पा रहा और न ही परीक्षा की तैयारी हो पा रही। जबकि आगामी जनवरी माह में यूजी प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा होनी है।
क्वांटिटी बढ़ाई, क्वालिटी घटाई
शिक्षाविद् बताते हैं, सरकार ने कॉलेजों की संख्या तो बढ़ा दी लेकिन उनमें शिक्षकों के रिक्त पद नहीं भरे। जिससे महाविद्यालयों का शैक्षणिक स्तर कमजोर हो गया। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा यहां शिक्षकों की भर्ती नहीं की जा रही। जिसका खामियाजा यहां अध्ययनरत विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा है। जिले के सरकारी महाविद्यालयों में सबसे ज्यादा आट्स के विषय अध्यापकों की कमी है। कहीं पोलिटिकल साइंस, ज्योग्राफी, अंग्रेजी तो कहीं इतिहास की क्लासें ही नहीं लगती। ऐसे में 10 से 15 किमी दूर से महाविद्यालय आने वाले विद्यार्थियों को मायूस लौटना पड़ता है। कोटा जिले के इटावा और हिंडौली राजकीय महाविद्यालयों में करीब ढाई साल से अंग्रेजी की कक्षाएं लगी ही नहीं। जबकि, दोनों कॉलेजों को मिलाकर 1000 से ज्यादा स्टूडेंटस का नमांकन रहता है। इटावा कॉलेज के पूर्व कार्यवाहक प्राचार्य नरेंद्र मीणा ने बताया कि यहां वर्ष 2021 तक अंग्रेजी के शिक्षक थे। उनका ट्रांसफर होने के बाद अंग्रेजी का दूसरा कोई शिक्षक नहीं लगाया गया। पूर्व में विद्या संबल योजना के तहत विज्ञप्ती भी निकाली थी लेकिन यूजीसी नियमानुसार नेट या सेट योग्यता निर्धारित होने से एक भी शिक्षक का आवेदन नहीं मिला। जिसके कारण क्लासें नहीं लग पाती। यही कहानी हिंडौली कॉलेज की भी है। यहां कार्यवाहक प्राचार्य रमेशचंद मीणा के अलावा वर्तमान में एक भी शिक्षक नहीं है।
ज्योग्राफी से इतिहास तक नहीं पढ़ पा रहे छात्र
कार्यवाहक प्राचार्य ललित नामा ने बताया कि कनवास आर्ट्स कॉलेज में वर्ष 2021 के बाद से ही ज्योग्राफी और राजनेतिक विज्ञान की फैकल्टी नहीं है। ऐसे में इन विषयों की कक्षाएं नहीं लग पाती। हालांकि, जिले के रे-सेंटर को पत्र लिखने पर 6 दिन के लिए संबंधित विषय के शिक्षक लगा दिए जाते हैं लेकिन निर्धारित दिन के बाद वापस कक्षाएं खाली रह जाती है। इस बार विद्या संबल पर भी शिक्षक नहीं लगाए गए, जिससे विद्यार्थियों की पढ़ाई का नुकसान होता है। प्राचार्य के पद पर रहते हुए मैं संस्कृत पढ़ा रहा हूं, लेकिन विद्यार्थियों को उतना समय नहीं दे पाता, जितना देना चाहिए। इस बीच प्रशासनिक कार्य भी करने पड़ते हैं।
विद्यार्थियों की पीड़ा-कैसे करें परीक्षा की तैयारी
राजकीय महाविद्यालय रामगंजमंडी के छात्र चेतन भार्गव का कहना है कि वे बीकॉम प्रथम वर्ष में अध्ययनरत हैं। यहां बिजनेस एडमिनेस्ट्रेशन की कक्षाएं नहीं लगती है। तीन माह बाद परीक्षा है, ऐसे में इसकी तैयारी नहीं हो पा रही। रिजल्ट बिगड़ने की आशंका लगी रहती है। वहीं, सांगोद कॉलेज के छात्र मुकेश नागर, कैलाश मीणा ने बताया कि घर से 15 किमी से कॉलेज आते हैं लेकिन यहां राजनेतिक विज्ञान , भूगोल पढ़ने को नहीं मिलती। ऐसे में कॉलेज जाने में समय व्यर्थ होता है। इटावा कॉलेज के भूदेव शर्मा, अखिलेश कुमार ने बताया कि कॉलेज में पिछले तीन सालों से अंगे्रजी के शिक्षक ही नहीं है। गवर्नमेंट कॉमर्स कॉलेज कोटा के छात्रसंघ अध्यक्ष अर्पित ने बताया कि यहां हर बार विद्यार्थी बिजनेस एडमिनेस्ट्रेशन का पेपर बिना पढ़े ही देते हैं क्योंकि यह विषय पढ़ाने वाले शिक्षक ही नहीं है। पूरे संभाग में इस विषय के बारां व जेडीबी वाणिजय में ही एक-एक शिक्षक हैं।
