लोकसभा स्पीकर बिरला ने दी पक्ष-विपक्ष को नसीहत, कहा- संसद की गरिमा, मर्यादा और प्रतिष्ठा बनाए रखें 

संसद की गरिमा, मर्यादा और प्रतिष्ठा बनाए रखें 

लोकसभा स्पीकर बिरला ने दी पक्ष-विपक्ष को नसीहत, कहा- संसद की गरिमा, मर्यादा और प्रतिष्ठा बनाए रखें 

संसद परिसर में कांग्रेस सहित विपक्षी दलों के विरोध प्रदर्शन पर लोकसभा स्पीकर ओम बिरला काफी नाराज दिखे

नई दिल्ली। संसद परिसर में कांग्रेस सहित विपक्षी दलों के विरोध प्रदर्शन पर लोकसभा स्पीकर ओम बिरला काफी नाराज दिखे। लोकसभा की कार्रवाई शुरू होते ही ओम बिरला ने सत्ता पक्ष और विपक्ष को नसीहत का पाठ पढ़ाया। बिरला ने संसद परिसर में कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों के विरोध प्रदर्शन के तौर-तरीकों को अशोभनीय बताया। उन्होंने प्रतिपक्ष के बड़े नेताओं के आचरण को संसदीय परंपराओं के प्रतिकूल करार दिया। उन्होंने कहा कि सभी को संसद की गरिमा, मर्यादा और प्रतिष्ठा को बनाए रखना चाहिए। 

बड़े नेताओं का आचरण भी अनुकूल नहीं
स्पीकर बिरला ने कहा कि संसद परिसर में जिस प्रकार के प्रदर्शन किए जा रहे हैं, जिस प्रकार नारे, पोस्टर और मुखौटों का उपयोग किया जा रहा है, वह न सिर्फ अशोभनीय है, बल्कि हमारी नियम प्रक्रियाओं और संसदीय परंपराओं के अनुरूप भी नहीं है। मुझे बहुत अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि इसमें प्रतिपक्ष के बड़े नेताओं का आचरण-व्यवहार भी संसदीय व्यवहार के अनुकूल नहीं है।

कोई मुद्दा है तो पक्ष-विपक्ष आपस में चर्चा करें
बिरला ने कहा कि संसद एक पवित्र स्थल हैए इस भवन की उच्च गरिमा, प्रतिष्ठा और मर्यादा है। मर्यादित गरिमा आचरण रखेंगे तो जनता में ठीक संदेश जाएगा। इस लोकतंत्र के मंदिर के प्रति लोगों की आस्ता है, जो भी विषय और मुद्दे हैं आप आकर चर्चा करें, सत्ता पक्ष और विपक्ष आपस में चर्चा करें। हुआ। उन्होंने 1962 में मद्दूर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले एक स्वतंत्र विधायक के रूप में अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की। कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में उनका कार्यकाल (1999-2004) अभूतपूर्व वृद्धि एवं विकास के युग की शुरुआत के लिए याद किया जाता है। 

उनके नेतृत्व के दौरान बेंगलुरु भारत की सिलिकॉन वैली के रूप में उभरा, जिसने प्रौद्योगिकी एवं नवाचार के केंद्र के रूप में वैश्विक पहचान प्राप्त की। कृष्णा का योगदान कर्नाटक तक ही सीमित नहीं रहा बल्कि उन्होंने महाराष्ट्र के राज्यपाल (2004-2008) और भारत के विदेश मंत्री (2009-2012) के रूप में कार्य किया, जहां उनके राजनयिक कौशल ने भारत को वैश्विक स्तर पर मजबूत किया।    

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