बिहार की शिक्षा व्यवस्था पर कांग्रेस का हमला : लॉटरी से प्रिंसिपल बना रहे, डिग्री के बदले ली जा रही मिठाई
अंधेर नगरी चौपट राजा वाली कहावत सटीक बैठती : कांग्रेस
कांग्रेस ने कहा है कि बिहार में शिक्षा, विशेष रूप से उच्च शिक्षा की स्थिति चरमरा गई है जिसके कारण बिहार में उच्च शिक्षा अपने निम्नतम स्तर पर पहुंच चुकी है
नई दिल्ली। कांग्रेस ने कहा है कि बिहार में शिक्षा, विशेष रूप से उच्च शिक्षा की स्थिति चरमरा गई है, जिसके कारण बिहार में उच्च शिक्षा अपने निम्नतम स्तर पर पहुंच चुकी है और इसमें अंधेर नगरी चौपट राजा वाली कहावत सटीक बैठती है। कांग्रेस प्रवक्ता कन्हैया कुमार ने मंगलवार को यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वहां शिक्षा के हालात किस कदर बदतर हो गए हैं, इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि वहां प्रिंसिपल की नियुक्ति लॉटरी व्यवस्था के जरिए की जा रही है। प्रशासन का कहना है कि यह व्यवस्था प्रिंसिपल पद पर नियुक्ति के लिए ऊपर से आ रहे दबावों को देखते हुए की गई और इसमें जिसका नाम पर्ची में आएगा उसी की इस पद पर नियुक्ति सुनिश्चित की जाएगी।
उन्होंने कहा कि बिहार से एक अजीब घटना सामने आई कि इस तरह की व्यवस्था में महिला कॉलेज में भी पुरुष प्रिंसिपल बना दिए गए। इसके बाद वाइस चांसलर का एक इंटरव्यू आया, जिसमें वे बहुत सारी सफाई दे रहे हैं। उन्होंने इंटरव्यू में जो बातें कही है, उससे बिहार की शिक्षा व्यवस्था की स्थिति का पता चलता है और बिहार की शिक्षा व्यवस्था को लेकर ‘अंधेर नगरी चौपट राजा, टके सेर भाजी, टके सेर खाजा’वाली कहावत सटीक बैठती है।
कुमार के अनुसार वाइस चांसलर ने अपने इंटरव्यू में कहा “शहर के कॉलेजों में प्रिंसिपल बनने के लिए बड़े-बड़े लोगों की सिफारिश आती है, इसलिए हमने लॉटरी निकाली। साथ ही कहा कि ऐसा कोई नियम नहीं है, जिसमें लिखा हो कि महिला कॉलेज का प्रिंसिपल पुरुष नहीं बन सकता।” मतलब मनमाने तरीके से बिहार में शिक्षा व्यवस्था चल रही है। यह कहने को तो उच्च शिक्षा है, जो अपने निम्नतम स्तर पर है। आप किसी भी कॉलेज में छात्रों की संख्या देखेंगे तो पता चलेगा कि 4 कमरे का कॉलेज है, लेकिन हजारों छात्रों का रजिस्ट्रेशन किया गया है। मतलब पैसा दीजिए, डिग्री लीजिए। यहां सिर्फ डिग्री दी जा रही है। पढ़ाई के नाम पर कुछ नहीं होता है।
प्रवक्ता ने कहा कि बिहार में शिक्षा क्षेत्र में ढांचागत विकास के नाम पर कुछ नहीं है और वहां छात्रों को सारी व्यवस्थाएं खुद ही करनी पड़ती हैं। सबसे दिक्कत यह है कि वहां नियमित क्लास नहीं होती, सेशन कभी भी समय पर नहीं होता, इंफ्रास्ट्रक्चर बेहद जर्जर हालात में हैं, विश्वविद्यालय लूट का अड्डा बन चुके हैं, क्षमता से ज्यादा छात्र पंजीकृत होते हैं, छात्र पैसा देकर प्रवेश पाते हैं, लेकिन न उन्हें पढ़ाया जाता है, न प्रयोगशाला की सुविधा दी जाती है, न पुस्तकालय की सुविधा मिलती है इसके उलट जब आप डिग्री लेने जाएंगे तो आपसे मिठाई खाने के नाम पर रिश्वत लिए बिना डिग्री नहीं दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि लॉटरी से प्रिंसिपल बनाना, इसी सिस्टम का पर्दाफाश करता है। ये पूरा कट-कमीशन का सिस्टम है। बिहार में वही वाइस चांसलर बनता है, जिसकी सरकार में पहुंच है। ऐसे लोग वाइस चांसलर बनने के बाद कॉलेज के सीईओ की तरह काम करते हैं। इनका काम होता है कि कैसे कॉलेज से उगाही करें और कट-कमीशन ऊपर तक पहुंचाएं। इतना सब हो रहा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार जाकर कहते हैं कि बिहार विकास के इसी रास्ते पर आगे बढ़ेगा। क्या यही विकास है।

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