शैक्षणिक संस्थानों में विद्यार्थियों की खुदकुशी पर राज्यों को दिशा निर्देश : कोचिंग सेंटरों का पंजीकरण, छात्रों की सुरक्षा और शिकायत निवारण तंत्र अनिवार्य

कोचिंग सेंटरों को एक समान मानसिक स्वास्थ्य नीति बनानी 

शैक्षणिक संस्थानों में विद्यार्थियों की खुदकुशी पर राज्यों को दिशा निर्देश : कोचिंग सेंटरों का पंजीकरण, छात्रों की सुरक्षा और शिकायत निवारण तंत्र अनिवार्य

सुप्रीम कोर्ट ने शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों की खुदकुशी और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर देश भर के सभी राज्यों के लिए दिशानिर्देश जारी किया है

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों की खुदकुशी और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर देश भर के सभी राज्यों के लिए दिशानिर्देश जारी किया है। स्टिस जेबी पारदीवाला की अध्यक्षता वाली बेंच ने सभी राज्यों के दो महीनों के अंदर कोचिंग सेंटरों के लिए सख्त नियम बनाने का आदेश दिया है जिसमें कोचिंग सेंटरों का पंजीकरण, छात्रों की सुरक्षा और शिकायत निवारण तंत्र अनिवार्य होगा।

बच्चों को बैच में बांटने से बचें 
 सुप्रीम कोर्ट ने कोचिंग सेंटरों को निर्देश दिया कि वो छात्रों को उनके शैक्षणिक प्रदर्शन या पब्लिक शेमिंग के आधार पर बैच में बांटने से बचें क्योंकि इससे छात्रों पर अनावश्यक दबाव पड़ता है। 

ये दिए निर्देश

  • कोचिंग सेंटरों को छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए खास उपाय करने होंगे।
  • सभी राज्य सरकारें कोचिंग सेंटरों की गतिविधियों पर नजर रखेंगे।
  • आग से सुरक्षा, बिल्डिंग सुरक्षा, आपातकालीन निकास जैसे मानकों का पालन करना होगा। 
  • छात्रों और अभिभावकों की शिकायतों के लिए एक साफ.-सुथरा सिस्टम बनाना होगा।
  • सभी शैक्षणिक संस्थानों और खासकर कोचिंग सेंटरों को एक समान मानसिक स्वास्थ्य नीति बनानी और लागू करनी होगी। 

जिन कोचिंग सेंटरों में सौ या उससे ज्यादा छात्र पढ़ते हैं उन्हें कम से कम एक प्रमाणित काउंसलर, मनोवैज्ञानिक या सोशल वर्कर रखना होगा। इस काउंसलर को बच्चों को किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य में विशेष ट्रेनिंग होनी चाहिए। जिन कोचिंग सेंटरों में सौ से कम छात्र हैं उन्हें बाहरी मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों के साथ औपचारिक रेफरल सिस्टम बनाना होगा ताकि जरुरत पड़ने पर छात्रों को प्रोफेशनल मदद मिल सके।

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कोटा में छात्रों की आत्महत्या पर जताई थी नाराजगी
बता दें कि 23 मई को सुप्रीम कोर्ट ने कोटा में छात्रों की आत्महत्या पर राजस्थान सरकार को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने राजस्थान सरकार से पूछा था कि छात्र कोटा में ही आत्महत्या क्यों कर रहे हैं। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि अब तक इस साल कोटा में 14 आत्महत्या की खबरें आ चुकी हैं। कोर्ट ने राजस्थान सरकार से पूछा था कि आप राज्य सरकार के रूप में क्या कर रहे हैं। क्या आपने एक राज्य की अवधारणा छोड़ तो नहीं दी है। आपने एफआईआर दर्ज क्यों नहीं किया। आप सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन नहीं कर रहे हैं। तब राज्य सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा था कि इस मामले में एसआईटी का गठन किया जा चुका है जो खुदकुशी के इन मामलों की पड़ताल करेगा।

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