बिहार के भेलूपुर ने दुनिया को पहली भारतीय मूल की महिला प्रधानमंत्री दी, पीएम मोदी ने की मुलाकात
त्रिनिदाद और टोबैगो की प्रधानमंत्री कमला प्रसाद-बिसेसर
प्रधानमंत्री के गांव में फिर से खुशी का माहौल है।
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री के गांव में फिर से खुशी का माहौल है। यहां भारत के प्रधानमंत्री की नहीं, बल्कि, त्रिनिदाद और टोबैगो के प्रधानमंत्री कमला प्रसाद-बिसेसर की हो रही है। पीएम मोदी और प्रधानमंत्री कमला की मुलाकात हुई। इस मुलाकात को लेकर पीएम कमला के घरवालों ने कहा कि जल्द आइए प्रधानमंत्री बेटी, हम कर रहे हैं आपका इंतजार।
टूटी सड़कें, कच्चे घर, लेकिन खुशी सौ गुना :
कच्ची-पक्की सड़क, टूटा-फूटा घर, लेकिन गांव वालों की खुशी सौगुना ज्यादा है। दरअसल, भारत से सैकड़ों किलोमीटर दूर बक्सर की बेटी ने कमाल कर दिया है। अफ्रीका के इस देश त्रिनिदाद और टोबैगो की राजनीति के सफर में आज वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर कई राजनीतिक चर्चाएं कर रही हैं। ऐसे में भेलूपुर में बेहद खुशी झलक रही है। साथ ही लोगों के अंदर पुन: विकसित होने की ललक जाग चुकी है।
भेलूपुर से विश्व राजनीति तक का सफर :
कमला प्रसाद-बिसेसर का पैतृक गांव भेलूपुर, बक्सर जिले के इटाढ़ी प्रखंड में स्थित है। 1127 की आबादी वाला यह छोटा सा गांव अब अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर उभर आया है। कमला का जन्म त्रिनिदाद में हुआ था, लेकिन उनके पूर्वज, विशेष रूप से परदादा पंडित राम लखन मिश्रा, 1880-90 के बीच कलकत्ता पोर्ट से वोल्गा जहाज द्वारा गिरमिटिया मजदूर के रूप में त्रिनिदाद पहुंचे थे। ऐसे में गांव में अब उनके परिवार से कहा चाचा और उनका परिवार रहता है।
भावुक लम्हे और पारिवारिक जुड़ाव :
गांव के उनके रिश्तेदार जगदीश मिश्रा बताते हैं, जब पहली बार वह गांव आई थीं तो मुझसे मिली थीं और मुझे अंकल कहकर पुकारा था। 2012 में अपने पहले प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान कमला अपने पैतृक गांव आईं और यहां उन्होंने भावुक होकर कहा था, जो कुछ भी मैं आज हूं, वह मेरे पूर्वजों के आशीर्वाद और इस भूमि के लोगों की वजह से है।
नेतृत्व, शिक्षा और प्रेरणा :
कमला ने शिक्षा और कानून के क्षेत्र में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की। वे त्रिनिदाद और टोबैगो की शिक्षा मंत्री रही हैं। 2010 में वे देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं। उनका राजनीतिक सफर प्रमाण है कि कैसे भारतीय मूल की महिलाएं भी वैश्विक राजनीति में अपनी जगह बना सकती हैं।
विकास से कोसों दूर गांव :
जहां एक ओर कमला प्रसाद-बिसेसर की सफलता ने भेलूपुर गांव को अंतरराष्ट्रीय मान्यता दिलाई है, वहीं दूसरी ओर यह गांव अब भी बुनियादी विकास की राह देख रहा है। यहां स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा की स्थिति आज भी चिंताजनक बनी हुई है।

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