कबाड़ बन रहा है एशिया का सबसे बड़ा तीरंदाजी एरिना, कई साल से नहीं है स्थाई कोच, धूल चाट रही हैं करोड़ों रुपए की लागत से जुटाई खेल सुविधाएं 

खेल परिषद में इस एरिना का जिम्मा भी एक स्पोर्ट्स मैनेजर ही संभाले है

कबाड़ बन रहा है एशिया का सबसे बड़ा तीरंदाजी एरिना, कई साल से नहीं है स्थाई कोच, धूल चाट रही हैं करोड़ों रुपए की लागत से जुटाई खेल सुविधाएं 

जयपुर विकास प्राधिकरण द्वारा तैयार किया गया यह तीरन्दाजी एरिना रखरखाव के लिए राजस्थान खेल परिषद को सौंपा गया और तब से ही इसकी अनदेखी शुरू हो गई।

जयपुर। राजस्थान खेल परिषद के अधिकारी प्रदेश में खेल सुविधाओं को लेकर भले ही बड़े-बड़े दावे करें, लेकिन राजधानी में ही इसकी तस्वीर उलट नजर आती है। करीब डेढ़ दशक पहले ही जगतपुरा में बना एशिया का सबसे बड़ा तीरन्दाजी एरिना इसका सबसे  बड़ा उदाहरण है, जो अधिकारियों की लापरवाही के चलते आज कबाड़ बनता जा रहा है। लाखों रुपए कीमत के इलेक्ट्रिक जेनरेटर लगने के बाद से आज तक शुरू ही नहीं हुए, वहीं खिलाड़ियों के लिए बनाए लग्जरी कमरे, डायनिंग हॉल, बड़ा कान्फ्रेंस हॉल और उनमें लगे कीमती सोफे और कुर्सियां, सभी सुविधाओं पर कई साल से ताला लगा है। जयपुर विकास प्राधिकरण द्वारा तैयार किया गया यह तीरन्दाजी एरिना रखरखाव के लिए राजस्थान खेल परिषद को सौंपा गया और तब से ही इसकी अनदेखी शुरू हो गई। आज खेल परिषद में इस एरिना का जिम्मा भी एक स्पोर्ट्स मैनेजर ही संभाले है। 

कई साल से न कोच है न ट्रेनिंग की सुविधाएं
आर्चरी एरिना में देश के महान धनुर्धर लिम्बाराम को प्रभारी बनाया गया और उन्हें अपने जैसे और तीरन्दाज देश के लिए तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई। लेकिन देश का यह काबिल खिलाड़ी और कोच कई साल से लाइलाज बीमारी का शिकार बना है। लिम्बाराम की बीमारी के बाद खेल परिषद तीरन्दाजी रेंज पर खिलाड़ियों के लिए कोई स्थाई कोच भी नियुक्त नहीं कर सकी। यही नहीं रेंज पर खिलाड़ियों के लिए कोई सुविधा नहीं है। कई साल से मैदान  पर लगे टारगेट खिलाड़ियों के इन्तजार में सड़ते नजर आ रहे हैं। मैदान की स्थिति ऐसी है कि टारगेट पर लगे तीर को वापस लाने के लिए खिलाड़ी को कांटों भरी राह से गुजरना पड़ता है। 

अधिकारियों के कानों तक नहीं पहुंचती खिलाड़ियों की आवाज
इस बदहाल रेंज पर भी कुछ खिलाड़ी सुबह-शाम प्रैक्टिस के लिए आते नजर आएंगे लेकिन उनके लिए कोई सुविधा नहीं है। खिलाड़ियों ने कई बार अपनी आवाज राजस्थान खेल परिषद के अधिकारियों तक पहुंचाने का प्रयास किया लेकिन बिचौलिए कर्मचारियों ने यह आवाज अधिकारियों तक नहीं पहुंचने दी और पहुंची भी तो  वे अनसुना कर गए। ऐसे हालात में अब खिलाड़ियों ने भी समझौता कर लिया है। वे अपने स्तर पर ही अभ्यास कर लौट जाते हैं। इन सबके बीच कॉन्ट्रेक्ट पर लगा एक कोच अपने बूते तीरन्दाज तैयार करने की कोशिश में जुटा है।

टूर्नामेंट के लिए मांगें तो परिषद थमा देती है लाखों का बिल
राजस्थान खेल परिषद खुद तो इस तीरन्दाजी एरिना की मेंटिनेंस करने में नाकाम रही है लेकिन जब टूर्नामेंट के लिए रेंज मांगी जाती है तो परिषद लाखों का बिल जरूर थमा देती है। किसी प्रदेश को राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता की मेजबानी मिलना गौरव की बात है लेकिन फरवरी 2023 में राजस्थान तीरन्दाजी संघ को मिली राष्ट्रीय महिला प्रतियोगिता के लिए जब तीरन्दाजी एरिना की मांग की गई, तो परिषद ने संघ को पांच दिन का ढाई लाख किराए का बिल थमा दिया। आखिर संघ को यह टूर्नामेंट महाराजा कालेज में आयोजित करना पड़ा। इनका कहना है

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राजस्थान तीरन्दाजी संघ के सचिव, सुरेन्द्र सिंह का कहना है कि हमने कई बार खेल परिषद के अधिकारियों को पत्र लिखकर राज्य तीरन्दाजी संघ के साथ एमओयू करने की मांग की है ताकि इस रेंज का उचित रखरखाव हो सके और खिलाड़ियों को सुविधाओं का लाभ मिल सके। भारतीय तीरन्दाजी संघ की ओर से भी ऐसा पत्र राज्य सरकार को भेजा गया। अगर राज्य संघ को इसका जिम्मा सौंपा जाता है तो शूटिंग रेंज की तरह तीरन्दाजी रेंज पर भी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी अभ्यास कर सकते हैं।

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