जो कुछ है, उसी में एंजॉय करो, किसी भी ऊंचे पद पर पहुंच जाओ लेकिन धरातल को कभी मत भूलो, लाइफ में खुशी होगी : छवि पंत
हर सफल पुरुष के पीछे एक सशक्त महिला होती है
महिलाएं वर्ग विशेष की नहीं, समाज की प्रेरणा है, उनका साहस कई लोगों को मुख्य धारा से जोड़ता हैं।
जयपुर। सकारात्मक सोच के साथ जितना है, उसी में एंजॉय करो तो लाइफ में खुशी ही खुशी होगी। साथ ही जिन लोगों से निकलकर किसी भी ऊंचे पद तक पहुंच जाओ, लेकिन उस धरातल को कभी नहीं भूलना चाहिए, जहां से सबकुछ पाकर यहां तक पहुंचे हो। ये कहना है मुख्य सचिव सुधांश पंत की पत्नी छवि पंत का। अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस पर दैनिक नवज्योति से विशेष बातचीत के दौरान छवि पंत ने खुलकर सवालों के जवाब दिए। पति के प्रशासनिक जिम्मेदारी में व्यस्तता के चलते छवि पंत सामाजिक, पारिवारिक जिम्मेदारियों को बेखूबी से निभा रही हैं। उन्होंने महिला दिवस पर महिलाओं को संदेश देते हुए कहा कि आपकी प्रेरणा कब किसकी जिंदगी बदल देगी, यह आपको पता भी नहीं चलेगा। महिलाएं वर्ग विशेष की नहीं, समाज की प्रेरणा है, उनका साहस कई लोगों को मुख्य धारा से जोड़ता हैं।
पति की प्रशासनिक लाइफ को कैसे सपोर्ट करती हैं
सवाल: क्या आप सामाजिक कार्यों में सक्रिय हैं?
जवाब: बिल्कुल, जहां भी सामाजिक कार्यों में भागीदारी की जरूरत होती है, तो मैं उन्हें पूरा निभाती हूं।
सवाल: पति की व्यस्तता में मानसिक स्थिरता बनाए रखने में मदद करती हैं?
जवाब: वे तो हमेशा ही कहते हैं, हम तो ऑफिस तक ही काम करते हैं। आपका तो हमेशा ही दिमाग काम में व्यस्त रहता है।
सवाल: लोगों के बीच आप अपनी पहचान कैसे बनाती हैं?
जवाब: वैसे तो मेरी लोगों के बीच जाने या पब्लिसिटी में रुचि नहीं रहती है, अगर कहीं जाती भी हूं तो अपनी सामान्य पहचान ही रखती हूं।
सवाल: क्या आप सामाजिक कार्यों, एनजीओ, शिक्षा, कला या अन्य क्षेत्रों में सक्रिय हैं?
जवाब: कभी कभार किसी फंक्शन में चली जाती हूं, लेकिन अतिथि के तौर पर नहीं।
सवाल: पति के ऑफिस तनाव को कम करने के लिए घर का माहौल कैसे बनाए रखती हैं?
जवाब: घर की तरफ से उनको कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। मेरी हमेशा ये ही कोशिश रहती है।
आपकी दिनचर्या क्या रहती है...?
मेरी सुबह जल्दी उठने की आदत है, उसके बाद वॉक करना, एक्सरवाइज करना। वॉक के लिए सेंट्रल पार्क जाती हूं, क्योंकि वहां पर मंदिर है। घर में फार्मिंग और पेड़-पौधों का शौक है। कई बार जेकेके में जो मेले लगते हैं, उनमें जाना, सहकार मेले में जाना मुझे पसंद है।
चुनौतियां और प्रेरणा
सवाल: आपने कभी पति के इस भूमिका में आने की कल्पना की थी?
जवाब: नहीं, ऐसी मैंने कल्पना नहीं की थी कि वे इस भूमिका में होंगे। ये (सीएस बनना) तो अचानक हुआ।
सवाल: आपके अनुसार प्रशासनिक अधिकारियों की पत्नियों की समाज में क्या भूमिका होनी चाहिए?
जवाब: इसमें दो तरह की परिस्थितियां होती हैं। अगर दोनों ही सर्विस में हैं तो अलग होगी, लेकिन अगर पति ही प्रशासनिक सेवाओं में है तो पत्नी को ही अन्य सारी जिम्मेदारियां बेखूबी निभानी चाहिए।
सवाल: जब आपकी सामाजिक पहचान सिर्फ सीएस की पत्नी के रूप में हो तो आप क्या मानती हैं?
जवाब: आप किसी भी स्तर पर रहो, लेकिन लोगों में ये अहसास नहीं कराना चाहिए, मैं मानती हूं वे ज्यादा खुश रहते हैं।
सवाल: पति की पहले और अब की घर की दिनचर्या में कोई फर्क?
जवाब: ज्यादातर ऑफिस ऑफ के बाद घर आ जाते हैं, लेकिन अब तो घर आने के बाद भी आॅनलाइन फाइलों के क्लियरेंस में व्यस्त रहते हैं। अब उनकी व्यस्तता बढ़ गई।
क्या आप सामान्य जीवन जीने में विश्वास करती हैं...?
हां, लोगों के बीच में अपने बारे में ज्यादा बताना पंसद नहीं है। बड़ी गाड़ी में चलना और लोगों के बीच जाकर शोबाजी करना पसंद नहींं है। कुछ ही लोग होते हैं, जो हमें जानते हैं। रिश्तेदारों के बीच जाकर यही कोशिश करते हैं कि उन्हें हमारे बडे होने का एहसास नहीं हो। मुझे पढ़ाई-लिखाई करना और पेड़-पौधों का बहुत शोक है। घर में भी इसमें व्यस्त रहती हूं।
पति के प्रशासनिक व्यवस्थाओं में बदलाव का असर...?
हां, ये जरूर होता है, कभी जयपुर आ गए, कुछ समय बाद दिल्ली चले गए, पहले कभी कहीं पर पोस्टिंग रही तो, वहां पर चले गए। जयपुर-दिल्ली के बीच तो ये हमेशा ही चलता रहा। अभी भी दोनों बेटियां दिल्ली में ही हैं तो मेरा दिल्ली आना-जाना तो लगा रहता हैं।
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