पुरातत्व विभाग की पहल : पर्यटकों की संख्या बढ़ाने के लिए विभाग की ओर से की जा रही कवायद

गांधी वाटिका म्यूजियम को कम्पोजिट टिकट में जोड़ा जाएगा

पुरातत्व विभाग की पहल : पर्यटकों की संख्या बढ़ाने के लिए विभाग की ओर से की जा रही कवायद

विभाग के अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार यहां भारतीय पर्यटक का टिकट शुल्क 55 रुपए और विदेशी पर्यटक का 205 रुपए है।

जयपुर। पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के संरक्षित स्मारकों में विजिट करने वाले पर्यटकों की सुविधा के लिए कम्पोजिट टिकट की व्यवस्था है। इसके तहत वे जयपुर के आमेर महल, हवामहल स्मारक, जंतर-मंतर स्मारक, अल्बर्ट हॉल संग्रहालय, नाहरगढ़ दुर्ग, विद्याधर का बाग, सिसोदिया रानी का बाग और ईसरलाट को देख सकते हैं। कम्पोजिट टिकट के लिए भारतीय पर्यटक को 422 रुपए और विदेशी पर्यटक को 1102 रुपए देने होते हैं। ये टिकट दो दिनों के लिए वैध होता है। अब पुरातत्व विभाग की ओर से कम्पोजिट टिकट में शामिल पर्यटन स्थलों में जल्द ही गांधी वाटिका म्यूजियम को जोड़ा जा सकता है। इसके लिए प्रपोजल बनाकर उच्च अधिकारियों को भेजा गया है। अभी कम्पोजिट टिकट में 8 पर्यटन स्थल शामिल हैं। गांधी वाटिका संग्रहालय का नाम जुड़ने से इनकी संख्या 9 हो जाएगी। 

आधुनिक तकनीक से दर्शाई महात्मा गांधी की जीवनयात्रा 
जयपुर के सेंट्रल पार्क में बने गांधी वाटिका म्यूजियम में पर्यटकों को महात्मा गांधी से संबंधित जानकारी मिलती है। म्यूजियम में उनकी जीवन यात्रा, आजादी की लड़ाई और उनके विचारों को आधुनिक तकनीक के माध्यम से सजीव होते महसूस किया जा सकता है। अब जल्द ही पुरातत्व विभाग की ओर से गांधी वाटिका म्यूजियम को कंपोजिट टिकट में शामिल किया जाएगा, ताकि यहां भी पर्यटकों की संख्या में इजाफा देखने को मिले। अभी यहां एक दिन में औसतन करीब 10 से 15 पर्यटक आ रहे हैं। विभाग के अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार यहां भारतीय पर्यटक का टिकट शुल्क 55 रुपए और विदेशी पर्यटक का 205 रुपए है। इसमें ई-मित्र का चार्ज भी शामिल है।

इनका कहना है...
गांधी वाटिका म्यूजियम में कम्पोजिट टिकट में शामिल करने की कवायद की जा रही है। इसके लिए उच्चाधिकारियों को प्रपोजल बनाकर भेजा गया है, ताकि यहां भी पर्यटकों की संख्या में इजाफा हो। अभी कम्पोजिट टिकट में आमेर महल, हवामहल स्मारक, जंतर-मंतर स्मारक, अल्बर्ट हॉल संग्रहालय, नाहरगढ़ दुर्ग, ईसरलाट, सिसोदिया बाग और विद्याधर का बाग शामिल हैं। 
-डॉ. पंकज धरेन्द्र, निदेशक, पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग 

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