जानें राज काज में क्या है खास
नजरें किसान पुत्र पर टिकीं
सूबे में चार दिनों से उतावलेपन को लेकर कई तरह की चर्चाएं हैं।
चर्चा में उतावलापन :
सूबे में चार दिनों से उतावलेपन को लेकर कई तरह की चर्चाएं हैं। हो भी क्यों न, उतावलेपन से सूबे में सियासत जो गरमा गई। इसकी सबसे ज्यादा चर्चा सरदार पटेल मार्ग स्थित बंगला नंबर 51 में बने भगवा वालों के ठिकाने पर है। यहां आने वाला हर वर्कर बाएं कोने में कानाफूसी किए बिना नहीं रहता। चर्चा है कि पिंकसिटी के मेष राशि वाले वैश्य भाई साहब वर्किंग कमेटी की आड़ में छब्बेजी बनने गए थे, लेकिन मामला ऐसा उलटा पड़ा कि दुब्बेजी बन कर रह गए। और तो और दिल्ली वाले बड़े लोगों की फटकार का ब्याज अलग से मिला। अब भारती भवन वालों के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन वहां से भी बैरंग लौटने के सिवाय कुछ भी हाथ नहीं लगा। अब बेचारे की आगे के परिणाम की सोच कर दिन का चैन और रात की नींद तक उड़ी हुई है।
नजरें किसान पुत्र पर टिकीं :
इन दिनों कई लीडर्स की नजरें सूबे के एक किसान पुत्र पर टिकी हुई हैं। किसान पुत्र भी उस जिले से ताल्लुक रखते हैं, जिसने देश को सबसे ज्यादा वीर सपूत दिए हैं। वैसे तो ठिकाना वाले किसान पुत्र ने कई डिग्रियां हासिल कर देश के दो नंबर वाले संवैधानिक पद को भी संभाला है। पिछले दिनों पद छोड़ने वाले इस किसान पुत्र पर अब सबकी नजरें टिकी हैं, लेकिन भाई साहब की चुप्पी ने कइयों को परेशान कर रखा है। राज का काज करने वालों में चर्चा है कि जब भाई साहब अपना मुंह खोलेंगे, तो कइयों की बोलती बंद हुए बिना नहीं रहेगी। चूंकि भाई साहब ने नागपुर वाले ठिकानेदारों से नजदीकियां यूंही नहीं बनाई। भाई साहब की इस चुप्पी के रहस्य को समझने वाले समझ गए, ना समझे वो अनाड़ी है।
इम्पोरटेंट दिस वीक :
मंडे से शुरु होने वाला यह वीक खाकी वाले साहब लोगों के लिए काफी इम्पोरटेंट हैं। चूंकि इस वीक में उनके महकमें में काफी उलटफेर जो होने वाली है। कई साहब लोगों के पॉवर का पता चलेगा, तो कुछेक की नंबर वन कुर्सी के साथ नजदीकियां भी उजागर होंगी। वैसे पीएचक्यू से सचिवालय तक चर्चाएं तो बहुत सारी हैं, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा पिंकसिटी में अपने काम के दम पर सबसे लम्बा आनंद कर चुके साहब की है, जिनको दमदार कुर्सी मिलने वाली है। वैसे वाराणसी से ताल्लुक रखने वाले साहब की चली तो, जयपुर कमिश्नर भी उन्हीं का मनमाफिक होगा।
एक जुमला यह भी :
सूबे में इन दिनों एक जुमला जोरों पर है। जुमला भी छोटा-मोटा नहीं बल्कि भगवा वाले भाई लोगों की स्टेट वर्किंग कमेटी को लेकर है। जुमला है कि पिंकसिटी और लालकिले वाली नगरी के बीच कई महीनों से अटकी वर्किंग कमेटी को लेकर जो खामोशी बनी हुई है, उससे ज्यादा लाइन में लगे भाई बेचैन हैं। उनको डर है कि उनकी सारी भागदौड़ कहीं विचारधाराओं के बीच अटक नहीं जाए। वैसे तो उन्होंने हाजिरी भरने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
-एल. एल. शर्मा
(यह लेखक के अपने विचार हैं।)

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