इन महाविद्यालयों में नहीं लगती इन विषयों की क्लास
कोटा जिले के ग्रामीण इलाकों में संचालित हो रहे राजकीय महाविद्यालयों में विद्यार्थियों की पढ़ाई भगवान भरोसे ही चल रही है। कनवास में राजनेतिक विज्ञान, भूगोल के शिक्षक नहीं है। इस तरह इटावा कॉलेज में अंग्रेजी, अर्थशास्त्र, संस्कृत, सांगोद में ज्योग्राफी, पोलिटिकल साइंस, होमसाइंस, रामगंजमंडी में इंग्लिश, हिन्दी, इतिहास तथा कॉमर्स संकाय में बिजनेस एडमिनेस्ट्रेशन व अर्थशास्त्र की शुरू से अब तक कक्षाएं नहीं लग पाई। ऐसे में दिसम्बर के अंत तक प्रस्तावित यूजी प्रथम सेमेस्टर की परीक्षाओं की तैयारी विद्यार्थियों के लिए चुनौति बनी हुई है।
रामगंजमंडी में 7 में से 2 ही विषयों की चलती कक्षा
राजकीय महाविद्यालय रामगंजमंडी के कार्यवाहक प्राचार्य प्रो. संजय गुर्जर बताते हैं, महाविद्यालय में 7 विषय स्वीकृत हैं, जिनमें से 5 विषयों के अध्यापकों के पद लंबे समय से रिक्त हैं। जिसकी वजह से आर्ट्स में अंग्रेजी, हिन्दी ,इतिहास और कॉमर्स में बिजनेस एडमिनेस्ट्रेशन व अर्थशास्त्र की कक्षाएं नहीं लग पाती। जबकि, संस्कृत और ज्योग्राफी की क्लास लगती है लेकिन संस्कृत में बच्चे कम है। ऐसे में मुख्य क्लास ज्योग्राफी की ही संचालित होती है। मैं स्वयं विद्यार्थियों को ज्योग्राफी पढ़ाता हूं। लेकिन, मुख्य पांच विषयों की क्लास नहीं लगने पर दुख होता है। कॉलेज आयुक्तालय को भी इस संबंध में कई बार पत्र लिखे लेकिन समाधान नहीं हुआ।
यह कहते हैं स्टूडेंट
कॉलेजों में स्टाफ नहीं होने के चलते विद्यार्थियों को पढ़ाई के अलावा भी अन्य कई कार्याे में परेशान होना पड़ता है। छात्रवृति से संबंधित कई काम पेंडिंग रह जाते हैं।
- मोहित गुर्जर, छात्र, गवर्नमेंट कॉमर्स कॉलेज
विषयवार शिक्षकोें की कमी से सिलेबस पूरे होना तो दूर की बात परीक्षा का पैटर्न समझाने वाला भी कोई नहीं है। अंगे्रजी, राजनेतिक विज्ञान विषय लिया लेकिन कक्षाएं नहीं लगने से पेपर की तैयारी नहीं हो पा रही।
- मनीष कुमार, छात्र, इटावा
महाविद्यालय में विषय अध्यापकों के पद लंबे समय से खाली हैं, जिसकी वजह से राजनेतिक विज्ञान व ज्योग्राफी का कलांश खाली ही रहता है। हालांकि, रे-सेंटर से 6 दिन के लिए शिक्षक मिल जाते हैं लेकिन यह स्थाई समाधान नहीं है। इसके बाद क्लासें फिर से खाली हो जाती है। कम संसाधनों के बावजूद हमारे स्तर पर व्यवस्थाएं सुचारू रखने के प्रयास कर रहे हैं।
- प्रो. ललित नामा, कार्यवाहक प्रचार्य, राजकीय कनवास कॉलेज
कॉलेज में शिक्षकों के 9 पद स्वीकृत हैं, जिनमें 5 पद रिक्त चल रहे हैं। जबकि, 3 ही पद ही भरे हैं। यहां 2 ही विषय संस्कृत और ज्योग्राफी की ही कक्षाएं लग पाती है बाकि के पीरियड खाली रहते हैं। इस बार आयुक्तालय ने विद्या संबंल पर भी शिक्षक नहीं लगाए। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई का नुकसान हो रहा है। परीक्षा की तैयारी कराना चुनौती बन रही है।
- प्रो. संजय गुर्जर, कार्यवाहक प्रचार्य, राजकीय रामगंजमंडी महाविद्यालय
संभाग में राजसेस सोसायटी के अधीन संचालित कॉलेजों में विद्या सम्बल पर शिक्षक लगा दिए हैं। शीघ्र ही आयुक्तालय द्वारा प्रिंसिपल भी लगाए जाएंगे, इसकी प्रक्रिया जारी है। वहीं, गवर्नमेंट कॉलेजों में सरकार द्वारा आरपीएससी के माध्यम से शिक्षकों के रिक्त पद भरे जाएंगे।
- डॉ. रघुराज सिंह परिहार, क्षेत्रिय सहायक निदेशक, कॉलेज आयुक्तालय
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