प्रदेश में अवैध निर्माणों को लेकर मांगा जवाब, अतिक्रमण करने वालों पर की जाए कार्रवाई : हाईकोर्ट
प्राधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी करें
देश की सभी प्रदेश सरकार को कहा था कि वे अवैध निर्माण रोकने के संबंध में स्थानीय प्राधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी करें। अतिक्रमण करने वालों पर कार्रवाई की जाए।
जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश में अवैध निर्माणों पर कार्रवाई नहीं होने और सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना में कोताही करने के मामले में राज्य सरकार और जेडीए सहित अन्य से जवाब पेश करने को कहा है। जस्टिस इन्द्रजीत सिंह और जस्टिस प्रमिल कुमार माथुर की खंडपीठ ने यह आदेश पब्लिक अगेंस्ट करप्शन संस्था की ओर से दायर जनहित याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए। अदालत ने याचिकाकर्ता को कहा है कि वह अतिरिक्त महाधिवक्ता जीएस गिल और विज्ञान को याचिका की कॉपी मुहैया कराए। जनहित याचिका में अधिवक्ता पीसी भंडारी और अधिवक्ता टीएन शर्मा ने अदालत को बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने गत 17 दिसंबर को एक मामले की सुनवाई करते हुए देश की सभी प्रदेश सरकार को कहा था कि वे अवैध निर्माण रोकने के संबंध में स्थानीय प्राधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी करें। अतिक्रमण करने वालों पर कार्रवाई की जाए।
लोगों का कॉलोनियों में रहना दूभर
याचिका में कहा गया कि अदालती आदेश के बावजूद भी प्लान और जोनल प्लान के खिलाफ बड़े पैमाने पर निर्माण हो रहे हैं, जिसके चलते लोगों का कॉलोनियों में रहना दूभर हो रहा है। याचिका में कहा गया कि राजधानी के कई इलाकों में निर्माण किया गया है। इस संबंध में याचिकाकर्ता संस्था की ओर से कई बार जेडीए और राज्य सरकार को सूचना दी गई और सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना के लिए कहा गया, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि यदि कोई अधिकारी इस आदेश की पालना ना करे तो उसे अदालती आदेश की अवमानना मानी जाए। ऐसे में राज्य सरकार को निर्देश दिए जाए कि वह 17 दिसंबर के सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना करे। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने राज्य सरकार और जेडीए से जवाब तलब किया है।
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