उपचुनाव में कुछ सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला, 2 पर सीधी टक्कर
किरोड़ी के कामों के बल पर मैदान में हैं
वहीं बैरवा, एससी-गुर्जर, अपनी सौम्य छवि, पायलट से वोटों के ध्रुवीकरण, मुरारी के मीणा वोटों में सेंधमारी के बल पर जीत का दावा कर रहे हैं।
जयपुर। दौसा में प्रत्याशी के साथ चेहरों की प्रतिष्ठा दांव पर है। भाजपा ने जगमोहन मीणा, कांग्रेस ने डीसी बैरवा आमने-सामने हैं, लेकिन असल टक्कर दोनों पार्टी के बड़े चेहरों के बीच है। इनकी प्रतिष्ठा दांव पर है। भाजपा में कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा अपने जगमोहन के लिए रात दिन किए हुए हैं। वे मैदान में ज्यादा नजर आ रहे हैं। वहीं कांग्रेस में राष्ट्रीय महासचिव सचिन पायलट, सांसद मुरारीलाल मीणा के हाथ कमान है। जगमोहन यहां भाजपा के परम्परागत वोटों, मीणा वर्ग की ताकत और किरोड़ी के कामों के बल पर मैदान में हैं। वहीं बैरवा, एससी-गुर्जर, अपनी सौम्य छवि, पायलट से वोटों के ध्रुवीकरण, मुरारी के मीणा वोटों में सेंधमारी के बल पर जीत का दावा कर रहे हैं।
खींवसर : प्रत्याशी के साथ मिर्धा-मदरेणा-बेनीवाल में त्रिकोणीय मुकाबला
भाजपा ने रेवंतराम डांगा, कांग्रेस ने रतन चौधरी और आएलपी की कनिका बेनीवाल मैदान में है। त्रिकोणीय मुकाबला प्रत्याशियों के साथ मिर्धा-मदरेणा और बेनीवाल परिवार की सियासी अस्तित्व की लड़ाई है। रिजल्ट कनिका के साथ सांसद हनुमान बेनवाल और उनकी पार्टी आरएलपी का भविष्य तय करेगा। हारे तो सदन में कोई नुमाइंदा नहीं बचेगा। साबित हो जाएगा कि बिना गठबंधन हनुमान की ताकत जीत को काफी नहीं। वहीं उनके चिर-प्रतिद्वंद्वी ज्योति-रिछपाल मिर्धा परिवार भाजपा के डांगा की जीत दर्ज करवा कर किसान वर्ग में खुद की साबित करने, क्षेत्र में हनुमान का चक्रव्यूह तोड़ने में लगे हैं। वहीं कांग्रेस की पूर्व विधायक दिव्या मदेरणा अपनी हार का बदला लेने के साथ मदेरणा परिवार में खुद की राजनीतिक पकड़ को साबित करने को एडी चोटी का जोर लगाकर रतन को जीताने में लगी है।
रामगढ़ : सीधी टक्कर, वोटों के ध्रुवीकरण से तय होगी जीत-हार
भाजपा के सुखवंत और कांग्रेस के आर्यन खान के बीच सीधी टक्कर है। दोनों पार्टियां वोटों के धु्रवीकरण से जीत का रास्ता निकालने में लगी है। कांग्रेस की जीत के चक्रव्यूह तोड़ने के लिए भाजपा यहां बीते चुनाव में एएसपी उम्मीदवार सुखवंत के वोटों की ताकत साथ लाकर उनको मैदान में लाई है। एससी, यादव, सामान्य वोटों के धु्रवीकरण से भाजपा यहां जीत निकालने को प्रयासरत है। कांग्रेस आर्यन को उतारकर सहानुभूति की लहर, परम्परागत वोट एससी-अल्पसंख्यक को प्लस करने में लगी है। कांग्रेस में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली, पूर्व केन्द्रीय मंत्री भंवर जितेन्द्र, भाजपा में केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव, वन मंत्री संजय शर्मा, विधायक बाबा बालकनाथ की प्रतिष्ठा भी दांव पर है।
