ओबीसी के हितों और संवैधानिक हक दिलाने में कांग्रेस पार्टी विश्वासपात्र नहीं रही: मायावती
कांग्रेस पार्टी यूपी सहित देश के प्रमुख राज्यों की सत्ता से लगातार बाहर
बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष द्वारा ओबीसी वर्ग के हितों को लेकर दिए गए बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि ओबीसी के हित व संवैधानिक हक दिलाने के मामले में कांग्रेस कभी विश्वासपात्र नहीं रही है
लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष द्वारा ओबीसी वर्ग के हितों को लेकर दिए गए बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि ओबीसी के हित व संवैधानिक हक दिलाने के मामले में कांग्रेस कभी विश्वासपात्र नहीं रही है। यह दिल मे कुछ व जुबान पर कुछ जैसी स्वार्थ की राजनीति ज्यादा लगती है। बसपा प्रमुख ने शनिवार को अपने सोशल एकाउंट पर एक्स करते हुए लिखा कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष द्वारा यह स्वीकार करना कि देश के विशाल आबादी वाले अन्य पिछड़े वर्ग (ओबीसी) समाज के लोगों की राजनीतिक व आर्थिक आशा, आकांक्षा व आरक्षण सहित उनका संवैधानिक हक दिलाने के मामलों में कांग्रेस पार्टी खरी व विश्वासपात्र नहीं रही है। यह कोई नई बात नहीं है। बल्कि यह दिल में कुछ व जुबान पर कुछ जैसी स्वार्थ की राजनीति ज्यादा लगती है। मायावती ने कहा कि वास्तव में उनका यह बयान उसी तरह से है जैसा कि देश के करोड़ों शोषित, वंचित व उपेक्षित एससी/एसटी समाज के प्रति रहा है। जिसके चलते इन वर्गों के लोगों को अपने आत्म-सम्मान व स्वाभिमान तथा अपने पैरों पर खड़े होने के लिए अलग से अपनी पार्टी बहुजन समाज पार्टी बनानी पड़ी है।
उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर कांग्रेस पार्टी यूपी सहित देश के प्रमुख राज्यों की सत्ता से लगातार बाहर है। अब सत्ता गंवाने के बाद इन्हें इन वर्गों की याद आने लगी है। इसे इनकी नीयत व नीति में हमेशा खोट रहने की वजह से घड़यिाली आँसू नहीं तो और क्या कहा जाएगा। वर्तमान हालात में बीजेपी के एनडीए का भी इन वर्गों के प्रति दोहरे चरित्र वाला यही चाल-ढाल लगता है। मायावती ने कहा कि वैसे भी एससी/एसटी वर्गों को आरक्षण का सही से लाभ व डा. अम्बेडकर को भारतरत्न की उपाधि से सम्मानित नहीं करने तथा आज़ादी के लगभग 40 वर्षों तक ओबीसी वर्गों को आरक्षण की सुविधा नहीं देने व सरकारी नौकरियों में इनके पदों को नहीं भरकर उनका भारी बैकलॉग रखने आदि के जातिवादी रवैयों को भला कौन भुला सकता है, इनका यह अनुचित जातिवादी रवैया अभी भी जारी है।

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