सेना में ब्रिगेडियर और उनसे ऊपर के सभी अधिकारियों की वर्दी समान रहेगी

सेना के निष्पक्ष और समान भाव वाले संगठन के चरित्र को मिलेगा बल

सेना में ब्रिगेडियर और उनसे ऊपर के सभी अधिकारियों की वर्दी समान रहेगी

विभिन्न स्तर पर सुधारों की दिशा में निरंतर आगे बढ़ रही है सेना ने एक और महत्वपूर्ण तथा बड़ा निर्णय लेते हुए कहा है कि उसके ब्रिगेडियर और उनसे ऊपर के रैंक के सभी अधिकारियों की वर्दी एक समान रहेगी चाहे वह किसी भी रेजिमेंट से हो।

नई दिल्ली। विभिन्न स्तर पर सुधारों की दिशा में निरंतर आगे बढ़ रही है सेना ने एक और महत्वपूर्ण तथा बड़ा निर्णय लेते हुए कहा है कि उसके ब्रिगेडियर और उनसे ऊपर के रैंक के सभी अधिकारियों की वर्दी एक समान रहेगी चाहे वह किसी भी रेजिमेंट से हो।

सूत्रों के अनुसार पिछले महीने संपन्न हुए  सेना के शीर्ष कमांडरों के सम्मेलन में काफी गहन विचार विमर्श और सभी पक्षधारकों के साथ विस्तार से बातचीत के आधार पर यह निर्णय लिया गया। नया नियम आगामी एक अगस्त से लागू होगा। हालांकि सूत्रों ने साफ किया है कि यह बदलाव केवल ब्रिगेडियर और उससे ऊपर के अधिकारियों के मामले में लिया गया है और कर्नल तथा उससे नीचे के रैंकों की वर्दी पहले की तरह ही रेजिमेेंटों के अनुरूप अलग अलग ही रहेगी।

सूत्रों ने कहा है कि सेना में उच्च नेतृत्व में रेजिमेंट के स्तर से ऊपर उठकर समान पहचान और दृष्टिकोण को बढ़ावा देने तथा इसे मजबूत बनाने के लिए सेना ने ब्रिगेडियर और उससे ऊपर के रैंकों के लिए वर्दी को समान रखने का निर्णय लिया है भले ही किसी भी अधिकारी की नियुक्ति किसी भी कैडर में और रेजिमेंट में हुई हो। इस निर्णय के लागू होने के बाद ब्रिगेडियर और उससे ऊपर रैंक के अधिकारी रेजिमेंट के अनुरूप अलग-अलग कैप, बेल्ट, जूते, शोल्डर बैज और जार्जट पैच नहीं पहनेंगे। इन सभी चीजों का मानकीकरण कर इन्हें सबके लिए समान बनाया जायेगा। नये नियम के अनुसार फ्लैग रैंक के अधिकारी अब लेनयार्ड यानी कमरबंद डोरी नहीं पहनेेंगे।

सूत्रों का कहना है कि इससे सेना के निष्पक्ष और समान भाव वाले संगठन के चरित्र तथा स्वरूप को बल मिलेगा।

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इस निर्णय के पीछे एक और तर्क यह दिया जा रहा है कि सेना में ब्रिगेडियर और उससे ऊपर के रैंक के अधिकारी यूनिट तथा बटालियनों को कमान कर चुके होते हैं और इनकी तैनाती ज्यादातर मुख्यालयों यह ऐसे शीर्ष प्रतिष्ठान में होती है जहां सभी सेवाओं के वरिष्ठ अधिकारी मिलकर कार्य करते हैं। मानक वर्दी होने से वरिष्ठ रैंकों के अधिकारियों की  पहचान में तो समानता आयेगी ही इससे सेना के वास्तविक मूल्य भी परिलक्षित होंगे।

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सूत्रों का कहना है कि कर्नल के स्तर तक एक ही रेजिमेंट में कनिष्ठ नेतृत्व के स्तर पर अलग-अलग पहचान जरूरी होती है । यह रेजिमेंट के स्तर पर सैनिकों में एकजुटता , संबंधों को मजबूत बनाने तथा अधिकारी और जवान के संबंध  पुख्ता करने के लिए होती है। 

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