मोदी शासन में सबसे निचले स्तर पर पहुंचा रुपया : दक्षिण एशिया में भारतीय मुद्रा का सबसे खराब प्रदर्शन, सुप्रिया ने कहा- इसमें सुधार के नहीं हो रहे प्रयास
विदेशी निवेशक भाग रहे हैं और देश की अर्थव्यवस्था गर्त में जा रही है
कांग्रेस ने कहा है कि देश में जितने प्रधानमंत्री हुए हैं, उनमें नरेन्द्र मोदी के शासन में रुपया सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है
नई दिल्ली। कांग्रेस ने कहा है कि देश में जितने प्रधानमंत्री हुए हैं, उनमें नरेन्द्र मोदी के शासन में रुपया सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है, लेकिन सरकार इसे रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठा रही है, जिससे विदेशी निवेशक भाग रहे हैं और देश की अर्थव्यवस्था गर्त में जा रही है। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने शुक्रवार को पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि रुपया डॉलर के मुकाबले 87 रुपए पर पहुंच गया है और दक्षिण एशिया के देशों में भारतीय मुद्रा का सबसे खराब प्रदर्शन है। विदेशी मुद्रा भंडार घट रहा है, निवेश घट रहा है, आयात बढ़ रहा है, जिससे महंगाई आसमान छू रही है और देश की अर्थव्यवस्था इसका बहुत बुरा असर पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार में रुपए में गिरावट के सारे रिकॉर्ड टूट गए हैं और अब तक जितने प्रधानमंत्री हुए हैं उनमें सबसे ज्यादा गिरावट प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन में हुई है। उनका कहना था कि ऐसा लगता है कि मोदी सरकार जिस तरह से रुपए को नहीं संभाल पा रही है और हालात सुधारने के प्रयास भी नहीं हो रहे है, यदि स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो रुपया जल्द ही गिरावट का शतक बनाएगा। उन्होंने कहा कि रुपए में गिरावट का मतलब है कि आयत बढ़ रहा है और देश में महंगाई उतनी ही तेजी से बढ़ेगी और आवश्यक वस्तुओं के दाम आम आदमी की पहुंच से और दूर हो जाएंगे। रिजर्व बैंक भी ब्याज दर बढ़ाएगा और इससे ईएमआई तथा अन्य स्तरों पर दबाव बढ़ेगा तथा आम आदमी के सामने बड़ा आर्थिक संकट खड़ा हो जाएगा।
प्रवक्ता ने कहा कि सरकार को बताना चाहिए कि क्या उसने रुपए के गिरते स्तर को बचाने के लिए कोई रणनीति बनाई है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार रुपए की गिरावट रोकने में असफल रहती है तो आवश्यक वस्तुओं के दाम और बढ़ेंगे और लोगों के घरों का बजट बिगड़ जाएगा। सरकार को सोचना चाहिए कि रुपए में गिरावट का सीधा संबंध महंगाई से है और उसे बताना चाहिए कि डॉलर के मुकाबले रुपए का स्तर सुधारने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं।
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