यूएन में फिलिस्तीन की चर्चा होते ही बंद हुआ 4 वर्ल्ड लीडर्स का माइक, तकनीकी खराबी या मोसाद का हाथ ?
एक नहीं, दो नहीं बल्कि चार नेताओं को इसका सामना करना पड़ा
संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में इस बार सबका ध्यान एक अलग ही घटना पर चला गया।
न्यूयॉर्क। संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में इस बार सबका ध्यान एक अलग ही घटना पर चला गया। फिलिस्तीन के समर्थन में बोलने वाले नेताओं का माइक अचानक बंद हो गया। एक नहीं, दो नहीं बल्कि चार नेताओं को इसका सामना करना पड़ा। इसी वजह से बैठक में मोसाद का नाम चर्चा में आ गया। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जब गाजा में शांति सेना तैनात करने की बात कर रहे थे तो उनका माइक ऑफ हो गया। ठीक ऐसा ही तुर्किए के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोगन के साथ हुआ। जब उन्होंने हमास को आतंकी न मानने और फिलिस्तीन के समर्थन की बात की, तो अचानक आवाज गायब हो गई।
ट्रांसलेटर को कहना पड़ा, इनकी आवाज चली गई है। यही नहीं, कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने जब फिलिस्तीन और दो-राष्ट्र समाधान पर बात की तो शुरूआत में उनका भाषण सामान्य रहा लेकिन जैसे ही उन्होंने फिलिस्तीन को मान्यता देने की बात छेड़ी, उनका माइक ऑफ हो गया। कुछ मिनट तक हॉल में सन्नाटा छाया रहा। दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा के साथ भी यही घटना घटी। उन्होंने जैसे ही फिलिस्तीन का मुद्दा उठाया, माइक ऑफ हो गया।
शक की सुई मोसाद पर :
अब सवाल ये है कि आखिर हर बार फिलिस्तीन के समर्थन पर ही माइक क्यों बंद हुआ? क्या ये केवल तकनीकी खराबी थी, जैसा कि यूएन ने कहा, या फिर इसके पीछे कोई खुफिया दखल था? कई देशों के नेता मानते हैं कि यह संयोग नहीं हो सकता। चूंकि इजरायल फिलिस्तीन को अंतरराष्ट्रीय मंच पर बढ़ते समर्थन को बर्दाश्त नहीं कर सकता, इसलिए शक की सुई उसकी खुफिया एजेंसी मोसाद पर टिक गई है।

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