दहेज प्रथा ने विवाह को बना दिया व्यावसायिक लेन-देन, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- दहेज हत्या समाज के खिलाफ अपराध
भौतिक लालसा पूरी करने का माध्यम बन चुका
सुप्रीम कोर्ट ने दहेज प्रथा को विवाह जैसी पवित्र संस्था को व्यावसायिक लेन-देन में बदलने वाला सामाजिक अभिशाप बताया और दहेज हत्या को समाज के खिलाफ अपराध कहा। अदालत ने विवाह के चार महीने बाद पत्नी को ज़हर देने के आरोपी की जमानत रद्द करते हुए हाईकोर्ट के निर्णय को गंभीर तथ्यों और पीड़िता के बयान की अनदेखी बताकर गलत ठहराया।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विवाह आपसी विश्वास और सम्मान पर आधारित एक पवित्र संस्था है, लेकिन दहेज प्रथा ने इसे एक व्यावसायिक लेन-देन में बदल दिया है। कोर्ट ने कहा कि दहेज हत्या समाज के खिलाफ अपराध है। दहेज को उपहार के रूप में दिखाने की कोशिश की जाती है, जबकि यह सामाजिक प्रतिष्ठा दिखाने और भौतिक लालसा पूरी करने का माध्यम बन चुका है।
अदालत ने यह टिप्पणी उस आरोपी की जमानत रद्द करते हुए की, जिस पर विवाह के चार महीने बाद पत्नी को दहेज के लिए ज़हर देने का आरोप है। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के जमानत देने के फैसले को गंभीर तथ्यों और पीड़िता के बयान की अनदेखी बताकर अव्यावहारिक करार दिया।

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