देवली-उनियारा : नरेश का चक्रव्यूह चला तो गणित बदलेगी
भाजपा के राजेन्द्र गुर्जर, कांग्रेस के केसी मीणा और निर्दलीय नरेश मीणा के बीच मुकाबला है। नरेश का चक्रव्यूह चला तो जीत-हार की गणित बदलेगी। भाजपा-कांग्रेस दोनों जातिगत वोटों के साथ कोर वोटर्स से जीत की वैतरणी पार करने की जुगत में है। राजेन्द गुर्जर, सैनी, सामान्य वर्ग के वोटों, अपने और सरकार के कामों के भरोसे जीत का दावा कर रहे हैं। केसी मीणा चेहरे की एंटीइंकम्बेंसी ना होने, मीणा-अल्पसंख्यक, कोर वोटर्स के भरोसे नैया पार करने की उम्मीद में हैं। नरेश अपने तेवरों से चर्चित हैं। मीणा और युवाओं के वोट में सेंधमारी से जीतने का दावा कर रहे हैं। हरीश मीणा के सांसद बनने के बाद ये सीट खाली हुई है।
झुंझुनूं : त्रिकोणीय मुकाबला, सेंधमारी रोक जीत में लगी भाजपा-कांग्रेस
भाजपा ने राजेन्द्र भांबू, कांग्रेस ने अमित ओला को टिकट दिया है। पूर्व मंत्री राजेन्द्र गुढ़ा निर्दलीय मैदान में हैं। जीत-हार में जाट वर्ग के वोट अहम हैं। ओला परिवार की जीत की किलेबंदी को तोड़ने को भाजपा ने बीते चुनाव में भांबू पर दांव खेला है। उनके वोट भाजपा के कोर वोटर्स के साथ आए तो भाजपा सीट पर काबिज हो सकती है, लेकिन ओला परिवार यहां खुद की जाट वर्ग में लीडरशिप, पापुलेरिटी, अल्पसंख्यक वोटों की ताकत के भरोसे फिर नैया पार होने की उम्मीद में है। वहीं राजेन्द्र गुढ़ा दोनों की एंटीइंकम्बेंसी, परम्परागत वोट, राजपूत, अल्पसंख्यक और सामान्य वर्ग में सेंधमारी कर अपनी जीत तलाश रहे हैं।
चौरासी : मुकाबला त्रिकोणीय, भाजपा-कांग्रेस के लिए बीएपी चुनौती
भाजपा के कारीलाल निनोमा, कांग्रेस के महेश रोत, बीएपी का अनिल कटारा के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है। सीट पर दो बार से बीएपी का कब्जा है। पिछली बार कांग्रेस ने बीएपी से गठबंधन किया था। भाजपा-कांग्रेस यहां बीएपी के सियासी गढ़ को ढहाकर खुद की जीत को लड़ रही है। बीएपी अपनी सीट बचाने को मैदान में है। आदिवासी वोटों से ही जीत-हार तय होगी। भाजपा-कांग्रेस अपने सभी आदिवासी नेताओं को यहां खपाए हुए हैं। बीएपी के वोटों में सेंधमारी हुई तो भाजपा-कांग्रेस की जीत की संभावना बढ़ेगी।
सलूम्बर : भाजपा सहानुभूति से सीट बचाने में लगी, त्रिकोणीय मुकाबला
भाजपा में शांति देवी, बीएपी ने जितेश कटारा को टिकट दिया है। तीनों में मुकाबला है। भाजपा ने शांति देवी को टिकट देकर सहानुभूति की लहर और परम्परागत वोटों से नैया पार करना चाहती है। आदिवासी बाहुल्य इस सीट पर बीएपी खुद को आदिवासी वोटों में ध्रुवीकरण से काबिज होने की जुगत में है। वहीं कांग्रेस पिछली बार पिछड़ने के बाद वापसी के लिए जोर लगाए हुए हैं। यहां भाजपा-कांग्रेस दोनों के अस्तित्व की भी लड़ाई है, क्योंकि बीएपी मजबूत होकर यहां खाता खोलने के पूरजोर प्रयास कर रही है।
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