दो अरब से अधिक लोग आज भी स्वच्छ जल से वंचित

रेन वाटर हार्वेस्टिंग 

दो अरब से अधिक लोग आज भी स्वच्छ जल से वंचित

जल में ही सब प्राणियों के प्राण है।

जल में ही सब प्राणियों के प्राण है। जल ही सम्पूर्ण जगत का जीवन है। इसलिए सभी को इसका संरक्षण करना चाहिए, क्योंकि यही प्राणों की रक्षा का साधन है। लेकिन आज विश्व में स्वच्छ जल की समस्या एक बड़ी व गंभीर समस्या है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हर साल लगभग 2 अरब लोग सुरक्षित पेयजल से वंचित रहते हैं, यह वाकई बहुत ही चिंताजनक बात है। यदि हम यहां पर अपने देश भारत की बात करें तो भारत में विश्व की लगभग 18प्रतिशत जनसंख्या रहती है, लेकिन, यहां मात्र 4प्रतिशत ताजा जल संसाधन ही उपलब्ध हैं। क्या यह चिंताजनक बात नहीं है कि पिछले दशक में हुई प्रगति के बावजूद दुनियाभर में 2.2 अरब लोग बुनियादी स्वच्छ छल और स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं की पहुंच से दूर हैं,बहरहाल पाठकों को यह भी बताता चलूं कि हालांकि, हमारे देश ने साफ और सुरक्षित पेयजल के मामले में प्रगति की है, लेकिन आज भी अलग-अलग राज्यों में बेहद फर्क है।

जल जीवन मिशन :

डब्ल्यू एच ओ के अनुसार भारत में सुरक्षित रूप से संचालित पेयजल सेवाओं का उपयोग करने वाले लोगों का हिस्सा 61प्रतिशत से बढ़कर 73प्रतिशत हो गया है, जबकि वैश्विक औसत 62प्रतिशत है। भारत में जल जीवन मिशन से ग्रामीण क्षेत्रों में जल कनेक्शनों में आज अभूतपूर्व प्रगति हुई है। आंकड़े बताते हैं कि ग्रामीण घरों में नल कनेक्शन की पहुंच 2019 में लगभग 16.7प्रतिशत थी, लेकिन यह आंकड़ा 2023 तक बढ़कर 62.79प्रतिशत हो गया है। हालांकि वास्तविक उपयोग में अंतर है। सर्वेक्षण बताते हैं कि केवल 30प्रतिशत ग्रामीण घरों में पेयजल का प्राथमिक स्रोत खुद का नल है। अच्छी बात यह है कि आज वाटर डोट आर्ग ने भारत में 31 मिलियन से अधिक लोगों को सुरक्षित जल या स्वच्छता सेवाएं उपलब्ध करवाई हैं। फिर भी, लगभग 163 मिलियन लोग सुरक्षित पेयजल से वंचित हैं, और जल-जनित बीमारियां सम्पर्क का प्राथमिक कारण बनी हुई हैं।

स्वच्छ पेयजल की पहुंच :

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यह चिंताजनक बात है कि आज भी भारत में 3.4 करोड़ लोग ऐसे हैं, जिनके पास पेयजल सुविधा उपलब्ध नहीं है। वर्ष 2015 से अब तक सात देशों ने स्वच्छ पेयजल की पहुंच में कम से कम दस प्रतिशत अंकों की वृद्धि की है। आज तंजानिया में 10 प्रतिशत,घाना में 12 प्रतिशत, हमारे देश में 15 प्रतिशत, जार्डन, मोरक्को और भूटान में 16,17 और 18 प्रतिशत तथा लाओस में 23 प्रतिशत पेयजल की पहुंच में इजाफा हुआ है। बहरहाल कहना गलत नहीं होगा कि स्वच्छ पेयजल की कमी एक गंभीर समस्या है, क्योंकि जल ही जीवन का आधार है। यदि स्वच्छ पेयजल उपलब्ध न हो तो इसके दूरगामी और खतरनाक प्रभाव हो सकते हैं। मसलन, इससे स्वास्थ्य और पर्यावरण के साथ ही साथ सामाजिक और आर्थिक प्रभाव भी होते हैं। स्वास्थ्य की बात करें तो दूषित जल से हैजा, पेचिश, टायफॉयड, हेपेटाइटिस, डायरिया जैसी बीमारियां फैलती हैं।

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कुपोषण और डिहाइड्रेशन :

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बच्चों में कुपोषण और डिहाइड्रेशन की समस्या बढ़ जाती है। लंबे समय तक गंदा पानी पीने से गुर्दे, जिगर और पेट से जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं। स्वच्छ जल उपलब्ध नहीं होने से शिक्षा और रोजगार पर भी बहुत असर पड़ता है। आर्थिक प्रभावों की यदि हम यहां पर बात करें तो गंदे पानी से होने वाली बीमारियों पर इलाज में भारी खर्च होता है तथा बीमार होने के कारण कामकाज ठप पड़ता है और आर्थिक उत्पादकता घटती है। इतना ही नहीं, जब स्वच्छ जल स्रोत खत्म होने लगते हैं, तो लोग भूजल का अत्यधिक दोहन करने लगते हैं, जिससे भूमिगत जलस्तर गिरता है तथा जल प्रदूषण बढ़ने से नदियां, तालाब और झीलें जीव-जंतुओं के लिए भी असुरक्षित हो जाती हैं। आंकड़े बताते हैं कि लगभग 4 अरब लोग, लगभग दो-तिहाई विश्व जनसंख्या साल में कम से कम एक महीने गंभीर जल-संकट का सामना करते हैं तथा 50 करोड़ लोग ,500 मिलियन साल भर के लिए गंभीर जल-संकट में रहते हैं। अंत में यही कहूंगा कि स्वच्छ पेयजल आज संपूर्ण मानवताए जीव-जंतुओं, हमारे पर्यावरण और पारिस्थितिकी की महत्वपूर्ण आवश्यकता है।

रेन वाटर हार्वेस्टिंग :

स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता बढ़ाने के लिए हम कुछ उपायों को काम में ला सकते हैं। मसलन, हमें यह चाहिए कि हम वर्षा जल संचयन रेन वाटर हार्वेस्टिंग की ओर ध्यान दें तथा वर्षा का पानी संग्रह कर भूजल रिचार्ज करें। विभिन्न जल स्रोतों का संरक्षण बहुत ही महत्वपूर्ण और आवश्यक है। हमें नदियों, तालाबों, कुओं और झीलों को प्रदूषण से बचाना होगा। भूजल का संतुलित व विवेकपूर्ण उपयोग के साथ ही बेतहाशा दोहन को हमें रोकना होगा और रिचार्ज बढ़ाना होगा। जल शोधन संयंत्र से पेयजल को शुद्ध कर घर-घर पहुंचाना होगा। पाइपलाइन व रिसाव नियंत्रण की ओर भी हमें ध्यान देना होगा तथा जल वितरण में होने वाली बर्बादी रोकना होगा। सस्ती फिल्टर व किफायती तकनीकें ग्रामीण और गरीब क्षेत्रों तक पहुंचानी होंगी, ताकि स्वच्छ जल की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके। सबसे जरूरी और बड़ी बात यह है कि हमें लोगों को जल संरक्षण और स्वच्छता के लिए प्रेरित करना होगा।

-सुनील कुमार महला
यह लेखक के अपने विचार हैं।

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