शारीरिक अक्षमता को चुनौती दे रहे हैं प्रयागराज के नभनील, वहीं डॉक्टरी सलाह से उलट खेलने पहुंचे हैं ग्वालियर के एसके राठौड़
ढाई-तीन साल बाद ही नभनील की रीढ़ की हड्डी में संक्रमण हो गया था
रीढ़ की हड्डी में संक्रमण के कारण बचपन से ही व्हीलचेयर पर जीवन जी रहे नभनील दास की शतरंज के खेल के प्रति दीवानगी ऐसी है कि यहां जयपुर क्लब में चल रही जयपुर ओपन फिडे रेटिंग शतरंज प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वे प्रयागराज से पहुंचे हैं
जयपुर। रीढ़ की हड्डी में संक्रमण के कारण बचपन से ही व्हीलचेयर पर जीवन जी रहे नभनील दास की शतरंज के खेल के प्रति दीवानगी ऐसी है कि यहां जयपुर क्लब में चल रही जयपुर ओपन फिडे रेटिंग शतरंज प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वे प्रयागराज से पहुंचे हैं। वहीं फिडे मास्टर और पूर्व राष्ट्रीय-ए खिलाड़ी एसके राठौड़ को तो डॉक्टरों ने शतरंज से दूर रहने की सलाह दी थी, लेकिन खेल के प्रति उनका जुनून ऐसा है कि पेरेलेसिस अटैक के बावजूद वे प्रतियोगिता में हिस्सा लेने ग्वालियर से यहां पहुंचे हैं। नभनील और राठौड़ ही नहीं, बल्कि जयपुर क्लब में चल रही इस प्रतियोगिता में कई ऐसे खिलाड़ी शामिल हैं जो शारीरिक अक्षमताओं के बावजूद अपने माता-पिता के सहयोग से खेल में हिस्सा ले रहे हैं। इनमें मध्य प्रदेश के मुन्नादास बैरागी, जयपुर के आरव चतुवेर्दी और रवि कुमार मीणा तथा हनुमानगढ़ के सक्षम मित्तल प्रमुख हैं।
शनिवार को सातवें दौर की बाजी में हार के बाद नभनील दास थोड़े निराश दिखे, लेकिन उनकी मां ने उन्हें ढांढस बंधाया। मां ने बताया कि जन्म के ढाई-तीन साल बाद ही नभनील की रीढ़ की हड्डी में संक्रमण हो गया था, जिससे वह व्हीलचेयर पर निर्भर हो गए। कोविड-19 के समय शतरंज के प्रति उनका रुझान बढ़ा और पिछले दो वर्षों से वे राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में नियमित रूप से भाग ले रहे हैं। उनकी मां ने बताया कि जहां भी टूनार्मेंट होता है, वे हमेशा नभनील के साथ रहती हैं।
जयपुर ओपन फिडे रेटिंग शतरंज टूर्नामेंट में अलग-अलग नजारे राठौड़ के लिए जुनून है शतरंज
एसके राठौड़ के लिए शतरंज एक जुनून बन चुका है। 2011 में एक दुर्घटना में उनका हाथ प्रभावित हुआ और 2016 में उन्हें पेरेलेसिस का सामना करना पड़ा। करीब नौ महीने अस्पताल में रहने के बाद जब उन्हें छुट्टी मिली, तो डॉक्टरों ने उन्हें शतरंज न खेलने की सलाह दी थी। कुछ वर्षों तक उन्होंने इस सलाह पर अमल भी किया, लेकिन 2021 में उन्होंने फिर से शतरंज की दुनिया में वापसी की। पूर्व में जयपुर में कई टूनार्मेंट जीत चुके राठौड़ इस बार भी पूरे फॉर्म में हैं और उनका लक्ष्य पोडियम फिनिश हासिल करना है।
जयपुर की नन्ही श्रेयांशी
टूर्नामेंट में जयपुर की नन्हीं श्रेयांशी जैन भी हिस्सा ले रही है। मात्र छह साल की श्रेयांशी इतनी छोटी हैं कि चाल चलने के लिए उन्हें अपनी सीट पर भी ऊंचा होकर बैठना पड़ता है। श्रेयांश अंडर-17 कैटेगरी में राष्ट्रीय चैंपियन हैं और दुनिया में इस आयु वर्ग में चौथे नम्बर की खिलाड़ी हैं।

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