प्रदेश के वन्य जीव संरक्षित क्षेत्रों में पहली बार अलग से लेपर्ड की गणना शुरू : अनुमानित संख्या का चलेगा पता, संरक्षण की बनेगी कार्ययोजना ; जंगलों में ही प्रे-बेस उपलब्ध कराने के होंगे प्रयास
वन क्षेत्राें में ट्रेप कैमरों से लेपर्ड की गणना की जाएगी
प्रदेश में लेपर्ड संरक्षण के लिए पहली बार वन्य जीव संरक्षित क्षेत्रों में अलग से इनकी गणना के लिए साइन सर्वे मंगलवार से शुरू हो गया है। इसके लिए वन मुख्यालय ने एसओपी भी जारी की है। सर्वेक्षण के अंत में विभिन्न संरक्षित क्षेत्रों में लेपर्ड की अनुमानित जनसंख्या का पता चलेगा। इसकी एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार होगी। जिसके आधार पर इनके संरक्षण के लिए योजना तैयार हो सकेगी।
अजमेर। प्रदेश में लेपर्ड संरक्षण के लिए पहली बार वन्य जीव संरक्षित क्षेत्रों में अलग से इनकी गणना के लिए साइन सर्वे मंगलवार से शुरू हो गया है। इसके लिए वन मुख्यालय ने एसओपी भी जारी की है। सर्वेक्षण के अंत में विभिन्न संरक्षित क्षेत्रों में लेपर्ड की अनुमानित जनसंख्या का पता चलेगा। इसकी एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार होगी। जिसके आधार पर इनके संरक्षण के लिए योजना तैयार हो सकेगी। बताया जा रहा है कि वर्तमान में जंगलों में शिकार की कमी के चलते आबादी इलाकों में लेपर्ड के बढ़ते मूवमेंट और इंसानों से संघर्ष की घटनाओं को रोकने की दिशा में भी यह प्रदेश सरकार का एक कदम है।
प्रदेश में करीब 36 वन्य जीव संरक्षित क्षेत्रों में साइन सर्वे शुरू हो गया है। इसमें सियार, लोमड़ी, जंगली सूअर आदि वन्य जीव भी शामिल हैं। इसमें इनके पगमार्क, शौच को भी आकलन का आधार बनाया जाएगा। इस सर्वे को 15 नवंबर तक पूरा करना होगा। इसके बाद 18 से 22 नवंबर तक लाइन ट्रांसेक्ट सर्वे होगा। जिसमें वनकार्मिकों को वन क्षेत्रों में मांसाहारी जानवरों को सीधे देखकर गणना करनी होगी। मांसाहारी जीवों के आकलन से लेपर्ड के भोजन शृंखला (प्रे-बेस) को तैयार करने में मदद मिलेगी।
ट्रेप कैमरों से होगी गणना
साइन सर्वे के बाद संरक्षित वन क्षेत्राें में ट्रेप कैमरों से लेपर्ड की गणना की जाएगी। संरक्षित क्षेत्राें में उन स्थानों पर ट्रेप कैमरे लगाए जाएंगे, जहां लेपर्ड का मूवमेंट ज्यादा होता है। खासतौर पर सूखी नदी या जल स्त्रोत की तलहटी, जहां इंसानों का व्यवधान या आनाजाना न हो। वन मुख्यालय की ओर से जारी की गई एसओपी में कहा गया है कि उपयोग किए जाने वाले ट्रेप कैमरे गति सक्रिय होने के साथ कम रोशनी की स्थिति में भी लेपर्ड का स्पष्ट चित्र ले सकें। इसलिए ये रात्रि दृष्टि क्षमताओं से लैस हों।
उनमें पर्याप्त मैमोरी व बैटरी क्षमता भी सुनिश्चित की जाए। कैमरों को जमीन से करीब 45 सेमी ऊपर, थोड़ा नीचे की ओर कोण पर दृश्य क्षेत्र को अधिकतम करने के लिए स्थापित किया जाए। मुख्य वन संरक्षक अजमेर ख्याति माथुर ने बताया कि अजमेर वन मंडल के वन्य जीव संरक्षित क्षेत्र गंगा भैरव घाटी व सरवाड़ तहसील में स्थित संरक्षित वन खंड बीड़ अरवड़ में लेपर्ड की गणना के लिए साइन सर्वे शुरू हो चुका है। विभिन्न चरण पूरे होने के बाद रिपोर्ट मुख्यालय भेजी जाएगी।

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