स्वदेशी स्टार मिसाइल टेस्टिंग के आखिरी पड़ाव में हाइपरसोनिक मिसाइल के बेडे में होगा एक और विकल्प, स्टार मिसाइल की स्पीड ब्रह्मोस जैसी
भविष्य की मिसाइलों के लिए मददगार
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) अपने स्टार मिसाइल प्रोजेक्ट को तीसरे चरण में ले जा चुकी है
नई दिल्ली। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) अपने स्टार मिसाइल प्रोजेक्ट को तीसरे चरण में ले जा चुकी है। इस चरण में मिसाइल को पूरी तरह तैयार करके कई बार उड़ान परीक्षण किए जा रहे हैं। स्टार मिसाइल एक खास स्वदेशी मिसाइल है, जो वायुसेना, थलसेना और नौसेना के लिए तेज गति वाले खतरों की नकल करती है। मतलब टारगेट प्रैक्टिस कर सकते हैं। यह मिसाइल सस्ती होने के साथ-साथ ब्रह्मोस जैसे मिसाइलों का विकल्प बन सकती है।
तीसरे चरण में डीआरडीओ के इंजीनियर मिसाइल के सभी हिस्सों, जैसे इंजन, नेविगेशन सिस्टम और नियंत्रण प्रणाली को एक साथ जोड़कर पूरी मिसाइल बनाते हैं। फिर इसे युद्ध जैसी परिस्थितियों में कई बार उड़ाया जाता है। इन परीक्षणों से पता चलता है कि मिसाइल कितनी सटीक, भरोसेमंद और प्रभावी है। परीक्षणों में मिली जानकारी से मिसाइल को और बेहतर किया जाता है, ताकि यह सेना की जरूरतों को पूरा कर सके। डीआरडीओ अलग-अलग मौसम और परिस्थितियों में मिसाइल का परीक्षण कर रहा है। यह भी जांचा जा रहा है कि मिसाइल जमीन और हवाई उपकरणों के साथ ठीक से काम करती है या नहीं। अगर ये परीक्षण सफल रहे, तो डीआरडीओ मिसाइल का सीमित उत्पादन शुरू कर सकता है, जिसे सेना प्रशिक्षण और आगे के परीक्षणों के लिए इस्तेमाल करेगी।
हर जगह इस्तेमाल की जा सकने वाली मिसाइल
स्टार मिसाइल का डिजाइन ऐसा है कि इसे अलग-अलग मिशनों और जरूरतों के हिसाब से आसानी से बदला जा सकता है। यह वायुसेना, थलसेना और नौसेना तीनों के लिए काम कर सकती है। आॅपरेशन सिंदूर में भारत ने बंशी टारगेट ड्रोनों को छलावा (डिकॉय) के रूप में इस्तेमाल किया था। स्टार मिसाइल ऐसे कामों में और भी उपयोगी हो सकती है।
हवाई मिसाइल: ज्यादा पहुंच
डीआरडीओ स्टार का एक ऐसा संस्करण बना रहा है, जिसे तेजस जैसे लड़ाकू विमान से छोड़ा जा सकता है। यह हवा से हवा में या हवा से जमीन पर हमला करने में मदद करेगी। यह मिसाइल दुश्मन के रडार या एडब्ल्यूएसीएस (हवाई चेतावनी प्रणाली) को नष्ट करने के अभ्यास में भी उपयोगी होगी। हवाई मिसाइल आॅपरेशन सिंदूर जैसे बड़े अभियानों में भारत की ताकत बढ़ाएगी।
जमीनी मिसाइल: लंबी दूरी
स्टार मिसाइल को जमीन से भी छोड़ा जा सकता है। इसके लिए बूस्टर जोड़े जाते हैं, जिससे यह दूर तक उड़ सके। इसे गाड़ियों या स्थिर मंचों से लॉन्च किया जा सकता है। यह जमीन से जमीन पर या तट से जहाज पर हमले का अभ्यास करने में मदद करती है। इसे बिना महंगे उपकरणों के कठिन इलाकों में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
रैमजेट इंजन: तेज और हल्का
स्टार मिसाइल में लिक्विड फ्यूल रैमजेट इंजन है। यह इंजन हवा से ऑक्सीजन लेता है, जिससे मिसाइल को कम ईंधन ले जाना पड़ता है। इससे मिसाइल हल्की रहती है. लंबे समय तक तेज गति से उड़ सकती है।
स्टार मिसाइल की स्पीड ब्रह्मोस जैसी
स्टार मिसाइल को इस तरह बनाया गया है कि यह आधुनिक मिसाइलों की तरह तेजी से उड़े और उनके व्यवहार की नकल करे। यह 2.5 मैक (लगभग 3,062 किमी/घंटा) से ज्यादा तेजी से उड़ सकती है। यह तेजी से दिशा बदल सकती है। ऊंचाई कम-ज्यादा कर सकती है। यह प्रशिक्षण सैनिकों को असली युद्ध में तेजी से फैसले लेने और सही प्रतिक्रिया देने के लिए तैयार करता है।
भविष्य की मिसाइलों के लिए मददगार
स्टार मिसाइल सिर्फ प्रशिक्षण के लिए नहीं है। यह डीआरडीओ के रैमजेट इंजन और नई मिसाइलों के लिए एक टेस्टिंग प्लेटफॉर्म भी है। इस पर आजमाई गई तकनीकें एडब्ल्यूएसीएस किलर, एंटी-रेडिएशन मिसाइल और सस्ती क्रूज मिसाइल जैसी परियोजनाओं में इस्तेमाल होंगी। इससे नई मिसाइलें बनाने में समय और जोखिम कम होगा। स्टार मिसाइल भारत को तेज और आधुनिक मिसाइलें बनाने में मदद करेगी।
स्टार मिसाइल: खास बातें
- गति: 1.8 से 2.5 मैक
- ऊंचाई: 100 मीटर से 10 किलोमीटर तक
- दूरी: 55 से 175 किलोमीटर तक
- उड़ान समय: 50 से 200 सेकंड
स्टार मिसाइल भारत की रक्षा को और मजबूत करने का एक शानदार कदम है। यह सस्ती, तेज और लचीली मिसाइल सेना को युद्ध की तैयारी में मदद करेगी। यह भविष्य की नई मिसाइलों के लिए रास्ता बनाएगी।

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