27 हजार रुपए प्रतिमाह का लालच देकर पति-पत्नी से पहचान कार्ड लेकर तीन कम्पनियों में बना दिया डायरेक्टर, उनके खाते में ठगी के डाले 400 करोड़ 

पीड़ित से राशि बढ़वाते जाते हैं और फिर राशि को गबन कर लेते हैं

27 हजार रुपए प्रतिमाह का लालच देकर पति-पत्नी से पहचान कार्ड लेकर तीन कम्पनियों में बना दिया डायरेक्टर, उनके खाते में ठगी के डाले 400 करोड़ 

सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर गेम एवं इनवेस्टमेन्ट के अनेकों लिंक भेजकर पहले छोटी-छोटी राशि लगवाने का लालच देते हैं और जीतने पर राशि खाते में डाल देते हैं।

जयपुर। भरतपुर रेंज आईजी कार्यालय की टीम की ओर से साइबर ठगो के खिलाफ की गई कार्रवाई में खुलासा हुआ है कि एमबीए मामा रविन्द्र और उसके इंजीनियर भांजे शशिकांत ने साइबर ठगी के रुपयों को ठिकाने लगाने के लिए एक गरीब पति-पत्नी को चुना था। महिला कुमकुम पांचवीं और उसका पति दिनेश सातवीं पास है। इन दोनों को रविन्द्र ने हर माह 27 हजार रुपए देने का लालच दिया और इनसे दस्तावेज ले लिए। उसके बाद इन दोनों को चार अलग-अलग कम्पनी में डायरेक्टर बना दिया। साइबर ठगी का खुलासा होने के समय इन खातों में करीब चार सौ करोड़ रुपए का लेनदेन हुआ है। 

ऐसे करते थे ठगी
आईजी राहुल प्रकाश ने बताया कि जांच में सामने आया कि कुमकुम और दिनेश आर्थिक रूप से कमजोर हैं और ठगों की ओर से हर माह दिए जाने वाले 27 हजार रुपयों से इनका गुजारा चल रहा था। ये गैंमिंग ऐप के फर्जी लिंक, शेयर बजार में इन्वेस्टमेन्ट का झांसा देकर लोगों के साथ ठगी की जा रही है और विगत चार माह में ही करीब 400 करोड़ से अधिक की ठगी राशि का लेन-देन इन कम्पनियों के खातों में हुआ है। 
सम्भावना है कि आगे अनुसंधान में ठगी की राशि एक हजार रुपए करोड़ व इससे अधिक हो सकती है।

वारदात का तरीका 
ठग गैंग का सरगना रविन्द्र सिंह है और अपने भांजे शशिकांत के साथ मिलकर ठग गिरोह चला रहा था। शशिकांत रुपए के लेनदेन में सहयोग कर रहा था। इन लोगों ने विभिन्न गेटवे फिनो पेमेन्ट, बकबॉक्स इन्फोटेक, फोनपे, एबडंस पेमेंट, पेविज और ट्राईपे पर मर्चेन्ट जारी करवा रखे हैं। 
इनके जरिए रुपए एचडीएफसी के छह, आरबीएल के दो, बंधन बैंक के तीन, कोटक बैंक के पांच, इंडसेण्ड के एक, एक्सेस के एक और यस बैंक के तीन खातों में रुए डाले जाते थे।ये सभी खाते फर्जी दस्तावेजों से खोले गए थे। इन सभी दस्तावेजों का वेरीफिकेशन रविन्द्र के जरिए कराया जाता है। इसमें सीए भी सहयोग कर रहा था। 

ऐसे देता था लालच
मुख्य सरगना रविन्द्र अपने पहचान वाले एवं आस-पास के ऐसे लोग जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं उनसे धीरे-धीरे नजदीकी बढ़ाता है फिर उन्हें रुपयों का प्रलोभन देकर ऐसे दो लोगों के कागजात के नाम से कम्पनी खुलवाता है। उसके लिए सभी जरूरी कागजात (कम्पनी का पेन कार्ड, जीएसटी, समेत अन्य नम्बर जारी कराता है। कम्पनी के नाम से बैंक में खाता खुलवाते हैं और उस बैंक खाते को स्वयं हैण्डल करते हैं। 
जिन लोगों के नाम से कम्पनी रजिस्टर्ड की जाती है और बैंक में खाते खुलवाए जाते हैं उनको बहुत ही छोटी राशि मासिक रूप से देकर संतुष्ट कर दिया जाता है। कम्पनी रजिस्टर्ड होने के बाद फर्जी गैंमिंग ऐप व इनवेस्टमेन्ट का झांसा देकर लोगों के साथ ठगी करना शुरू कर देते हैं। सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर गेम एवं इनवेस्टमेन्ट के अनेकों लिंक भेजकर पहले छोटी-छोटी राशि लगवाने का लालच देते हैं और जीतने पर राशि खाते में डाल देते हैं। धीरे-धीरे ये लोग पीड़ित से राशि बढ़वाते जाते हैं और फिर राशि को गबन कर लेते हैं। 

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