ब्रेन ट्यूमर को रोका नहीं जा सकता

एचआईवी होना ब्रेन ट्यूमर के कारणों में शामिल हैं

ब्रेन ट्यूमर को रोका नहीं जा सकता

ब्रेन ट्यूमर मस्तिष्क में होने वाली असामान्य कोशिकाओं का एक संग्रह है, जब ट्यूमर बढ़ता है, तो इससे सिर के अंदर दबाव बढ़ सकता है। यह स्थिति मस्तिष्क को क्षति पहुंचाती है।

जयपुर। ब्रेन ट्यूमर मस्तिष्क में होने वाली असामान्य कोशिकाओं का एक संग्रह है, जब ट्यूमर बढ़ता है, तो इससे सिर के अंदर दबाव बढ़ सकता है। यह स्थिति मस्तिष्क को क्षति पहुंचाती है। शरीर में अलग-अलग तरह के ब्रेन ट्यूमर होते हैं, जैसे कुछ ब्रेन ट्यूमर कैंसर रहित होते हैं तो कुछ कैंसर वाले होते हैं। वैसे तो ब्रेन ट्यूमर होने से रोका नहीं जा सकता, लेकिन समय रहते पता चल जाए तो आधुनिक तकनीकों से इलाज संभव है। बढ़ती आयु, रेडिएशन का दुष्प्रभाव, कैंसर का पारिवारिक इतिहास और एचआईवी होना ब्रेन ट्यूमर के कारणों में शामिल हैं।

ब्रेन ट्यूमर कैसे और क्यों होता है
नारायणा हॉस्पिटल के सीनियर न्यूरोसर्जन डॉ. केके बंसल ने बताया कि उम्र बढ़ने के साथ ब्रेन ट्यूमर होने का खतरा ज्यादा होता है। वृद्ध लोगों में ब्रेन ट्यूमर आम है। हालांकि यह किसी भी उम्र में हो सकता है। कुछ प्रकार के ब्रेन ट्यूमर सिर्फ बच्चों में  ही होते हैं। जिन लोगों को आयोनिजिंग रेडिएशन का एक्सपोजर हुआ हो, उनमें ब्रेन ट्यूमर का खतरा बढ़ जाता है। आयोनिजिंग रेडिएशन का मतलब है कि सिर पर एक बड़ी मशीन से विकिरण चिकित्सा करवाना जैसा कैंसर के इलाज में होता है। यदि परिवार के किसी सदस्य को पहले कभी ब्रेन ट्यूमर रहा हो, तो मस्तिष्क में ब्रेन ट्यूमर होने की संभावना बढ़ जाती है। कैंसर पीड़ित बच्चों को अपने बाद के जीवनकाल में ब्रेन ट्यूमर का अधिक खतरा रहता है। जिन वयस्कों को ल्यूकेमिया होता है, उनमें भी इसके होने का खतरा रहता है।  

लक्षण महसूस होते ही निदान जरूरी
डॉ. सुरेन्द्र धायल ने बताया कि यदि ब्रेन ट्यूमर के किसी भी प्रकार के लक्षण महसूस होते हैं तो तुरंत डॉक्टर के परामर्श से न्यूरोलॉजिक परिक्षण, एमआरआईए सीटी स्कैन, स्पाइनल टैप और जरूरत होने पर बॉयोप्सी करानी चाहिए। अलग-अलग मामलों में ब्रेन ट्यूमर के संकेत और लक्षण भी भिन्न हो सकते हैं। यह ब्रेन ट्यूमर के आकार, स्थान और बढ़ने की दर पर निर्भर करते हैं। कई बार बिना किसी लक्षण के भी व्यक्ति को ब्रेन ट्यूमर हो सकता है।

नई तकनीकों से बेहतर इलाज
सीनियर न्यूरोसर्जन डॉ. यशपाल सिंह राठौड़ ने बताया कि अब एंडोस्कोपी तकनीक से भी ब्रेन ट्यूमर की सर्जरी होने लगी है। इसमें मरीज को बड़ा चीरा नहीं लगाना होता। की-होल सर्जरी से ही उसका ट्यूमर निकाल दिया जाता है। नई तकनीकों में नेविगेशन का भी इस्तेमाल किया जाने लगा है, जिसमें दिमाग के प्रभावित हिस्से में पहुंच कर सटीकता से ट्यूमर निकाला जाता है।

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