दो पक्षों के विवाद ने थामी श्मशान की राह : ग्रामीण अर्थी लेकर रास्ते में बैठे, पुलिस और अधिकारियों की समझाइश भी बेअसर

रास्ता होने से लंबे समय से परेशान

दो पक्षों के विवाद ने थामी श्मशान की राह : ग्रामीण अर्थी लेकर रास्ते में बैठे, पुलिस और अधिकारियों की समझाइश भी बेअसर

शवयात्रा में शामिल लोगों ने बताया कि बीमार व्यक्ति को समय पर अस्पताल नहीं पहुंचाया जा सकता, मकान बनाने के लिए साधन नहीं लाए जा सकते और मवेशियों के लिए चारा लाने में भी भारी परेशानी होती है।

सिकराय। सिकंदरा क्षेत्र के पीलवा खुर्द गांव की छोकल्या ढाणी में शुक्रवार को उस समय बड़ा विवाद खड़ा हो गया जब अंतिम संस्कार के लिए ले जाई जा रही शवयात्रा रास्ता बंद मिलने के कारण रुक गई। ग्रामीणों ने शव को रास्ते में रखकर धरना शुरू कर दिया और रास्ता खुलवाने की मांग पर अड़े रहे। घटना से गांव में तनाव का माहौल बन गया और बड़ी संख्या में लोग मौके पर एकत्र हो गए। जानकारी के अनुसारए पीलवा खुर्द की छोकल्या ढ़ाणी निवासी मुन्नालाल सैनी का शुक्रवार को निधन हो गया। परिजन और ग्रामीण शव को अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट ले जा रहे थे। जैसे ही शवयात्रा ढाणी से निकली तो रास्ते में कांटेदार तारों का अवरोध मिला। आरोप है कि लंबे समय से इस रास्ते को लेकर विवाद चल रहा है और दूसरे पक्ष की ओर से रास्ता अवरुद्ध कर दिया गया है। इससे नाराज ग्रामीण शव को रास्ते में रखकर बैठ गए और प्रदर्शन शुरू कर दिया। इस बीच सूचना पाकर सिकंदरा थाना पुलिस तहसील प्रशासन और राजस्वकर्मी मौके पर पहुंचे। पुलिस ने ग्रामीणों को समझाने का प्रयास किया लेकिन शुक्रवार देर शाम तक ग्रामीण नहीं माने और मृतक का अंतिम संस्कार नहीं किया गया। 

दूसरे का कहना
इधर दूसरा पक्ष इस जमीन को अपनी खातेदारी भूमि बता रहा है। उनका कहना है कि जिस जगह से ग्रामीण रास्ता निकालना चाहते हैं वह निजी भूमि है और इस पर किसी भी तरह से कब्जा या अतिक्रमण नहीं किया जा सकता। इसी तर्क के आधार पर उन्होंने रास्ते में तारबंदी कर दी थी।  
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रास्ता होने से लंबे समय से परेशान
शवयात्रा में शामिल लोगों ने बताया कि बीमार व्यक्ति को समय पर अस्पताल नहीं पहुंचाया जा सकता, मकान बनाने के लिए साधन नहीं लाए जा सकते और मवेशियों के लिए चारा लाने में भी भारी परेशानी होती है। कई बार अधिकारियों और प्रशासन को समस्या से अवगत कराया गया लेकिन समाधान नहीं हुआ। मजबूरी में अब मृतक की डेड बॉडी रखकर धरना देना पड़ा। ग्रामीणों का कहना था कि जब तक रास्ता नहीं खुलता तब तक शव यात्रा आगे नहीं बढ़ेगी और अंतिम संस्कार नहीं होगा।  

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