Blazing Heat ने अस्पतालों में बढ़ाए हीट स्ट्रोक और डायरिया के मरीज

तेज गर्मी में शरीर में पानी व नमक की कमी हो जाती है, जो लू का खतरा बढ़ा देती है

Blazing Heat ने अस्पतालों में बढ़ाए हीट स्ट्रोक और डायरिया के मरीज

एसएमएस की मेडिसिन ओपीडी में रोजाना आ रहे 100 से ज्यादा मरीज, जेके लोन अस्पताल में भी बच्चों में डायरिया के मामलों में बढ़ोतरी 

जयपुर। प्रदेश में इन दिनों पड़ रही तेज गर्मी और गर्म हवाओं के थपड़ों से हीट स्ट्रोक (तापघात या लू) का खतरा बढ़ गया है। ऐसे में अस्पतालों में गर्मी जनित बीमारियों के मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। अकेले एसएमएस अस्पताल की ओपीडी इन दिनों 12 हजार प्रतिदिन को पार कर गई है और इनमें से करीब 20 से 25 प्रतिशत मरीज सिर्फ मौसमी बीमारियों से पीड़ित होकर आ रहे हैं। इनमें ज्यादा संख्या लू लगने, डायरिया व अन्य गर्मी जनित रोगों से ग्रसित होकर आने वालों की है। चिकित्सकों की मानें तो तेज गर्मी की सबसे बड़ी समस्या होती है लू लगना। गर्मी में उच्च तापमान में ज्यादा देर तक रहने या गर्म हवा के झोको के संपर्क में आने से लू लगने की सम्भावना अधिक होती है। प्रदेश में तेज गर्मी की वजह से डायरिया के केस भी तेजी से बढ़े हैं। स्कूली बच्चों में डायरिया के मामले इन दिनों ज्यादा देखे जा रहे हैं। इसके चलते जेके लोन अस्पताल में भी बच्चों की ओपीडी काफी बढ़ गई है। कुछ बच्चों को तो गंभीर हालत में भर्ती भी किया गया है।

लू के लक्षण
शरीर का तापमान तेजी से बढ़ जाता है, प्यास अत्यधिक लगना, पूरा शरीर जलन करना, पसीना नहीं आना, कंपन होना, बेहोशी आना, मिर्गी के दौरे आना, लो ब्लड़ प्रेशर होना, अधिक समय हाइपोटेंशन से किड़नी लीवर का खराब होना, एंव मरीज की मृत्यु तक हो जाती है। कुछ मरीजों में ह्दयघात एवं लकवा तक भी हो जाता है।

कब और किसको लगती है लू
तेज गर्मी में शरीर में पानी व नमक की कमी हो जाती है। जो लू का खतरा बढ़ा देती है, इसमें गर्मी से होने वाली कम खतरनाक बीमारियां जैसे हीट एडेमा (सूजन), हीट रैश, हीट क्रैम्प्स, हीट साइनकॉप (बेहोशी, मूर्छित) आदी भी शामिल है जो कि तापघात की पूर्व अवस्था भी हो सकती है। तापघात का खतरा बुजुर्गों, बच्चों, मोटे कपड़े पहनकर धूप में जाने, बिना पानी या कम पानी पीकर धूप में जाने, शराब का अधिक सेवन करने, मजदूर वर्ग, खिलाड़ियों में (आउटडोर स्पोर्ट्स) एंव शुगर, ब्लड प्रेशर, मानसिक रोग की दवा लेने वाले व्यक्तियों को तापघात का खतरा अत्यधिक होता है।

बचाव रखें और हाइड्रेट रहें
ईएसआई मॉडल हॉस्पिटल जयपुर के मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. श्यामसुंदर ने बताया कि बचाव ही इसका बेहतर इलाज है। तेज धूप में बाहर जाने से बचें। अगर जाना जरूरी है तो पर्याप्त पानी, छाछ, केरी का पानी, इलेक्ट्राल पानी का सेवन करके जाना चाहिए, पतले सूती कपड़े पहनकर निकलना चाहिए, छाते का इस्तेमाल भी लू से बचाव का उपयुक्त साधन है। लू लगने पर व्यक्ति को तुरंत छाया में लाना चाहिए, उसके सारे कपड़े ढीले कर, गीली चादर से शरीर को लपेटना चाहिए, पूर्ण चेतना में उसे मुंह से पानी (ओआरएस) पिलाना चाहिए, (बेहोशी में मुंह से पानी न दे) एवं तुरंत नजदीकी अस्पताल पहुंचाना चाहिए।

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