सीएम नीतीश ने किया पटना डेयरी प्रोजेक्ट, सुधा फुलवारीशरीफ का औचक निरीक्षण, अधिकारियों को लगाई फटकार

पटना डेयरी प्रोजेक्ट का सीएम नीतीश ने किया निरीक्षण

सीएम नीतीश ने किया पटना डेयरी प्रोजेक्ट, सुधा फुलवारीशरीफ का औचक निरीक्षण, अधिकारियों को लगाई फटकार

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना डेयरी प्रोजेक्ट, फुलवारीशरीफ का निरीक्षण कर अधिकारियों को दुग्ध उत्पादन, प्रोसेसिंग क्षमता और इंफ्रास्ट्रक्चर विस्तार के निर्देश दिए। उन्होंने किसानों और पशुपालकों की आय बढ़ाने पर विशेष जोर दिया।

पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को पटना डेयरी प्रोजेक्ट, सुधा फुलवारीशरीफ का निरीक्षण किया और अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिये। सीएम नीतीश कुमार ने निरीक्षण के दौरान प्रोडक्शन हॉल, आइस्क्रीम प्लांट, दही कोल्ड रूम सहित विभिन्न इकाईयों का निरीक्षण किया और उत्पाद के संबंध में विस्तृत जानकारी ली। कॉन्फ्रेंस हॉल में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों के साथ बैठक की।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बैठक के दौरान कहा कि वर्ष 2008 से कृषि रोड मैप की शुरूआत की गयी है। कृषि रोड मैप में कृषि कार्य एवं इससे जुड़े अवयवों के विकास के लिये कई कदम उठाये गये हैं। उन्होंने कहा कि कृषि रोड मैप के लागू होने से फसल का उत्पादन और उत्पादकता बढ़ी है साथ ही राज्य में दूध का उत्पादन भी बढ़ा है। इससे किसानों और दुग्ध उत्पादकों को काफी फायदा हो रहा है। 

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि डेयरी प्लांट, दुग्ध उत्पादन समितियों का और विस्तार करें, अधिक से अधिक लोगों को जोड़ें, जिससे उनकी आमदनी बढ़ेगी साथ ही रोजगार के नये अवसर पैदा होंगे। बिहार में दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिये कार्य करें साथ ही प्रोसेसिंग की क्षमता का भी विस्तार करें। प्रोक्यूरमेंट इन्फ्रास्ट्रक्चर का और विस्तार करें। उन्होंने कहा कि यहां काम करनेवाले लोगों के आवासन की भी व्यवस्था करें जिससे वे अच्छे से काम कर सकें।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने किसानों की समृद्धि और ग्रामीण विकास के लिये कई कदम उठाये हैं। उन्होंने कहा कि कॉम्फेड के माध्यम से किसानों को दुग्ध का बेहतर मूल्य प्रदान किया जा रहा है। नये-नये उत्पाद बाजार में सुधा द्वारा लाये जा रहे हैं। बिहार के विकास मेंकिसानों और पशुपालकों की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। किसानों और पशुपालकों की तरक्की के लिये राजग सरकार हर संभव सहायता उपलब्ध कराती रहेगी।

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बैठक में कॉम्फेड के प्रबंध निदेशक शीर्षत कपिल अशोक ने कॉम्फेड के कार्यों की अद्यतन स्थिति की जानकारी दी। इस दौरान एक वीडियो फिल्म भी प्रस्तुत की गयी। शीर्षत कपिल ने कॉम्फेड के विजन, अगले पांच वर्ष की योजना, दुग्ध संघ, दुग्ध समिति, प्रोक्यूरमेंट इन्फ्रास्ट्रक्चर, न्यू प्रोडक्ट लांच की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अभी कुल कार्यरत ग्रामस्तरीय दुग्ध सहकारी समितियों की संख्या 21 हजार से भी अधिक है जिससे लगभग 7.5 लाख पशुपालक जुड़े हुए हैं जिसमें लगभग 1.9 लाख (25 प्रतिशत) महिलाएं हैं। ये समितियाँ प्रतिदिन औसतन 22 लाख किलोग्राम दूध का संकलन करती है तथा अधिकतम संकलन लगभग 30 लाख किलोग्राम प्रतिदिन तक पहुँच जाती है। संकलित दूध के प्रसंस्करण की भी पूर्ण व्यवस्था उपलब्ध है। वर्तमान में कॉम्फेड की कुल प्रसंस्करण क्षमता 54 लाख लीटर प्रतिदिन है। उन्होंने बताया कि कॉम्फेड के और विस्तार की योजना है।

