त्रिपुरा के विपक्षी दलों ने पीएम मोदी पर साधा निशाना

जनता की गाढ़ी कमाई का भाजपा के लिए वोट बटोरने में इस्तेमाल करने का लगाया आरोप

त्रिपुरा के विपक्षी दलों ने पीएम मोदी पर साधा निशाना

भाकपा के राज्य सचिव जितेंद्र चौधरी ने आरोप लगाया कि राज्य के लोग जो पिछले पांच साल के भाजपा सरकार के कुशासन से त्रस्त हैं, वे इस बात का इंतजार कर रहे थे कि शायद प्रधानमंत्री इस रैली में उन कारणों को बतायेंगे जिसके कारण भाजपा राज्य में 2018 के चुनाव से पहले किये गये वादों को पूरा करने में नाकामयाब रहीं और उम्मीद कर रहे थे कि प्रधानमंत्री राज्य के लिए कुछ सौगातों की घोषणा करेंगे लेकिन वह तो विकास फंड की कीमत पर भाजपा के लिए वोट मांगकर निकल गये।

अगरतला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा में आयोजित विशाल रैली के एक दिन बाद ही सोमवार को राज्य के प्रमुख विपक्षी दल प्रधानमंत्री पर हमलावर नजर आये और उन्होंने जनता की गाढ़ी कमाई का भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए वोट बटोरने में इस्तेमाल करने का आरोप उन पर लगाया। 

प्रधानमंत्री की इस यात्रा और रैली को लेकर प्रमुख विपक्षी दलों कांग्रेस और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) ने सवाल उठाये। भाजपा सरकार में ही स्वास्थ्य मंत्री रह चुके व वर्तमान में कांग्रेस पार्टी के विधायक सुदीप रॉयबर्मन ने त्रिपुरा सरकार पर आरोप लगाया कि उसने मोदी की रैली में राज्यभर से लोगों को लाने में पांच करोड़ रुपये खर्च किये जो कि विशुद्ध रूप से भाजपा का एक राजनीतिक कार्यक्रम था। 

उन्होंने सवाल किया '' आखिर कैसे एक मुख्य सचिव केंद्र और राज्य के कर्मचारियों को प्रधानमंत्री की रैली में पहुंचने को लेकर दिशा निर्देश जारी कर सकता है।"

रॉयबर्मन ने कहा ''सब जानते हैं कि मोदी यहां भाजपा नेताओं की अंदरूनी कलह का समाधान करने आये थे और उन्होंने एक रैली की, जिसमें यह संदेश देना था कि पार्टी में एकता बनी हुई है लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाये। न तो मोदी ने रैली में किसी जनजातीय नेता का नाम लिया और न ही कोई जनजातीय नेता प्रधानमंत्री की इस रैली में शामिल हुआ, जो यहां भाजपा में टूट को साफ बताता है।"

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उन्होंने आरोप लगाया कि केवल प्रधानमंत्री के सामने अपनी इज्जत बचाने को मुख्य सचिव ने निजी रूप से चलाये जा रहे होटल प्रबंधन संस्थान का उद्घाटन कर दिया जिसके निर्माण की अनुमति 2010 में तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने दी थी। राज्य डेंटल कॉलेज का उद्घाटन कर दिया गया जिसमें न तो कोई फैकल्टी ही है और न ही इसमें नेशनल मेडिकल काउंसिल के मानकों का ध्यान रखा गया है। इसके अलावा प्रधानमंत्री की रैली पूरी तरह से राजनीतिक थी और आने वाले विधानसभा चुनाव में वोटरों को लुभाने के मकसद से आयोजित की गयी थी।

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यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण था कि त्रिपुरा सरकार ने उन रास्तों पर स्कूलों के छात्रों और शिक्षकों को योग और नृत्य प्रस्तुतियां देने का निर्देश दिया जहां से प्रधानमंत्री का काफिला गुजरना था। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने स्वच्छता, सार्वजनिक शौचालय और जैविक खेती को लेकर प्रधानमंत्री के सामने एक झूठा प्रचार किया।

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भाकपा के राज्य सचिव जितेंद्र चौधरी ने आरोप लगाया कि राज्य के लोग जो पिछले पांच साल के भाजपा सरकार के कुशासन से त्रस्त हैं, वे इस बात का इंतजार कर रहे थे कि शायद प्रधानमंत्री इस रैली में उन कारणों को बतायेंगे जिसके कारण भाजपा राज्य में 2018 के चुनाव से पहले किये गये वादों को पूरा करने में नाकामयाब रहीं और उम्मीद कर रहे थे कि प्रधानमंत्री राज्य के लिए कुछ सौगातों की घोषणा करेंगे लेकिन वह तो विकास फंड की कीमत पर भाजपा के लिए वोट मांगकर निकल गये।

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