हाइवे पर मुसीबत बने आवारा पशु, हादसों का अंदेशा
आपसी टक्कर में पशु की भी मौत हो जाती हैं
वाहन चालकों को हादसे का शिकार होना पड़ता हैं। कई बार तो वाहन और अवारा पशुओं की आपसी टक्कर में पशु की भी मौत हो जाती हैं।
जयपुर। हाइवे पर आवारा पशुओं का जमावड़ा वाहन चालकों के लिए मुसीबत बना हुआ है। व्यस्ततम एनएच पर जमा आवारा पशुओं के जमावड़े से कई जगहों पर हादसे भी हो रहे हैं। हाइवे के जिन स्थानों पर रैलिंग नहीं हैं, वहां पर ये ज्यादा संख्या में देखे जा सकते हैं, जो कई बार तो आपस भी लड़ते व झगड़ते देखे जा सकते हैं। ये नजारा देखकर वाहन चालक व यात्री बचने की कोशिश करता हैं, तो हडबड़ाहट में कई बार हादसों का शिकार भी हो जाता हैं। राजधानी जयपुर के चारों तरफ से निकलने वाले एनएच के साथ ही कई जगहों पर इस तरह का नजारा देखा जा सकता हैं। इनके सड़क के बीच में बैठने से रात के समय तेज स्पीड में चलने वाले वाहन चालक अचानक ब्रेक लगाते हैं, जिसके कारण वाहन चालकों को हादसे का शिकार होना पड़ता हैं। कई बार तो वाहन और अवारा पशुओं की आपसी टक्कर में पशु की भी मौत हो जाती हैं।
झुंड में बैठते पशुओं से हर दिन हादसे
प्रदेश में एनएच के अलावा स्टेट हाइवे सहित अन्य सड़कों पर आवारा पशुओं के झुंड में जमा होने वाले आवारा जानवरों से हर दिन कोई ना कोई सड़क हादसा होता रहता हैं। हालांकि यह स्थिति बरसात के दौरान ज्यादा सामने आती हैं। पशु चिकित्सकों का कहना है कि बरसात में पनपने वाले मच्छरों व कीड़ों के काटने से बचने के लिए ये पशु सड़कों के बीच में आकर बैठते हैं, जो तेज वाहन की हवा से उड़ते रहते हैं और इससे जानवरों को सुकून मिलता है।
जहां से इस तरह की शिकायतें मिलती हैं, वहां पर आसपास के लोगों से समझााइश करते हैं। लेकिन लोग फिर वापस छोड़ देते हैं। स्थानीय प्रशासन को इस पर गौर करना चाहिए। ये समस्या बारिश के दौरान ही आती हैं।
- डीके चतुर्वेदी, क्षेत्रीय अधिकारी, जयपुर (एनएचएआई)
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