18 वर्ष की उम्र में गुकेश ने रचा इतिहास 

18 वर्ष की उम्र में गुकेश ने रचा इतिहास 

गुकेश 12 साल की उम्र में सबसे युवा ग्रैंडमास्टर बन गए थे।

मात्र 18 वर्ष की उम्र में डोम्माराजू गुकेश ने 18 वीं विश्व शतरंज चैंपियनशिप जीतकर न केवल इतिहास रचा बल्कि इस खेल में भारत की छवि को वैश्विक शक्ति के रूप में भी प्रतिष्ठित किया है। वे दुनिया में सबसे कम उम्र के ऐसे प्रतिभावान खिलाड़ी बने जिन्होंने भारतीय शतरंज में वर्ल्ड चैंपियन रहे विश्वनाथ आंनद के बाद यह कामयाबी हासिल की। इसके साथ गैरी कास्पारोव का वह रिकॉर्ड तोड़ा, जब उन्होंने 22 वर्ष की उम्र में यह खिताब जीता था। गुकेश ने पिछले चैंपियन रहे चीन के डिंग लिरेन को चौदहवें चक्र में 6.5 के मुकाबले 7.5 अंकों से शिकस्त दी। हालांकि खेल बराबरी की ओर बढ़ रहा था, लेकिन गुकेश का रूक(हाथी)और बिशप(ऊंट)बचा था। जिसे उन्होंने एक दूसरे से गंवाया। अंत में गुकेश के दो प्यादों के मुकाबले लिरेन के पास सिर्फ  एक प्यादा बचा। और चीन के खिलाड़ी ने हार मानकर खिताब झोली में डाल दिया। लिरेन ने 55वीं चाल में यह गलती कर दी और उसके हाथ से ताज फिसल गया। हालांकि मैच का पहला गेम डिंग ने जीतकर अपनी योग्यता साबित की थी। लेकिन बाद में गुकेश ने अपने कौशल से मुकाबले को कड़ा कर दिया। उन्होंने 11 चक्र में शानदार खेल दिखाया और बढ़त हासिल की। डिंग ने 12 चक्र में शानदार जीत के साथ मैच को फिर बराबरी पर ला दिया। तेरहवें चक्र में भी दोनों खिलाड़ियों में 6.5 और 6.5 अंकों से बराबरी रही थी। डिंग की योजना क्लासिकल गेम में गतिरोध को सुरक्षित करने और मैच को छोटे रैपिड और जरूरत पड़ने पर ब्लिट्ज प्रारूप को खींचने और अनुभव के मामले में अपनी ताकत के इस्तेमाल की रही।

जबकि गुकेश की नीति बराबरी की स्थिति में भी आगे बढ़ने की रही, जो जीत का कारण बनी। चिकित्सक पिता और माइक्रो बॉयोलाजिस्ट मां की संतान गुकेश का 7वें वर्ष से ही शतरंज खेल के प्रति गजब का जुनून सवार था। गजब की मानसिक दृढ़ता, बौद्धिक कुशलता परिपक्वता, कड़ी मेहनत, समर्पण और धैर्य के बूते वे इस मुकाम तक पहुंचे। वेस्ट ब्रिज आनंद शतरंज अकादमी के मार्गदर्शन से उन्हें काफी मदद मिली। हाल के वर्षों में विश्व शतरंज के शीर्ष स्तरों पर भारतीय युवा प्रतिभाओं का उदय हुआ है। गुकेश 12 साल की उम्र में सबसे युवा ग्रैंडमास्टर बन गए थे। इस साल भी उन्होंने कई खिताब जीते। टोरंटो में कैंडिडेट्स 2024 टुर्नामेंट और शतरंज ओलंपियाड में स्वर्ण पदक जीते। इसमें अब कोई संदेह नहीं है कि उनकी इस उपलब्धि से देश में शतरंज के प्रति लोकप्रियता में इजाफा होगा। वैसे भी युवा प्रतिभाओं की कमी नहीं है। इस खेल में महिलाएं भी पीछे नहीं हैं। गुकेश के साथ ग्रैंड मास्टर अर्जुन एरिगैसी और आर.प्रज्ञानंद की गिनती विश्व शतरंज के शीर्ष 15 स्थानों में है। जो अपने में विश्व चैंपियन बनने की क्षमता रखते हैं। नई प्रतिभाओं को खोजने, तराशने और प्रोत्साहन देने के लिए सरकार, खेल संघों और आयोजकों के सहयोग और पहल की जरूरत है।

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