धोखाधड़ी रोकने के लिए दूरसंचार विभाग ने किया साइबर सुरक्षा से जुड़े नियमों में बदलाव, जानें
दूरसंचार साइबर सुरक्षा नियमों में संशोधन
मोबाइल फ्रॉड पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने दूरसंचार साइबर सुरक्षा नियम, 2025 में तीन बड़े बदलाव किए हैं। अब टेलीकॉम आइडेंटिफायर यूजर एंटिटी (TIUE) को जरूरत पड़ने पर सरकार से डेटा साझा करना होगा। सेकेंड-हैंड फोन बेचने पर दुकानदारों को IMEI नंबर ब्लैकलिस्ट डाटाबेस से अनिवार्य मिलान करना होगा।
नई दिल्ली। मोबाइल के जरिये होने वाली धोखाधड़ी पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने दूरसंचार साइबर सुरक्षा नियम, 2025 में संशोधन किये हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार, दूरसंचार विभाग द्वारा नियमों में तीन बदलाव किये गये हैं। पहला नियम-मोबाइल नंबर, आईएमईआई और आईपी जैसे आईडेंटिफायर का रिकॉर्ड रखने वाले निकायों को टेलीकॉम आईडेंटिफायर यूजर एंटिटी (टीआईयूई) के रूप में परिभाषित किया गया है। नये नियमों के मुताबिक, विशिष्ट परिस्थितियों में और नियामकीय प्रक्रिया के तहत टीआईयूई के लिए सरकार के साथ टेलीकॉम आईडेंटिफायर डाटा साझा करना जरूरी होगा।
दूसरा बदलाव पुराने मोबाइल हैंडसेट की दोबारा बिक्री से संबंधित है। संचार मंत्रालय की गुरुवार को जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि, देश में सेकेंड-हैंड डिवाइस का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। ब्लैकलिस्ट किये गये, चुराये हुए और क्लोन किये गये फोन भी सेकेंड-हैंड फोन के बाजार में बिक रहे हैं। संशोधित नियमों के अनुसार, अब पुराने मोबाइल फोन के विक्रेता को एक केंद्रीकृत डाटाबेस से मिलान कर यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके द्वारा बेचे जा रहे फोन का आईएमईआई नंबर ब्लैकलिस्ट की सूची में नहीं है। इससे चोरी के मोबाइल फोन के पहचान में भी मदद मिलेगी।
तीसरे बदलाव के तहत, धोखाधड़ी के उद्देश्य से खोले गये बैंक खातों और गलत पहचान से साथ मोबाइल नंबर लेने के बढ़ते मामलों को देखते हुए एक मोबाइल नंबर वैलिडेशन (एमएनवी) प्लेटफॉर्म की स्थापना की जायेगी। यह एक विकेंद्रीकृत और निजता का सम्मान करने वाला प्लेटफॉर्म होगा। इसके जरिये सेवा प्रदाता बात की जांच कर पायेंगे कि, किसी सेवा विशेष के लिए लिया गया मोबाइल नंबर वास्तव में उसी व्यक्ति का है या नहीं, जिसके नाम पर केवाईसी किया गया है।
इसके आगे विज्ञप्ति में कहा गया है कि, इन बदलावों का मकसद मोबाइल के जरिये होने वाले फ्रॉड से देश के डिजिटल पारिस्थितिकी को सुरक्षित रखना, डिवाइस की ट्रेसिबिलिटी को मजबूत करना और टेलीकॉम आइडेंटिफायर का जिम्मेदारी से इस्तेमाल पक्का करना है।

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