खेलों के भारतीय दृष्टिकोण को खत्म करने की कोशिश कर रही हैं विदेशी ताकतें, प्रोफेशनलिज्म के नाम पर हो रहा खेलों का बाजारीकरण : केतकर
क्रीड़ा भारती की खेल सृष्टि में भारतीय दृष्टि गोष्ठी संपन्न
क्रीड़ा भारतीय की ओर से खेल सृष्टि में भारतीय दृष्टि विषय पर आयोजित गोष्ठी में मुख्य वक्ता प्रफुल्ल केतकर ने कहा कि विदेशी ताकतें खेलों के भारतीय दृष्टिकोण को खत्म करने की कोशिश कर रही हैं।
जयपुर। क्रीड़ा भारतीय की ओर से खेल सृष्टि में भारतीय दृष्टि विषय पर आयोजित गोष्ठी में मुख्य वक्ता प्रफुल्ल केतकर ने कहा कि विदेशी ताकतें खेलों के भारतीय दृष्टिकोण को खत्म करने की कोशिश कर रही हैं और पेशेवरीकरण के नाम पर बाजारीकरण से खेलों का स्वरूप बदल रहा है। केतकर ने कहा कि स्पर्धा का असली अर्थ पदक जीतना नहीं है बल्कि आत्मिक विकास है। खेल साधना का विषय होना चाहिए। उन्होंने कहा कि गलाकाट स्पर्धा नहीं बल्कि असली खेल भावना हो क्योंकि खेल एक धर्म है। एक खिलाड़ी को बनाने में उसकी मां, परिवार, राज्य और देश की साधना होती है। केतकर ने कहा कि खेलों में भारत का दृष्टिकोण मनोरंजन, स्वास्थ्य और चरित्र निर्माण रहा है लेकिन बाजारीकरण हो रहा है। उन्होंने स्व पर भी विशेष जोर देते हुए कहा कि स्वेदेशी कोचिंग, स्वदेशी आहार प्रणाली और स्वदेशी तकनीक को हमें नहीं छोड़ना चाहिए। इसके लिए योग सबसे महत्वपूर्ण है।
खेलो इंडिया पहल से आई नई ऊर्जा :
गोष्ठी के मुख्य अतिथि खेल राज्यमंत्री केके बिश्नोई ने कहा कि खेलो इंडिया और खेलो राजस्थान जैसी पहल से खेलों में नई ऊर्जा आई है। अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में मेडल संख्या बढ़ी है और राज्य बजट में खेलों के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं।
देशभर में 100 संगोष्ठियों की श्रृंखला का शुभारंभ :
क्रीड़ा भारतीय के प्रदेश संयोजक मेघसिंह ने जयपुर की गोष्ठी को खेलों से जुड़े विविध विषयों पर देशभर में आयोजित होने वाली 100 संगोष्ठियों की श्रृंखला का आगाज बताया। इस श्रृंखला के तहत 7 गोष्ठियां राजस्थान में होंगी। उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों में खेलों को लेकर देश में सकारात्मक माहौल बना है, जो भविष्य के लिए उत्साहजनक है। इस अवसर पर क्रीड़ा भारती को वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स द्वारा सूर्य नमस्कार का रिकॉर्ड बनाने पर प्रमाणपत्र प्रदान किया गया।
चरित्रवान और राष्ट्रप्रेमी खिलाड़ी बनाना लक्ष्य :
क्रीड़ा भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपाल सैनी ने कहा कि हमारा लक्ष्य सिर्फ अच्छे खिलाड़ी बनाना नहीं, बल्कि ऐसे चरित्रवान और राष्ट्रप्रेमी खिलाड़ी तैयार करना है, जो समाज के लिए आदर्श बनें। उन्होंने कहा कि क्रीड़ा भारती का ध्येय खेल से चरित्र निर्माण और चरित्र से राष्ट्र निर्माण रहा है। संगठन भारतीय खेलों के संरक्षण, संवर्धन और जन-जन को खेलों से जोड़ने के लिए कार्य कर रहा है।

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