क्लाउड सीडिंग कराने में एक्सल-1 इंक को सफलता : रामगढ़ बांध क्षेत्र में एआई तकनीक व ड्रोन के माध्यम से कराई कृत्रिम बरसात
15 मिनट बाद बादलों के व्यवहार में स्पष्ट बदलाव
हाइड्रो ट्रेस क्लाउड सीडिंग से इन उथले बादलों ने भी आसपास के पहाड़ों पर बारिश बरसाई-जिससे झील को भरने और राजस्थान के जल भविष्य को सुरक्षित करने की नई उम्मीद बंधी है।
जमवारामगढ़। विश्व प्रसिद्ध रामगढ़ बांध पर शुक्रवार सुबह एक्सल-1 इंक कम्पनी ने अपनी क्षेत्रिय सहयोगी कम्पनी जेएनएक्सएआई के सहयोग से एक बार फिर कृत्रिम बरसात करवाने में सफलता प्राप्त की। कम्पनी पहले भी पायलट प्रोजेक्ट के तहत देश में पहली बार रामगढ़ बांध पर एआई तकनीक व ड्रोन की सहायता से क्लाउड सीडिंग करा चुकी है। एक्सल-1इंक के चीफ क्लाइमेट सॉल्यूशंस अधिकारी शशांक तामन के अनुसार रामगढ़ बांध क्षेत्र में दो क्लाउड सीडिंग उड़ानें सफलतापूर्वक संचालित की गईं। जिससे उथले बादलों की प्रतिक्रिया का अध्ययन किया जा सके। उड़ानों से पहले, वातावरण में बहुत पतले और उथले बादल देखे गए। जिनका आधार समुद्रतल से लगभग 960 मीटर ऊंचाई पर था। ये बादल हवाओं के साथ बह रहे थे, जो उनकी अस्थिर और अस्थायी प्रकृति को दर्शाता था। सीमित मोटाई के बावजूद, इन्हें प्रयोगात्मक सीडिंग के लिए उपयुक्त माना गया। पहली उड़ान 07:30 पर शुरू हुई। विमान लगभग 1000 मीटर की ऊंचाई पर पहुंचा, जो क्लाउड बेस से 40 मीटर ऊपर था। इस स्तर पर सीडिंग एजेंट को एक वृत्ताकार मार्ग में छोड़ा गया ताकि बादलों के सूक्ष्म भौतिकी से अधिकतम संपर्क हो सके। छोड़ने के बाद लगातार निगरानी की गई। लगभग 15 मिनट बाद बादलों के व्यवहार में स्पष्ट बदलाव देखा गया।
प्रारंभिक गतिशील बादल कम गतिशील होकर स्थिर और घने हो गए। थोड़ी देर बाद हल्की फुहार पड़ी, जो कुछ सेकंड तक चली। हालांकि यह अल्पकालिक थी, लेकिन इसने पुष्टि की कि सीडिंग का असर हुआ। दूसरी उड़ान से पहले भी समान परिस्थितियां थीं। इस बार सीडिंग एजेंट को उत्तर-दक्षिण दिशा में फैलाया गया ताकि अधिक क्षेत्र कवर हो सके। प्रतिक्रिया पहली उड़ान से तेज थी-10 मिनट से कम समय में बादल अधिक घने हो गए। इससे स्पष्ट हुआ कि उथले बादल सीडिंग के प्रति संवेदनशील हैं, खासकर जब वितरण अनुकूलित हो। हाइड्रो ट्रेस क्लाउड सीडिंग से इन उथले बादलों ने भी आसपास के पहाड़ों पर बारिश बरसाई-जिससे झील को भरने और राजस्थान के जल भविष्य को सुरक्षित करने की नई उम्मीद बंधी है। मौसम वैज्ञानिक रामगढ़ बांध के सूखने के कारणों के अध्ययन में भी जुटे है।

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