निकाय-पंचायत चुनाव : 2028 के पहले पड़ाव की तरह तैयारी कर रही कांग्रेस, बड़े नेताओं को सौंपी जाएगी कमान
भाजपा सरकार को इन चुनावों में पटखनी दी जा सके
अगले महीने अहम बैठकों में रणनीति फाइनल होगी, जिसमें वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को क्षेत्रवार कमान सौंपी जा सकती है।
जयपुर। हाल ही में पंचायत उपचुनावों में भाजपा से बड़े अंतर से मात खा चुकी कांग्रेस ने राजस्थान में आगामी निकाय-पंचायत चुनावों की तैयारी के लिए अभी से कमर कस ली है। आगामी 2028 विधानसभा चुनाव की तैयारी से पहले इन चुनावों को पहला पड़ाव मानते हुए अभी से माइक्रो मैनेजमेंट करने की तैयारी की जा रही है। अगले महीने अहम बैठकों में रणनीति फाइनल होगी, जिसमें वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को क्षेत्रवार कमान सौंपी जा सकती है।
पीसीसी चीफ गोविन्द सिंह डोटासरा और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने इन चुनावों की तैयारी के लिए प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा से हाल ही में दिल्ली में विस्तार से चर्चा की थी। डोटासरा के लिए भी अपने कार्यकाल में ये चुनाव किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। क्योंकि इन चुनावों से आगामी विधानसभा चुनावों का राजनीतिक नैरेटिव भी सेट होगा। प्रभारी रंधावा ने भी वरिष्ठ नेताओं को जिम्मेदारी के अलावा तीनों सह प्रभारियों को फील्ड विजिट कर रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए हैं। अगले महीने से बैठकों के साथ ही सभी जिलों में प्रभारी और पर्यवेक्षकों की तैनाती कर धरातल की रिपोर्ट और मुद्दे सामने लाए जाएंगे, ताकि भाजपा सरकार को इन चुनावों में पटखनी दी जा सके।
दिल्ली जाएगी रिपोर्ट, मंजूरी मिलने पर फाइनल होगी रणनीति
प्रदेश प्रभारी रंधावा ने डोटासरा और जूली से चर्चा के बाद यह निर्णय लिया है कि राजस्थान के तीनों सहप्रभारियों को भी अगले महीने अपने प्रभार क्षेत्रों में फील्ड विजिट कर नेताओं-कार्यकर्ताओं से बातचीत करके रिपोर्ट तैयार करनी होगी। पर्यवेक्षकों, प्रभारियों और सहप्रभारियों की रिपोर्ट्स रंधावा के माध्यम से आलाकमान तक जाएंगी और राजस्थान के वरिष्ठ नेताओं में पूर्व सीएम अशोक गहलोत, कांग्रेस महासचिव सचिन पायलट, पीसीसी चीफ गोविन्द सिंह डोटासरा, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली आदि से चर्चा कर चुनावी रोडमैप तैयार किया जाएगा।
वरिष्ठ नेताओं को मिलेगी जिम्मेदारी
आगामी महीने में जयपुर में आयोजित बैठकों में निकाय-पंचायत चुनावों के लिए प्रभारी और पर्यवेक्षकों के लिए नेताओं के नाम तय किए जाएंगे। सभी वरिष्ठ नेताओं से राय मशविरा करने के बाद नामों पर अंतिम मुहर लगाकर आलाकमान से मंजूरी ली जाएगी। चुनाव जीतने की मजबूत रणनीति के तहत जिताऊ प्रत्याशियों और जिताऊ मुद्दों के चयन के लिए पर्यवेक्षकों और प्रभारियों में पूर्व मंत्रियों, विधायक और संगठन के अनुभवी चेहरों को प्राथमिकता दी जा सकती है। पार्टी के अंदर धड़ेबाजी को साधते हुए यह काम कराने की जिम्मेदारी डोटासरा संभालेंगे।
स्थानीय स्तर पर भाजपा के खिलाफ बनेगी जवाबी रणनीति
निकाय-पंचायत चुनाव में भाजपा से ज्यादा सीटें जीतना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है,क्योंकि विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा सरकार के खिलाफ माहौल बनाने और इसे विधानसभा चुनाव में भुनाने का कांग्रेस के पास बड़ा मौका है। इस मौके को हासिल करने के लिए कांग्रेस को सबसे पहले स्थानीय स्तर पर संगठन को मजबूत करना होगा। संगठन में जान फूंकने के लिए पार्टी में भीतरघात और गुटबाजी पर भी नियंत्रण रखना जरूरी होगा। चुनावों से पहले बूथ से लेकर जिला स्तर तक संगठन को सक्रिय और आक्रामक बनाना होगा, ताकि स्थानीय स्तर पर भाजपा नेताओं के बयानों पर तंज कसते हुए आक्रामक बयानों के जरिए जवाबी रणनीति सफल हो सके। रणनीति में शहरी क्षेत्रों में भाजपा के शहरी सरकारों के मॉडल पर सवाल उठाने होंगे तो ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली, पानी, सड़क, खाद-बीज, रोजगार जैसे मुद्दों पर सरकार के मॉडल को फेल साबित करना होगा।

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