असर खबर का - सरकार को बताना होगा, आपके पास कितना स्टॉक

दालों के स्टॉक का पोर्टल पर करना होगा खुलासा, विक्रेताओं के लिए स्टॉक सीमा लागू

असर खबर का - सरकार को बताना होगा, आपके पास कितना स्टॉक

सरकार ने विभिन्न दालों के लिए स्टॉक की ये लिमिट 30 सितंबर 2024 तक के लिए तय की है।

कोटा। दालों की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने आदेश जारी कर दालों की स्टॉक सीमा लागू कर दी है। थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं,  मिल मालिकों और आयातकों के लिए दालों पर स्टॉक सीमा लागू की गई है। दरअसल पिछले कुछ दिनों से दालों के भावों में लगातार इजाफा हो रहा था। ऐसे में आमजन की रसोई का बजट गड़बड़ाने लगा था। जमाखोरी के कारण दालों की आपूर्ति मांग के अनुरूप काफी कम हो रही थी। इस कारण भाव बेलगाम हो रहे थे। अब स्टॉक सीमा लागू होने से कीमतों पर नियंत्रण होने की संभावना है। जिले के समस्त विक्रेताओं को तुअर, चना दाल, काबुली चने के स्टॉक का खुलासा भारत सरकार के पोर्टल पर करना होगा। 

सरकार ने तय की इतनी लिमिट
जानकारी के अनुसार थोक विक्रेताओं के लिए 200 मीट्रिक टन, खुदरा विक्रेताओं के लिए 5 मीट्रिक टन, बड़ी श्रृंखला के खुदरा विक्रेताओं के लिए डिपो पर 200 मीट्रिक टन की स्टॉक सीमा तय की गई है। इसी तरह मिल मालिकों के लिए स्टॉक की लिमिट उत्पादन के अंतिम 3 महीने या वार्षिक स्थापित क्षमता के 25 फीसदी में से जो ज्यादा होगी वह लागू होगी। सरकार ने विभिन्न दालों के लिए स्टॉक की ये लिमिट 30 सितंबर 2024 तक के लिए तय की है। यह आदेश अरहर (तुअर) दाल, चना दाल और काबुली चना पर लागू है। आयातकों को कहा गया है कि वे सीमा शुल्क निकासी की तारीख से 45 दिनों से अधिक समय तक आयातित स्टॉक को अपने पास नहीं रख सकते हैं। 

पोर्टल पर देनी होगी स्टॉक की जानकारी
सरकार ने सभी संबंधित व्यापारियों, मिल संचालकों व आयातकों को नए आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए कहा है। इसके लिए सभी संबंधित विक्रेता उपभोक्ता मामले विभाग के पोर्टल (ँ३३स्र२://ाूं्रल्लाङ्म६ीु.ल्ल्रू.्रल्ल/स्र२स्र) पर स्टॉक की जानकारी देंगे। अगर उनके पास स्टॉक की निर्धारित सीमा से ज्यादा माल पड़ा है, तो उन्हें कुछ दिनों में ही स्टॉक को नई निर्धारित सीमा के दायरे में लाना होगा। यदि किसी भी विक्रेता द्वारा स्टॉक को आॅनलाइन नहीं दर्शाया जाता है तो उसके विरुद्ध आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 के तहत कार्यवाही की जाएगी। दालों की कीमतों को काबू करने के लिए सरकार इससे पहले भी कई कदम उठा चुकी है। 

नवज्योति ने प्रमुखता से उठाया था मामला
दालों के दामों में लगातार हो रही बढ़ोतरी के कारण आमजन की रसोई का बजट गड़बड़ा रहा था। इस सम्बंध में दैनिक नवज्योति के 22 जुलाई के अंक में प्रमुखता से समाचार प्रकाशित किया गया था। जिसमें बताया था कि सब्जियों के दाम के बाद अब दाल पर बढ़ रही महंगाई ने रसोई का बजट गड़बड़ा दिया है। पिछले कुछ दिनों से दालों के भावों में लगातार इजाफा हो रहा है। ऐसे में आमजन की रसोई का बजट गड़बड़ाने लगा है। अप्रेल से मई तक कई बार दालों के भावों में आंशिक तेजी आती है, लेकिन इस बार दाल की आपूर्ति मांग के अनुरूप काफी कम हो रही है, ऐसे में दाल के भावों के लगातार वृद्धि हो रही है।

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जिले प्रत्येक खुदरा एवं थोक विकेता को तुअर और चना दाल व काबुली चना के स्टॉक का खुलासा भारत सरकार के पोर्टल पर करना होगा। यदि किसी भी विक्रेता द्वारा स्टॉक को आॅनलाइन नहीं दर्शाया जाता है तो उसके विरुद्ध आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 के तहत कार्यवाही की जाएगी।
- कृष्ण कुमार,  प्रवर्तन निरीक्षक, रसद विभाग 

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