अमेरिकी यूनिवर्सिटीज में आवेदनों में साल-दर-साल 13 प्रतिशत की गिरावट : भारतीय छात्र अमेरिका को छोड़ अब जा रहे हैं यूरोप, बड़ी संख्या में ले रहे एडमिशन
जर्मनी और पश्चिमी एशिया हो रहा पॉपुलर
अमेरिका को हायर एजुकेशन का हब माना जाता रहा है, तभी यहां पर लाखों भारतीय पढ़ने जाते रहे हैं
नई दिल्ली। अमेरिका को हायर एजुकेशन का हब माना जाता रहा है, तभी यहां पर लाखों भारतीय पढ़ने जाते रहे हैं। लेकिन अब धीरे-धीरे यहां हालात बदल रहे हैं और स्टूडेंट्स की संख्या भी घट रही है। एडटेक कंपनी अपग्रेड की ट्रांसनेशनल एजुकेशन (टीएनई) रिपोर्ट 2024-25 में बताया गया है कि भारतीय छात्रों के बीच अमेरिका अपनी चमक खो रहा है। अब स्टूडेंट्स यूरोप के मुल्कों में पढ़ना ज्यादा पसंद कर रहे हैं, क्योंकि वहां पर उन पर वीजा संबंधी बंदिशें कम हैं। अमेरिकी यूनिवर्सिटीज में आवेदनों में साल-दर-साल 13 प्रतिशत की गिरावट आई है, क्योंकि भारतीय छात्र जर्मनी जैसे गंतव्यों को पसंद कर रहे हैं, जहां 2024-25 में 32.6 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। टीएनई रिपोर्ट 2024-25 में कहा गया है कि अमेरिका अब भारतीय छात्रों के लिए स्वभाविक और सबे पसंदीदा स्टडी अब्रॉड डेस्टिनेशन नहीं रह गया है।
जर्मनी और पश्चिमी एशिया हो रहा पॉपुलर
रिपोर्ट में कहा गया कि अमेरिकी यूनिवर्सिटीज में आवेदनों में साल-दर-साल 13 प्रतिशत की गिरावट आई है, जबकि जर्मनी जैसे यूरोपीय गंतव्यों (2022 के 13.2 प्रतिशत से बढ़कर 2024-25 में 32.6 प्रतिशत) और संयुक्त अरब अमीरात (जहां 42 प्रतिशत अंतरराष्ट्रीय छात्र भारतीय हैं) में अभूतपूर्व वृद्धि देखी जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिम एशिया तेजी से भारतीय छात्रों के लिए एक व्यावहारिक और सुलभ विदेश अध्ययन स्थल बनता जा रहा है, जहां वैश्विक परिसरों से डिग्री कार्यक्रम उपलब्ध हैं। इसमें कहा गया कि दुबई और कतर के एजुकेशन सिटी में जॉर्जटाउन, जॉन्स हॉपकिन्स, आरआईटी, कानेर्गी मेलॉन और वेइल कॉर्नेल सहित अमेरिकी यूनिवर्सिटीज के सैटेलाइट परिसर अपने घरेलू संस्थानों के समान ही डिग्री प्रदान करते हैं।
दो साल बाद हालात बदल गए
रिपोर्ट में कहा गया कि 2022 में अमेरिका (19 प्रतिशत) और कनाडा (18 प्रतिशत) भारतीय छात्रों के लिए टॉप स्टडी अब्रॉड डेस्टिनेशन थे। इसके अनुसार, कि 2023 तक अमेरिका में यह दर लगभग 60 प्रतिशत तक पहुंच गई, जो कई कारकों के कारण 47 प्रतिशत पर आकर रुक गई। दो साल बाद हालात बदल गए, क्योंकि यह करियर के लिहाज से उपयुक्त था। ट्रांसनेशनल एजुकेशन (टीएनई) रिपोर्ट 2024-25, जनवरी 2024 से मई 2025 तक आयोजित एक लाख से अधिक उत्तरदाताओं के सर्वे पर आधारित है जिनमें मुख्य रूप से भारतीय छात्र शामिल थे। रिपोर्ट में कहा गया कि कनाडा में भी आवेदनों में कमी आई है, जो 2022 के 18 प्रतिशत से घटकर वित्त वर्ष 2025 में नौ प्रतिशत रह गई है। इस बीच, इसमें कहा गया कि नीतिगत परिवर्तनों से संबंधित चिंताओं के बावजूद ब्रिटेन की ओर अब भी हर साल भारत से हजारों छात्र आकर्षित हो रहे हैं, जिसका श्रेय विश्व स्तर पर रैंक हासिल करने वाले इसके विश्वविद्यालयों, छोटी यूजी डिग्री और टॉप कोर्सेज को जाता है। इसमें कहा गया कि ब्रिटेन के प्रभुत्व के साथ-साथ आयरलैंड ने भी तेजी से अपनी जगह बना ली है।

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