Online Medium से एग्जाम कम खर्चीला और आसान होगा

अब सरकार ऑनलाइन एग्जाम करवाने की तैयारी में

Online Medium से एग्जाम कम खर्चीला और आसान होगा

ऑफलाइन मोड के दौरान कैंडिडेट्स को ओएमआर शीट भरने से पहले तीन बार अपना वेरिफिकेशन करना पड़ा, ऐसे में उनका काफी समय बर्बाद होता है और पेपर की बर्बादी भी होती है। कंप्यूटर पर ऐसा नहीं होता।

जयपुर। एक के बाद एक परीक्षाओं में सॉल्वर और पेपर लीक गैंग की सेंधमारी से परीक्षा की शुचिता भंग हो रही है और सुरक्षा को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। पिछले पांच साल में 15 राज्यों की 41 से ज्यादा भर्ती परीक्षाओं के पेपर लीक हुए हैं। यानी परीक्षा में पेपरलीक की महामारी देशभर में फैली हुई है। इससे निपटने के लिए कई पहलुओं पर गौर करना जरूरी है, जिनमें एग्जाम मोड सबसे अहम है। नीट यूजी और नेट 2024 परीक्षा में गड़बड़ियों को लेकर सरकार सख्त है। इस बीच अब परीक्षाओं के ऑफलाइन (पेन-पेपर मोड) या ऑनलाइन (कंप्यूटर बेस्ड टेस्ट) मोड में आयोजित कराने को लेकर बहस तेज हो गई है।

दरअसल, परीक्षा के मोड (ऑफलाइन या ऑनलाइन) पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। अंडरग्रेजुएट मेडिकल एंट्रेंस टेस्ट यानी नीट यूजी पारंपरिक रूप से एक ही बार में होने वाली पेन-पेपर परीक्षा होती है, जबकि नीट-नेट, जो 2018 से कंप्यूटर आधारित है, इस बार इसे पेन-एंड-पेपर ओएमआर मोड में कराया गया था। नीट परीक्षा में जहां हर साल 20 से 24 लाख उम्मीदवार शामिल होते हैं, वहीं यूजीसी नेट परीक्षा में भी 10 से 12 लाख से ज्यादा उम्मीदवार बैठते हैं। इसलिए सुरक्षित मोड में परीक्षा कराना बहुत जरूरी है। इस दौरान ऑनलाइन माध्यम कम खर्चीला और आसान मानी जा रही है। ऑफलाइन परीक्षा में खर्चा ज्यादा आता है, जबकि ऑनलाइन में खर्चा कम होता है। ऑफलाइन में ट्रांसपोर्ट सहित अन्य खर्चे बढ़ जाते हैं, तो ऑनलाइन में यह कम होता है। 

ट्रांसपोर्टेशन में लीक
ऑफलाइन मोड की परीक्षा में सबसे बड़ा रोल ट्रांसपोर्टेशन का है। परीक्षा से उचित समय पहले परीक्षा केंद्रों पर सुरक्षित प्रश्न पत्र पहुंचाना बड़ी चुनौती है। नीट सहित अन्य भर्ती के पेपर लीक मामले में सामने आया है कि प्रश्न पत्र ट्रांसपोर्टेशन के दौरान लीक हुआ था। 

यह भी होती सुविधा यह भी होती सुविधा 
यूजीसी नेट जेआरएफ के लिए हमेशा से ऑफलाइन मोड से ज्यादा बेहतर ऑनलाइन मोड रहा है, क्योंकि ऑनलाइन बोर्ड की बहुत सारी विशेषताएं, जैसे ऑनलाइन बोर्ड में जो क्वेश्चन पेपर है, वह समय से ठीक 5 मिनट पहले ही ऑन होता है, जिससे कि पेपर लीक होने की सारी संभावनाएं खत्म हो जाती हैं।

