पिछली बार बागियों ने बना दिया कांग्रेस का खेल इस बार फिर बागियों पर नजर

पिछली बार बागियों ने बना दिया कांग्रेस का खेल इस बार फिर बागियों पर नजर

राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस के 15 बागी निर्दलीय उतरकर पार्टी प्रत्याशी के लिए चुनौती बने थे। इनमें से 11 चुनाव जीतकर विधानसभा भी पहुंचे।

जयपुर। राजस्थान विधानसभा चुनाव में इस बार भी कांग्रेस और भाजपा के सामने पार्टी के ही बागी नेताओं की चुनौती हुई है। हांलाकि यह चुनौती दूर करने के लिए पार्टी के रणनीतिकार काम में जुटे हुए हैं,लेकिन पार्टी इन बागियों की सभी गतिविधियों का सियासी नफा नुकसान के हिसाब से आंकलन कर रही है। पिछली बार राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के बागी नेताओं ने ही कांग्रेस का खेल बना दिया था। 

राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस के कई नेता पार्टी टिकट नहीं मिलने पर बागी हो गए थे और निर्दलीय मैदान में उतर गए थे। पार्टी ने इन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई कर पार्टी से इनकी सदस्यता छह साल के लिए निलम्बित भी कर दी थी। चुनाव परिणाम में कांग्रेस बहुमत के बिल्कुल नजदीक आकर रुकी तो सरकार बनाने में बागी बनकर चुनाव जीतने वाले ये नेता ही कांग्रेस का खेल बनाने में मुख्य भूमिका में दिखे। इस बार भाजपा और कांग्रेस से बागी होकर करीब 50 नेता चुनावी मैदान में हैं। कई ऐसे नेता भी हैं, जो पार्टी प्रत्याशी की जीत का गणित बिगाड़ते हुए नजर आ रहे हैं। यही वजह है कि राजस्थान में इस बार निर्दलीयों की वजह से चुनावी टक्कर का अलग माहौल बन गया है। करीब 120 सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर है,जबकि 68 सीटों पर त्रिकोणीय, 11 सीटों पर चतुष्कोणीय और एक सीट पर पंचकोणीय मुकाबला बना हुआ है।

पिछली बार 15 बागी उतरे थे मैदान में
राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस के 15 बागी निर्दलीय उतरकर पार्टी प्रत्याशी के लिए चुनौती बने थे। इनमें से 11 चुनाव जीतकर विधानसभा भी पहुंचे। कांग्रेस के बागियों में 90 प्रतिशत चुनाव जीतने में सफल हुए। पिछले चुनाव में कुल 13 निर्दलीयों में से 11 कांग्रेस के बागी चुनाव जीते थे। चुनाव परिणाम के बाद जब कांग्रेस 99 सीटों पर अटककर बहुमत से एक सीट पीछे रह गई तो इन निर्दलीय विधायकों से समर्थन हासिल कर ही कांग्रेस ने सरकार का बहुमत तैयार किया। 

ये बागी जीते 2018 में चुनाव
राजकुमार गौड गंगानगर, महादेव सिंह खंडेला, बाबूलाल नागर दूदू, बलजीत यादव बहरोड़, खुशवीर सिंह जोजावर मारवाड जंक्शन, संयम लोढ़ा सिरोही, रमिला खडिया कुशलगढ़, लक्ष्मण मीणा बस्सी, आलोक बेनीवाल शाहपुरा(जयपुर), रामकेश मीणा गंगापुरसिटी और कांति प्रसाद मीणा थानागाजी निर्दलीय चुनाव जीते और कांग्रेस सरकार को समर्थन दिया। 

इस बार इन बागियों पर नजर
इस बार भी चुनाव बडा रोचक है। विधानसभा चुनाव 2023 में बगावत दिखाने वाले बागियों में सरदारशहर से नगर परिषद सभापति राजकरण चौधरी, हिण्डौनसिटी से पूर्व विधायक के बेटे बृजेश जाटव, मनोहरथाना से पूर्व विधायक कैलाश मीणा, बाडी सादडी से पूर्व विधायक प्रकाश चौधरी, पीपलदा से देहात जिलाध्यक्ष सरोज मीणा, छबड़ा से नरेश मीणा, कामां से कांग्रेस नेता खुर्शीद अहमद, डूंगरपुर से बिछीवाड़ा प्रधान देवताराम रोत, लूणकरणसर से पूर्व मंत्री वीरेन्द्र बेनीवाल, नागौर से पूर्व मंत्री हबीबुर्रहमान, चौरासी से कांग्रेस नेता महेन्द्र बरजोड़, पुष्कर से पूर्व विधायक गोपाल बाहेती, केकड़ी से पूर्व विधायक बाबूलाल सिंघारिया, गंगापुरसिटी से रघुवीर सिंह, शाहपुरा से निर्दलीय विधायक आलोक बेनीवाल, सिवाना से सुनील परिहार, राजगढ़-लक्ष्मणगढ़ से विधायक जौहरीलाल मीणा और शिव सीट से जिलाध्यक्ष फतेह खान पर कांग्रेस की नजर है। पार्टी रणनीतिकारों का मानना है कि कांग्रेस पृष्ठभूमि के लोग निर्दलीय चुनाव जीतकर भी पार्टी को समर्थन देने के लिए तैयार हो जाते हैं। 

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