चोरी की गई 5 किमी दीवार वापस पहुंची अपनी जगह
नवज्योति इम्पैक्ट नवज्योति के सार्थक प्रयास के परिणाम आने लगे सामने
जांच के बाद भी दोषी अधिकारी व कर्मी के खिलाफ कार्रवाई नहीं।
कोटा। रावतभाटा रोड स्थित आवंली-रोजड़ी प्लांटेशन की सुरक्षा दीवार चोरी के मामले में एक ओर बड़ा खुलासा हुआ है। नवज्योति में खबर प्रकाशित होने के बाद गायब हुई 5 किमी सुरक्षा दीवार वापस अपनी जगह पहुंच गई। जबकि, इस दीवार के फिर से निर्माण के लिए कोटा वन मंडल को वन विभाग से अलग से कोई बजट आवंटित हुआ ही नहीं, फिर यह दीवार अचानक कैसे प्रकट हो गई। चोरी की गई दीवार का फिर से बन जाना चोर और चौकीदार की सांठगांठ का स्पष्ट प्रमाण है। वहीं, जघन्य वन अपराध की जांच में कोटा वन मंडल द्वारा खानापूर्ति कर दी गई। जांच हुए करीब 6 माह से अधिक समय बीत चुका है, इसके बावजूद संभागीय मुख्य वन संरक्षक एवं क्षेत्र निदेशक द्वारा दोषी वनकर्मियों व अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही।
सांठगांठ की खुली पोल
दैनिक नवज्योति ने गत 8 अप्रेल को आवंली-रोजड़ी के तीन प्लांटेशनों की 5 किमी लंबी पत्थरों की सुरक्षा दीवार चोरी होने की खबर प्रकाशित की थी। इसके बाद वन महकमे में हड़कम्प मचा और कुछ दिनों बाद वापस चोरी हुई दीवार अचानक से अपनी जगह फिर से बन जाती है। जबकि, इस दीवार के निर्माण के लिए वन विभाग द्वारा कोटा वनमंडल को बजट आवंटित हुआ ही नहीं। ऐसे में चोर और चौकीदार की सांठगांठ जगजाहिर हो गई। चोरी की गई दीवार का बिना बजट फिर से बन जाना जघन्य वन अपराध में संबंधित नाकेदार, तत्कालीन लाडपुरा रैंजर, बीट गार्ड, वनपाल सहित वन अधिकारियों की माफियाओं से मिलीभगत जाहिर होती है।
जांच के नाम पर लीपापोती, तथ्य किए नजरअंदाज
वन अधिकारियों ने जांच में प्लांटेशन की 5 किमी पत्थरों की सुरक्षा दीवार चोरी और अवैध खनन होना स्वीकार किया है। वहीं, तत्कालीन रैंज अधिकरी व संबंधित फोरेस्टर सहित अन्य कर्मचारियों की लापरवाही मान रहे हैं लेकिन मिलीभगत होना नहीं मान रहे। ऐसे में सवाल उठता है, वर्ष 2022-23 में इस प्लांटेशन से पहले डायवर्जन चैनल से सटे नगर उद्यान व इसके आगे कैम्पा योजना का आवंली-रोजड़ी प्लांटेशन-14 का काम चल रहा था। यह काम एक साल से लगातार चल रहा था। इन दोनों के बीच में यह 5 किमी सुरक्षा दीवार थी, जो पूरी तरह से चोरी हो गई थी, इसके बावजूद साइड्स के निरीक्षण के दौरान यह वन अधिकारियों को दिखाई नहीं दी, जो संभव नहीं है। इसके अलावा दीवार चोरी होना जांच में माना तो उस समय वन अधिनियम और पुलिस में राजकीय सम्पति चोरी होने का मुकदमा क्यों दर्ज नहीं करवाया गया। कई सवाल हैं जो वनकर्मियों की माफियाओं से सांठगांठ को उजागर करती है।
यह हैं सुलगते सवाल
- जून 2022 में आवंली-रोजड़ी प्लांटेशन-2,3 व 4 की दीवार चोरी होने की वन अधिनियम व पुलिस में मामला क्यों दर्ज नहीं करवाया गया?
- 8 अप्रेल 2024 को दैनिक नवज्योति में खबर प्रकाशित होने के बाद अचानक फिर से दीवार कैसे बन जाती है?
- नगर उद्यान व आवंली-रोजडी प्लांटेशन-14 के निर्माण के दौरान साइड निरीक्षण के वक्त स्टाफ व अधिकारियों का आना-जाना था, फिर भी चोरी हुई दीवार को नजर अंदाज क्यों किया?
- सीसीएफ ने जांच रिपोर्ट के अनुसार मिलीभगत नहीं मानते तो फिर चोरी हुई दीवार वापस कैसे बन गई, जबकि, इस निर्माण के लिए विभाग को कोई बजट आवंटित ही नहीं हुआ?
