रेप में तत्काल न्याय नहीं मिलता, लोगों को उठ जाता है भरोसा : द्रौपदी

चिह्न भी जारी किया

रेप में तत्काल न्याय नहीं मिलता, लोगों को उठ जाता है भरोसा :  द्रौपदी

कार्यक्रम में मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और कानून एवं न्याय के केंद्रीय राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी शामिल हुए। मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट का फ्लैग और चिह्न भी जारी किया।

नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि पेंडिंग केस और बैकलॉग न्यायपालिका के लिए बड़ा चैलेंज हैं। जब रेप जैसे मामलों में कोर्ट का फैसला एक पीढ़ी गुजर जाने के बाद आता है, तो आम आदमी को लगता है कि न्याय की प्रक्रिया में कोई संवेदनशीलता नहीं बची है। राष्ट्रपति मुर्मू नई दिल्ली के भारत मंडपम में नेशनल कॉन्फ्रेंस ऑफ डिस्ट्रिक्ट ज्यूडिशीयरी के वैलेडिक्टरी इवेंट में शामिल हुई थीं। यहीं पर उन्होंने यह बात कही। कार्यक्रम में मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और कानून एवं न्याय के केंद्रीय राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी शामिल हुए। मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट का फ्लैग और चिह्न भी जारी किया।

न्याय की रक्षा करना जजों की जिम्मेदारी
मुर्मू ने कहा कि न्यायालयों में तत्काल न्याय मिल सके इसके लिए हमें मामलों की सुनवाई को आगे बढ़ाने के कल्चर को खत्म करना होगा। इसके लिए सभी जरूरी प्रयास किए जाने चाहिए। इस देश के सारे जजों की यह जिम्मेदारी है वे न्याय की रक्षा करें। राष्ट्रपति ने कहा कि कोर्ट में आते ही आम आदमी का स्ट्रेस लेवल बढ़ जाता है। उन्होंने इसे ‘ब्लैक कोट सिंड्रोम’ का नाम दिया और सुझाव दिया कि इसकी स्टडी की जाए। उन्होंने न्यायपालिका में महिला अधिकारियों की बढ़ती संख्या पर खुशी भी जताई।

न्याय में कितनी देरी सही है, इस पर विचार करने की जरूरत
राष्ट्रपति ने कहा कि गांव के लोग न्यायपालिका को दैवीय मानते हैं, क्योंकि उन्हें वहां न्याय मिलता है। एक कहावत है. भगवान के घर देर है अंधेर नहीं। लेकिन आखिर कितनी देरघ् हमें इस बारे में सोचना होगा। जब तक किसी को न्याय मिल पाता है, तब तक उनके चेहरे से मुस्कान गायब हो चुकी होती है, कई मामलों में उनकी जिंदगी तक खत्म हो जाती है। इस बारे में गहराई से विचार करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यह हमारे सामाजिक जीवन का दुखद पहलू है कि कई मामलों में कई लोग अपराध करने के बाद भी खुलेआम घूमते रहते हैं, जबकि उनके विक्टिम डर में जीते हैं। महिलाओं के लिए हालात और खराब हैं क्योंकि हमारा समाज उन्हें सपोर्ट नहीं करता है।

 

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