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उल्लेखनीय है कि, बिहार राज्य दुग्ध सहकारी महासंघ लिमिटेड (कॉम्फेड) की स्थापना ऑपरेशन फ्लड कार्यक्रम के तहत वर्ष 1983 में की गई थी। वर्तमान में राज्य के 31 जिलों में आठ दुग्ध संघ कार्यरत हैं, जबकि शेष सात जिलों की जिम्मेदारी सीधे कॉम्फेड के दो परियोजनाओं के माध्यम से निभाई जा रही है। दूध उत्पादकों द्वारा गाँव स्तर की समितियों से लेकर दुग्ध संघ स्तर पर चुने गए प्रतिनिधि संपूर्ण प्रबंधन का संचालन करते हैं। इन समितियों के माध्यम से गांवों में ही पूर्वनिर्धारित मूल्य पर दूध विक्रय की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है तथा पशुचारा, कृत्रिम गर्भाधान, चारा बीज, कृमिनाशक, टीकाकरण आदि जैसी आवश्यक इनपुट सेवाएँ भी प्रदान की जाती हैं।

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कॉम्फेड तथा इसके संबद्ध दुग्ध संघों द्वारा उत्पादित दूध एवं दुग्ध उत्पाद 'सुधा' ब्रांड नाम से बेचे जाते हैं। वर्तमान में औसत पाउच दूध विपणन 18.00 लाख लीटर प्रतिदिन है तथा लगभग 3.5 लाख लीटर के दुग्ध उत्पाद प्रतिदिन तैयार किए जाते हैं। कॉम्फेड द्वारा लगातार अपने विपणन तंत्र का विस्तार किया जा रहा है। राज्य के सभी प्रखण्डों एवं नगर निगम/नगर निकाय तक राज्य में सुधा के दूध एवं दुग्ध उत्पादों की उपलब्धता के लिये मिल्क बूथों का निर्माण एवं नये खुदरा विक्रय केन्द्र खोले जा रहे हैं। कॉम्फेड के तहत खुदरा विक्रय केन्द्रों की संख्या 37000 हो गयी है जिसमें 914 होल-डे-मिल्क बुथ है। नालंदा डेयरी परियोजना में यूएचटी प्रोसेसिंग सुविधा स्थापित होने के बाद कॉम्फेड अब देश के विभिन्न भागों में दूध उपलब्ध कराने में सक्षम है। वर्तमान में इसके टेट्रा पैक दूध उत्तर पूर्वी राज्यों असम, मेघालय, मणिपुर, नागालैंड, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश एवं सिक्किम में उपलब्ध है तथा टेट्रा पैक दूध की आपूर्ति भारतीय सेना को भी की जाती है, इसके अतिरिक्त दूध एवं दुग्ध उत्पादों का विपणन दिल्ली एवं कोलकता जैसे मेट्रो शहरों में भी किया जा रहा है। 

सुधा के दुग्ध उत्पाद न केवल बिहार और झारखंड में बल्कि पूरे देश में एक लोकप्रिय ब्रांड के रूप में उभर रहे है। डेयरी संयंत्रों में घी, पेड़ा, दही, टेबल बटर, पनीर, गुलाबजामुन, मट्ट्ठा, लस्सी, रसगुल्ला, बलूशाही, आइस क्रीम, फ्लेवर्ड मिल्क आदि उत्पादों का निर्माण किया जाता है। गुलाबजामुन, रसोगुल्ला, बलूशाही आदि के टिन पैक भी उपलब्ध हैं, जिनकी शेल्फ लाइफ अधिक होती है। ताजे दुग्ध उत्पादों के निर्माण के अतिरिक्त बचे हुए दूध को श्वेत मक्खन, स्किम्ड मिल्क पाउडर और होल मिल्क पाउडर में परिवर्तित किया जाता है, जिनका उपयोग मुख्य रूप से विभिन्न डेयरियों द्वारा किया जाता है। बिहार के समाज कल्याण विभाग को आंगनवाड़ी केंद्रों में माताओं एवं बच्चों को दूध उपलब्ध कराने के लिये सुधा मिल्क पाउडर की आपूर्ति की जा रही है। कॉम्फेड अब बिहार के दुग्ध उत्पादों का निर्यात भी कर रही है। मार्च, 2025 में कॉम्फेड द्वारा पांच मीट्रिक टन घी अमेरिका एवं आठ मीट्रिक टन गुलाबजामुन कनाडा भेजा गया है।

निरीक्षण के दौरान पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग की अपर मुख्य सचिव सह कॉम्फेड की अध्यक्ष डॉ. एन.विजयलक्ष्मी, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी डॉ.गोपाल सिंह, मुख्यमंत्री के सचिव डॉ. चन्द्रशेखर सिंह, पटना के जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन एस.एम., पटना डेयरी प्रोजेक्ट के प्रबंध निदेशक रूपेश राज सहित अन्य वरीय अधिकारी उपस्थित थे।

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