जमीन से अफसरों की जेब में पहुंची 21.42 लाख की हरियाली, पौधों के पानी का पैसा भी डकार गए

भ्रष्टाचार का खेल-हकीकत में लखावा प्लांटेशन-8 खाली, कागजों में 8000 पौधों का जंगल

जमीन से अफसरों की जेब में पहुंची 21.42 लाख की हरियाली, पौधों के पानी का पैसा भी डकार गए

वर्तमान में पौधों की औसत ऊंचाई 8 से 10 इंच, कागजों में 6 से 8 फीट

कोटा। चट्टानों से घिरा 50 हैक्टेयर का लखावा प्लांटेशन-8 चारों तरफ से खाली है। कंक्रीट व चट्टानों के ढेर लगे हैं, लेकिन कोटा वन मंडल के अधिकारियों ने यहां कागजों में जंगल खड़ा कर दिया है। जहां 6 से 7 फीट ऊंचे 8000 से 6300 पौधे लगे हैं। जबकि, हकीकत में यहां 150 पौधे भी नहीं मिले। इसके बावजूद वन अधिकारी वर्ष 2022 से जून 2024 तक प्लांटेशन संधारण के नाम पर फर्जी बिल बनाकर 21.42 लाख रुपए का भुगतान उठाते रहे।  भ्रष्टाचार का खुलासा अतिरिक्त मुख्य प्रधान वन संरक्षक केसी मीना व पीएंडएम गणना दल की जांच रिपोर्ट से हो चुका है।  असल में, 21.42 लाख की हरियाली प्लांटेशन के बजाय अफसरों की जेब में पहुंच गई। नतीजन, लखावा प्लांटेशन-8 तो हरा नहीं हो सका लेकिन पिछले 3 सालों में वन अधिकारियों की जेबें हरी हो गई। हालांकि, जब जांच में भ्रष्टाचार की पोल खुली तो अधिकारियों ने गत जुलाई में 2500 नए पौधे लगा दिए। जिसकी 30 सितम्बर से 4 अक्टूबर तक पीएंडएम गणना दल द्वारा जांच की गई तो मौके पर 2300 पौधे ही मिले। जिनकी ऊंचाई बमुश्किल से 8 से 10 इंच थी। 

1 से 8 सभी प्लांटेशनों के बूरे हाल
अतिरिक्त प्रधान मुख्य वनसंरक्षक केसी मीना ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि निरीक्षण के दौरान लखावा प्लांटेशन-8 में न के बराबर पौधे थे, जबकि अनेकों बार 8-8 हजार पौधों को पानी पिलाने, निराई-गुड़ाई व सुरक्षा के नाम पर फर्जी बिल बनाकर भुगतान उठाया गया। यदि, हकीकत में यह कार्य हुए होते तो यहां जंगल खड़ा हो चुका होता। 

8 हजार से 6300 पौधों को कागजों में पिलाया पानी
कोटा वन मंडल के अधिकारियों ने लखावा प्लांटेशन में पिछले तीन सालों से 8000 से 6300 तक पौधों को कागजों में पानी पिलाते रहे और जमकर सरकारी धन का दुरुपयोग करते है। जबकि, मौके पर 150 पौधे भी नहीं थे। डीएफओ-रेंजर से नाका प्रभारियों तक ने मिलीभगत कर फजीर्वाड़े को अंजाम दिया। अतिरिक्त प्रधान मुख्य वनसंरक्षक केसी मीना ने 27 मई को जयपुर से कोटा आकर लखावा प्लांटेशन-8 का निरीक्षण किया तो उन्हें यहां 150 पौधे भी जीवित नहीं मिले थे। ऐसे में वन अधिकारी इतने सालों तक किन्हें पानी पिलाया और किसकी चौकीदारी करते रहे।

5500 खडढ़े खुदे नहीं और उठा लिए 3.2 लाख 
पी एंड एम गणना दल की जांच रिपोर्ट के अनुसार, 16 अगस्त से 31 अक्टूबर 2022 तक  वन अधिकारियों ने कागजों में 5500 खडढ़े खोद दिए। बिल में प्रति खड्ढ़े 54 रुपए चार्ज किए। जबकि, हकीकत में 5500 खडढ़े यहां खुदे ही नहीं। क्योंकि, यह चट्टानी क्षेत्र है, ऐसे में यहां जेसीबी से भी एक फीट गहरा खड्ढ़ा नहीं खोदा जा सकता। इसके बावजूद श्रमिकों द्वारा हाथों से खड्ढ़े खोदना बताकर 3 लाख 2 हजार 60 रुपए का भुगतान उठा लिया गया। इसके अलावा यहां किसी भी पौधे के थांवले नहीं बनाए गए। जबकि, बिल में 5500 पौधों के जल संरक्षण के लिए प्रति थांवला 7 रुपए की दर से चार्ज किया गया। जिसका 42 हजार 900 रुपए का बिल उठा लिया गया। 

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नवज्योति खबर नहीं छापता तो उजागरनहीं होता घोटाला
जांच अधिकारी केसी मीना ने गत 10 जुलाई को प्रधान मुख्य वनसंरक्षक (हॉफ) को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा कि दैनिक नवज्योति खबर प्रकाशित नहीं करता तो संभव था कि लखावा प्लांटेशन-8 में वृक्षारोपण में हुई इतनी बड़ी गड़बड़ी शायद कभी उजागर ही नहीं होती। जबकि, संभागीय मुख्य वनसंरक्षक एवं क्षेत्र निदेशक कोटा में ही बैठते हैं, लेकिन उनके द्वारा भी साइड का निरीक्षण नहीं किया गया। ऐसे में उक्त रिपोर्ट के विशलेषण के मध्यनजर उचित एवं सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। लखावा-8 से सटे अन्य प्लांटेशनों के भी यही हालात है। इनकी विशेष टीम गठित कर जांच करवानी चाहिए।

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क्या कहते हैं अधिकारी
मामले की जांच करवाकर उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट भेज चुके हैं, जिसमें मामले से संबंधित जांच के सभी प्वाइंट कवर किए हैं। वहां से जो निर्देश प्राप्त होंगे, उसी के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। 
-रामकरण खैरवा, संभागीय मुख्य वन संरक्षक एवं क्षेत्र निदेशक, वन विभाग 

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डीएफओ ने नहीं दिया जवाब 
मामले को लेकर नवज्योति ने कोटा डीएफओ अपूर्व कृष्ण श्रीवास्तव को फोन कर पक्ष जानना चाहा लेकिन उन्होंने फोन अटैंड नहीं किया। इसके बाद उन्हें मैसेज किया गया, जिसका भी जवाब नहीं दिया। 

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