- जब दीवार चोरी हुई तो उस वक्त मामले की जांच क्यों नहीं की गई?
इस जांच में खुला था भ्रष्टाचार
गत 6 फरवरी 2024 को वन मंडल की 12 सदस्य टीम ने गश्ती दल रैंजर अशोक खोजा के नेतृत्व में आंवली रोजड़ी-2, 3 व 4 तीनों 50-50 हैक्टेयर में हुए के प्लांटेशन की दीवार की जांच की थी। इसमें 5 किमी की सुरक्षा दीवार गायब मिली। वहीं, टीम सदस्यों ने 4 ब्लॉक बनाकर प्लोटिंग सैम्पलिंग करवाकर पौधों की गणना की थी। मौके पर 650 गड्ढ़े मिले। जिसमें 243 पौधे ही जीवित मिले। तीनों वृक्षारोपण में लगाए गए पौधों का सरवाइल रेट करीब 36 प्रतिशत मिला। इस पर तत्कालीन डीफओ ने तत्कालीन लाडपुरा रैंजर व नाका प्रभारी को नोटिस देकर मामले में स्पष्टीकरण मांगा। लेकिन, उस समय जांच नतीजे पर पहुंचती उससे पहले ही उनका ट्रांसफर हो गया और जांच ठप हो गई।
नवज्योति ने उजागर किया था मिलीभगत का गठजोड़
बायोलॉजिस्ट रवि कुमार ने बताया कि दैनिक नवज्योति ने गत 8 अप्रेल को वन विभाग की सुरक्षा दीवार चोरी, 150 हैक्टेयर प्लांटेशन फेल शीर्षक से खबर प्रकाशित कर वनकर्मियों का माफियाओं से मिलीभगत का गठजोड़ उजागर किया था। इसके बाद वन विभाग ने मामले की जांच की, जिसमें पत्थरों की दीवार चोरी होना सही पाया गया। इसके बावजूद वन अधिकारियों द्वारा जिम्मेदार संबंधित वनकर्मी व अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई न कर बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
यह है मामला
नॉबार्ड योजना में वर्ष 2018 से 2022 तक लाडपुरा रैंज में आवंली-रोजड़ी में प्लांटेशन हुआ था। जिसे आवंली-रोजड़ी-2, 3 व 4 का नाम दिया गया। तीनों प्लांटेशन 50-50 हैक्टेयर में पौधरोपण किए गए। प्रत्येक 50 हैक्टेयर में 10 हजार पौधे रोपे गए। इस तरह कुल 150 हैक्टेयर में 30 हजार पौधे लगे थे। जिनकी सुरक्षा के लिए सड़क किनारे 5 किमी लंबी और 4 फीट उंची सुरक्षा दीवार बनवाई थी। पौधों की देखरेख व सुरक्षा की जिम्मेदारी तत्कालीन रैंजर व नाका प्रभारी के जिम्मे थी। इसके बावजूद वर्ष 2022 जून से जुलाई 2023 के बीच दीवार के सारे पत्थर चोरी हो गए।
जांच पर उठे सवाल
पगमार्क फाउंडेशन के अध्यक्ष देवव्रत सिंह हाड़ा ने कहा कि कोटा वन मंडल ने जांच के नाम पर लीपापोती की है। दीवार व अवैध खनन में लिप्त तत्कालीन रैंज अधिकारी व संबंधित वनकर्मचारियों को बचाया जा रहा है। वर्तमान डीएफओ द्वारा हाल ही में की गई जांच में प्लांटेशन अच्छी स्थिति में होना बताया लेकिन, प्लोटिंग सैंपलिंग कर पौधों की गणना नहीं करवाई गई। यदि, प्लोटिंग सैंपलिंग की जाती तो वास्तिविक सरवाइवल रेट नजर आती। वहीं, प्लांटेशन के अंदर 10 से 12 फीट गहरे अवैध खनन व माइनिंग के जख्म व तस्वीरें प्लांटेशन बर्बाद होने की दास्ता खुद बयां करता है।
आवंली रोजड़ी प्लांटेशन की पत्थरों की सुरक्षा दीवार चोरी हुई है और अवैध खनन भी मिला है। जांच में संबंधित वनकर्मी व जिम्मेदार अधिकारियों की गंभीर लापरवाही सामने आई है लेकिन, मिलीभगत मिलना प्रतित नहीं हुआ। जब यह वन अपराध हुआ तब जिम्मेदार अधिकारियों को कार्रवाई करनी चाहिए थी। संबंधित वनकर्मी व जिम्मेदारों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
- रामकरण खैरवा, मुख्य वन संरक्षक एवं फिल्ड निदेशक, कोटा संभाग वन विभाग
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