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परीक्षा केंद्र पर गड़बड़ी से बचावपरीक्षा केंद्र पर गड़बड़ी से बचाव
ऑफलाइन एग्जाम में परीक्षार्थियों को क्वेश्चन पेपर मैनुअली बांटे जाते हैं। इस बार नीट परीक्षा में कई एग्जाम सेंटर्स पर अंग्रेजी के बजाय हिंदी का क्वेश्चन पेपर बांट दिया गया था, जिसकी वजह से देरी हुई और परीक्षार्थियों को ग्रेस मार्क्स दिए गए। सीबीटी मोड में इस तरह की गलती की कोई गुंजाइश नहीं होती। सिक्योरिटी वेरिफिकेशन के बाद कंप्यूटर स्क्रीन पर क्वेश्चन पेपर मिल जाता है। ऑनलाइन मोड में पेपर सबमिशन करते ही पेपर लॉक हो जाता है, जो किसी भी माध्यम से खुल नहीं सकता है, तो पेपर के बाद होने वाली पेपर लीक की समस्या भी खत्म हो जाती है।

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समय की बर्बादी से बचाव
ऑफलाइन मोड के दौरान कैंडिडेट्स को ओएमआर शीट भरने से पहले तीन बार अपना वेरिफिकेशन करना पड़ा, ऐसे में उनका काफी समय बर्बाद होता है और पेपर की बर्बादी भी होती है। कंप्यूटर पर ऐसा नहीं होता था, एक ही बार फेस स्कैन करके एंट्री मिल जाती थी, इसमें ओएमआर फटने-खोने का कोई डर नहीं होता। 

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सबमिट के बाद पेपर लीक का डर होगा दूर
कॅरिअर काउंसलिंग एक्सपर्ट अमित आहूजा ने कहा कि ऑफलाइन मोड में परीक्षा के बाद ओएमआर शीट को मुख्य केंद्र पर ले जाया जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान भी परीक्षा में धांधली का सबसे ज्यादा चांस रहता है। परीक्षा शुरू होने से पहले जिस छात्र की सेटिंग होती है, उसे डुप्लीकेट ओएमआर शीट दी जाती है और ओरिजनल सीट किसी सॉल्वर से भरवा ली जाती है। 

पहले ऑनलाइन, फिर ऑफलाइन
राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर के प्रोफेसर राम अवतार शर्मा का कहना है कि पहले नेट की परीक्षा सीबीटी मोड (ऑनलाइन) में होती थी, ऐसे में पेपर तुरंत लॉक हो जाता था। इस साल एग्जाम पेन और पेपर मोड में हुआ है। अगर सारे सवाल पता हों तो कुछ ही देर में ओएमआर शीट भरकर पेपर भिजवाया जा सकता है और किसी को शक भी नहीं होगा, क्योंकि सेंटर इतनी दूर है तो यह कह सकते हैं कि आने में काफी देरी हुई। 

सब परेशानियों से निजात
एसएसजी पारीक पीजी कॉलेज ऑफ एजुकेशन, जयपुर की प्राचार्य डॉ. प्रमिला दुबे कैंडिडेट को ओएमआर शीट भरने का बस नाटक करने के लिए कहा जाता है। जब ओएमआर शीट सबमिट करने का समय आता है तो बड़ी सफाई से ओरिजनल ओएमआर शीट रिप्लेस कर दी जाती है, यह काम इतनी सफाई से होता है कि गड़बड़ी सामने आने की गुंजाइश न के बराबर होती है। जबकि ऑनलाइन एग्जाम से इस सब परेशानियों से निजात मिल जाएगी। 

समय लग सकता है
परीक्षा के बाद ओएमआर शीट को मुख्य सेंटर तक पहुंचाने में समय लग सकता है। ऐसे में कोई भी परीक्षक अपने पसंदीदा कैंडिडेट को यह भी कह सकता है कि ओएमआर शीट ब्लैंक छोड़ दो। एनटीए देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों और संस्थानों में स्नातक और स्नातकोत्तर कार्यक्रमों में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय स्तर की 15 परीक्षाएं करवा रही है, जिसमें एक सत्र की परीक्षा में बैठने वाले उम्मीदवारों की संख्या एक करोड़ से अधिक है।

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