नई पीढ़ी को पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान के प्राचीन ज्ञान से अवगत कराना जरूरी : बागडे
राजस्थान पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विवि का दीक्षांत समारोह
10 मेघावी विधार्थियों को विभिन्न पदकों से नवाजा गया। विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रो. हेमंत दाधीच ने आभार जताया।
बीकानेर। राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने कहा कि नई पीढ़ी को पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान के प्राचीन ज्ञान से अवगत कराना जरूरी है। बागडे राजस्थान पशु विज्ञान और पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय के 8वें दीक्षांत समारोह को महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के मीरा बाई सभागार में सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हमारा देश पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान के क्षेत्र में शुरू से ही समृद्ध रहा है। ऋवैदिक काल में भी पशुपालन पूर्णतया विकसित था। अथर्ववेद में पशुओं की बीमारियों, आयुर्वेदिक दवाओं और बीमारियों के इलाज के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां हैं। शालिहोत्र, दुनिया के पहले ज्ञात पशु चिकित्सक थे। उनका लिखा ग्रंथ शालिहोत्र संहिता, पशु चिकित्सा पर महत्वपूर्ण ग्रंथ है। उन्होंने विश्वविद्यालय में यह ग्रन्थ उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए, जिससे विद्यार्थियों को इनकी जानकारी हो सके।
इस मौके पर उन्होंने युवाओं के कौशल विकास पर जोर देने के साथ कहा कि वे गुरु दक्षिणा के रूप में विश्वविद्यालय परिसर में एक-एक पौधा लगाएं और उसकी देखभाल करें। यह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणादाई होगा। इस दौरान राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के त्रैमासिक न्यूजलेटर के नवीनतम अंक, विश्वविद्यालय की एक वर्ष की प्रगति पुस्तिका का लोकार्पण और विश्वविद्यालय में 2 करोड़ की लागत से बनने वाले अरुधंति कन्या छात्रावास का शिलान्यास किया। इस मौके पर उन्होंने निजी महाविद्यालयों के एफि लेशन मैनेजमेंट सिस्टम, पुनर्निर्मित वेबसाइट और कार्मिकों की उपस्थिति के फेस रिकॉगनेशन सिस्टम की शुरुआत की। कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित ने स्वागत उद्बोधन दिया
433 विद्यार्थियों को मिली उपाधियां
विद्यार्थियों को स्नातक उपाधियां प्रदान की : दीक्षांत समारोह में कुल 433 विद्यार्थियों को स्रातक, 71 को स्रातकोत्तर और 11 को विद्या वाचस्पति की उपाधियां दी गई। 10 मेघावी विधार्थियों को विभिन्न पदकों से नवाजा गया। विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रो. हेमंत दाधीच ने आभार जताया।
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